सहकारिता में सुधार प्रक्रिया शुरू, टैक्स राहत संभव
सहकारिता क्षेत्र की मुश्किलें आसान करने के लिए मंत्रालय सक्रिय हो गया है। इससे स्पष्ट है कि सहकारिता क्षेत्र के दिन जल्द बहुरने वाले हैं। को-आपरेटिव सेक्टर में सुधार की प्रक्रिया तेज गति से शुरू हो गई है।

नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। सहकारिता क्षेत्र की मुश्किलें आसान करने के लिए मंत्रालय सक्रिय हो गया है। इससे स्पष्ट है कि सहकारिता क्षेत्र के दिन जल्द बहुरने वाले हैं। को-आपरेटिव सेक्टर में सुधार की प्रक्रिया तेज गति से शुरू हो गई है। इस बात का संकेत सहकारिता मंत्री अमित शाह ने दिया था। उन्होंने कहा कि कराधान संबंधी विसंगतियों में सुधार कर उसे तर्कसंगत बनाना पहली प्राथमिकता है। टैक्स में राहत देने के बारे में गंभीरता से विचार-विमर्श किया जा रहा है। केंद्रीय वित्त और सहकारिता मंत्रालय के अधिकारियों में इसे लेकर कई दौर की वार्ता हो चुकी है। सहकारी संस्थाओं के लिए दीपावली तोहफे के रूप में इसकी घोषणा की जा सकती है।
राष्ट्रीय सम्मेलन में भी कुछ सहकारी नेताओं ने सहकारी संस्थाओं पर लगने वाले विसंगतिपूर्ण तरीके से लगाए जाने वाले टैक्स का मुद्दा उठाया था। इस पर शाह ने टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया था कि इन सभी मुद्दों पर उनका ध्यान है, जिस पर जल्दी ही कार्यवाही हो सकती है। सहकारिता मंत्रालय के अफसरों ने उसी दिन से टैक्सेशन के मसले पर कवायद शुरू कर दी थी। सूत्रों के मुताबिक इस बारे में वित्त मंत्रालय को विस्तृत ब्योरा भेजकर इसमें सुधार का आग्रह किया गया है। इससे प्राथमिक सहकारी समितियों के सदस्यों के लाभांश में वृद्धि हो सकती है।
सहकारी क्षेत्र की संस्थाओं के साथ कई तरह की विसंगतियां हैं, जिसे दूर करने की मांग साल दर साल उठाई जाती रही है, लेकिन उसमें कोई सुधार नहीं हो सका है। लेकिन नए मंत्रालय के गठन के बाद यह मुद्दा काफी अहम हो गया है। सहकारी क्षेत्र की संस्थाओं पर मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स (एमएटी) जहां 18 फीसद लगाया जाता है, वहीं कंपनी एक्ट के तहत गठित होने वाले फार्मर्स प्रोड्यू¨सग आर्गनाइजेशन (एफपीओ) पर मात्र 15 फीसद का की टैक्स व्यवस्था है। इसी तरह बड़ी कंपनियों की कुल कर-योग्य आय पर 15 फीसद का सरचार्ज वसूला जाता है, जबकि सहकारी संस्थाओं की कर-योग्य आय पर यही सरचार्ज 18.5 फीसद हो जाता है।
इस तरह के भेदभावपूर्ण व्यवहार को लेकर सहकारी संगठन अपनी आवाज लगातार उठाते रहे हैं, लेकिन मंत्रालय के पहले मंत्री अमित शाह ने इसे गंभीरता से लिया है। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को इसे तर्कसंगत बनाने को कहा गया है। सहकारी संस्थाओं के लिए यह बड़ा तोहफा साबित हो सकता है।
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