TATA ग्रुप में मचे कलेश पर आज लगेगा विराम? दो धड़े में बंटे देश के सबसे बड़े समूह के ताकतवर सदस्यों में हो सकती है सुलह
Tata Group: देश के सबसे बड़े उद्योग समूह टाटा ग्रुप में अंदरूनी कलह चल रही है, जिसे सुलझाने के लिए टाटा ट्रस्ट्स के निदेशक मुंबई में बैठक करेंगे। सरकार भी इस मामले में हस्तक्षेप कर रही है। विवाद की जड़ टाटा संस की लिस्टिंग को लेकर है, जिससे कुछ ट्रस्टी चिंतित हैं कि इससे उनके अधिकार कमजोर हो जाएंगे।
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नई दिल्ली। Tata Group: देश के सबसे बड़े उद्योग समूह टाटा ग्रुप इस समय संकट के दौर से गुजर रहा है। समूह दो हिस्सों में बंटा हुआ नजर आ रहा है। इस कलह को मिटाने के लिए आज टाटा ट्रस्ट्स के निदेशक मुंबई में बैठक करने वाले हैं। यह बैठक टाटा समूह के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक साबित हो सकती है। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब केंद्र सरकार ने इस सप्ताह चुपचाप हस्तक्षेप करके इस शक्तिशाली संस्था के भीतर बढ़ते तनाव को कम किया है, जो भारत के सबसे प्रतिष्ठित समूह के पीछे 300 अरब डॉलर की होल्डिंग कंपनी, टाटा संस के दो-तिहाई हिस्से को नियंत्रित करती है।
ब्लूमबर्ग के अनुसार, सरकारी अधिकारियों ने बुधवार को टाटा ट्रस्ट्स और टाटा संस के प्रतिनिधियों के साथ एक बंद कमरे में बैठक की। सरकार की ओर से कहा गया कि बोर्डरूम की लड़ाई सुलझाएं और कंपनी को घाटा होने से बचाए।
टाटा समूह के बीच क्यों मची है कलह?
यह दरार पिछले महीने तब और बढ़ गई जब टाटा ट्रस्ट्स के कुछ निदेशकों ने पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड से नामित निदेशक पद से हटा दिया और टाटा ट्रस्ट्स द्वारा नामित एक अन्य निदेशक वेणु श्रीनिवासन को भी हटाने की कोशिश की। दोनों को टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष नोएल टाटा का करीबी माना जाता है। अब इसी खाई को पाटने के लिए आज यानी 10 अक्टूबर को बैठक हो रही है। इस बैठक में महीनों से जारी कलह को खत्म करने की कोशिश की जाएगी।
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सूत्रों के अनुसार शुक्रवार की बैठक ट्रस्टों की दिशा और एकजुट होकर काम करने की क्षमता का रुख तय कर सकती है। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सुलह संभव हो सकती है - अगर दोनों पक्ष आंतरिक प्रतिद्वंद्विता के बजाय समूह की स्थिरता को प्राथमिकता दें।
दो हिस्सों में इस समय बंट या है टाटा समूह
एक गुट में नोएल टाटा, विजाय सिंह और श्रीनिवासन शामिल हैं। ये सभी टाटा संस के बोर्ड में सदस्य हैं। दूसरे गुट में मेहली मिस्त्री, प्रमित झावेरी, डेरियस खंबाटा और जहांगीर एच.सी. जहांगीर शामिल हैं, जिनमें से कोई भी बोर्ड में नहीं है। इस गुट ने कथित तौर पर टाटा संस के बोर्ड के निदेशकों पर महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने का आरोप लगाया है।
Tata Sons की लिस्टिंग को लेकर हो रहा है विवाद
टाटा समूह में मचे कलह की असली वजह टाटा संस के लिस्टिंग को लेकर है। ब्लूमबर्ग के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक ने टाटा संस को एक "उच्च-स्तरीय" एनबीएफसी के रूप में वर्गीकृत किया है। एनबीएफसी का मतलब कंपनी का मार्केट में लिस्ट होना। कुछ ट्रस्टियों को डर है कि आईपीओ टाटा ट्रस्ट्स के वीटो अधिकारों को कमजोर कर देगा और शक्ति अल्पसंख्यक शेयरधारकों, विशेष रूप से शापूरजी पलोनजी (SP) समूह के पास स्थानांतरित हो जाएगी, जिसके पास टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है। ऐसे में टाटा संस के अधिकांश लोग इसे लिस्ट कराने से बचना चाहते हैं।
ट्रस्टियों ने टाटा संस के अध्यक्ष एन. चंद्रशेखरन से एसपी समूह के लिए एक शांतिपूर्ण निकास रणनीति तलाशने को कहा है, जो वित्तीय तनाव में है और अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए उत्सुक है। ब्लूमबर्ग ने पहले बताया था कि एसपी समूह अपने कर्ज के बोझ को कम करने के लिए अपने शेयर टाटा संस को वापस बेचने पर विचार कर रहा है।
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