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    रंगराजन समिति के सुझावों से दोगुनी होगी गैस कीमत

    By Edited By:
    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी बेसिन स्थित डी 6 ब्लॉक की गैस कीमत का निर्धारण के लिए बनी रंगराजन समिति ने बेहद जटिल फार्मूला सुझाया है। प्रधानमंत्री की आर ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी बेसिन स्थित डी 6 ब्लॉक की गैस कीमत का निर्धारण के लिए बनी रंगराजन समिति ने बेहद जटिल फार्मूला सुझाया है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन की अध्यक्षता वाली इस समिति की सिफारिशें अगर स्वीकार की गईं तो प्राकृतिक गैस का दाम आठ डॉलर प्रति एमएमबीटीयू हो जाएगा। यह मौजूदा मूल्य 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से लगभग दोगुना होगा। यानी जटिल फार्मूले के आधार पर भी रिलायंस को फायदा मिलना तय है।

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    छह सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट 20 दिसंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंप दी है। रिपोर्ट उस वक्त आई है जब गैस कीमत को लेकर पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ रिलांयस की भिड़ंत चल रही है। डी 6 के लिए 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (गैस की यूनिट) दर वाला वर्तमान अनुबंध 31 मार्च 2013 में खत्म हो जाएगा। वैसे, अभी यह साफ नहीं है कि रिलायंस के साथ हुए मौजूदा तेल व गैस अनुबंध में भी इस फार्मूले से दाम तय किए जाएंगे।

    समिति ने सुझाया है कि अमेरिका, यूरोप व जापान के बाजारों की तरह ईधन के औसत और आयातित तरल प्राकृतिक गैस की कीमत के आधार पर घरेलू प्राकृतिक गैस के दाम निर्धारित किए जाएं। समिति ने अगले पांच साल में सभी तरह की गैस कीमतों में प्रतिस्पर्धा लाने की भी सलाह दी है। इससे यह क्षेत्र पूरी तरह नियंत्रणमुक्त हो जाएगा। यही वजह है कि समिति ने घरेलू उत्पादित गैस का दाम जटिल औसत फार्मूले पर तय करने की सिफारिश की है। समिति को भविष्य में गैस व तेल के उत्पादन व विस्तार के बारे में अनुबंधों को लेकर सुझाव देने को भी कहा गया था।

    मौजूदा उत्पादन भागीदारी समझौते (पीएससी) के तहत अनुबंधकर्ता कंपनी को निविदा मंगाकर ऐसे दाम का निर्धारण करना होता है जो आम उपभोक्ताओं की पहुंच के भीतर हो। वास्तव में रंगराजन कमेटी ने कंपनी आधारित मूल्य पर जोर दिया है तो अब सरकार के पास भी दाम के निर्धारण का समान अवसर होगा। अब तक सरकार के पास केवल कंपनियों की ओर से निर्धारित कीमत पर मुहर लगाने का विकल्प था। इस प्रणाली की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी खिंचाई की है।

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