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    क्या है C-SIP, जिसमें सैलरी से सीधा फंड में चला जाता है आपका पैसा? समझें फायदे वाली बात

    Updated: Mon, 07 Jul 2025 07:52 PM (IST)

    What is C-SIP यह निवेश का एक आसान तरीका है। इसमें कंपनी आपकी सैलरी से एक फिक्स अमाउंट डिडक्ट करती है और उसे म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर देती है। यानी अगर आपकी सैलरी 50000 है और आप 2000 की एसआईपी चुनते हैं तो कंपनी ये अमाउंट डिडक्ट करके 48000 रुपए की सैलरी देगी। डिडक्ट अमाउंट सीधा फंड में जमा हो जाएगा।

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    इसमें कंपनियां आपका सैलरी से तय अमाउंट काटकर फंड में जमा करा देती हैं।

    नई दिल्ली| What is C-SIP : जब सैलरी बढ़ेगी, तब इन्वेस्टमेंट शुरू कर देंगे। फिर आया वो दिन, जब सैलरी तो बढ़ी, लेकिन साथ-साथ बढ़े आपके खर्च। और धरा का धरा रह गया सेविंग्स का प्लान। ये सिर्फ आपकी ही नहीं, बल्कि हमारे-आपके जैसे बहुत से लोगों की समस्या है। जो अच्छी खासी सैलरी तो कमा लेते हैं, लेकिन खर्च के नाम पर सेविंग्स नहीं कर पाते।

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    ऐसे में हम आपको एक ऐसे नए सिस्टम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें आप खर्च से पहले बचत कर सकेंगे। जिसका नाम है- C-SIP, यानी कॉरपोरट-सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान। अब सवाल यह है कि आखिर यह सिस्टम है क्या? काम कैसे करता है? तो चलिए इसे स्टेप बाई स्टेप समझते हैं। 

    ये क्या है और काम कैसे करता है?

    C-SIP निवेश का आसान तरीका है। इसमें कंपनी आपकी सैलरी से एक फिक्स अमाउंट डिडक्ट करती है और उसे म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर देती है। मान लीजिए, आपकी सैलरी 50,000 रुपए है और 2000 रुपए की एसआईपी चुनते हैं तो कंपनी आपकी सैलरी से यह अमाउंट काट लेगी। आपको 48,000 रुपए सैलरी मिलेगी और कटा अमाउंट फंड में जमा हो जाएगा।

    इसके फायदे क्या हैं ?

    • आसान और ऑटोमैटिक निवेश : निवेश अपने आप होता है। कर्मचारी को हर महीने मैन्युअल भुगतान की जरूरत नहीं पड़ती।
    • अनुशासित निवेश: नियमित निवेश से फाइनेंशियरल डिसिप्लीन आता है और लंबे समय में संपत्ति बढ़ती है।  
    • कम लागत: कई कंपनियां C-SIP के लिए कम फीस वाली स्कीम्स चुनती हैं, जिससे निवेश सस्ता पड़ता है।  
    • टैक्स में प्रॉफिट : कुछ मामलों में कर्मचारी को टैक्स छूट भी मिल सकती है, जैसे ELSS फंड्स में।  
    • फ्लैक्सिबिलिटी: कर्मचारी अपनी जरूरत के हिसाब से निवेश राशि बदल सकता है।

    कैसे करें रजिस्ट्रेशन?

    इसके लिए आपको और आपकी कंपनी को कुछ आसान से स्टेप्स फॉलो करने होते हैं। जैसे: 

    कर्मचारी के लिए: 

    • आपको KYC डॉक्यूमेंट्स और एक कॉमन एप्लिकेशन फॉर्म फिल करना होगा।
    • आपको कंपनी को बताना होगा कि सैलरी से हर महीने कितने रुपए की SIP काटी जाए।
    • आप कौन से म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं। 

    कंपनी के लिए: 

    • कंपनी एक थर्ड पार्टी डिक्लेलेश देगी। जिसमें वह बताएगी कि यह भुगतान कर्मचारी की तरफ से किया जा रहा है।
    • एक कंसोलिडेटेड चेक देना होगा। इस चेक का मतलब है- एक ही चेक में कई भुगतानों को मिलाकर एक चेक बनाना। इसके साथ एक ऑथोराइजेशन लेटर भी देना होगा। 
    • फिर एचआर डिपार्टमेंट को SIP कटने वाले कर्मचारियों की लिस्ट भेजेगी। इसमें एम्पलॉई का नाम और SIP का अमाउंट लिखा होगा।
    • जब ये सब Asset Management Companies को मिल जाएंगी तो वह म्यूचुअल फंड में यूनिट्स अलॉट कर देंगी। 

    C-SIP की सबसे बड़ी कमी

    इसे शुरू करना जितना आसान है, उतना ही बंद करना मुश्किल है। इसे रोकने के लिए आपको एचआर को मेल करना होगा या फिर लिखित में लेटर देना होगा। हालांकि, यह उन कर्मचारियों के लिए बेहतरीन है, जो बिना ज्यादा परेशानी के निवेश शुरू करना चाहते हैं।

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