Battery Cell Production में देश को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी, 2030 तक होगा 9 बिलियन डॉलर का निवेश
Battery Production in India आईसीआरए ने कहा है कि ज्यादा से ज्यादा सेल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की स्थापना होने से देश में रिसर्च और इनोवेशन इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा और भारत के पर्यावरण के अनुकूल बैटरी बनाने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली, एजेंसी: इलेक्ट्रिक वाहन, मोबाइल फोन, लैपटॉप और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में आज बड़े पैमाने पर बैटरी का उपयोग हो रहा है। भविष्य में इसका इस्तेमाल और अधिक बढ़ने की संभावना है। इसी को देखते हुए कंपनियां भी बड़े पैमाने में बैटरी सेल मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दे रही है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने एक रिपोर्ट जारी है, जिसमें बताया गया है कि भविष्य में साल दर साल बढ़ती मांग के चलते 2030 तक सेल मैन्युफैक्चरिंग में करीब 9 बिलियन डॉलर (करीब 70,000 करोड़ रुपये) का निवेश देखने को मिल सकता है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि इस अवधि के दौरान इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी की अनुमानित मांग 15 गीगावॉट से बढ़कर 60 गीगावॉट तक पहुंच सकती है। बैटरी मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट पूरे ईवी इकोसिस्टम के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इस पर सभी लोगों का ध्यान है। भविष्य में बैटरी की लागत में कमी के कारण ही महंगी ईवी की कीमत में कमी आएगी। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में कहा गया कि देश चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी बदलाव आया है और पहुंच बढ़ी है।
देश में नहीं होता बैटरी सेल का निर्माण
आईसीआरए के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट शमशेर दीवान का कहना है कि मौजूदा समय में ईवी में बैटरी सबसे महंगा घटक होता है, जोकि पूरी ईवी की लागत का 35-40 फीसदी तक होता है। वर्तमान में भारत में बैटरी सेल का निर्माण नहीं किया जाता है। ओईएम बैटरी की मांग को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशों पर निर्भर है। भारत में बैटरी मैन्युफैक्चरिंग केवल बैटरी पैक की असेंबली तक ही सीमित है।
बैटरी सेल के निर्माण के लिए पीएलआई स्कीम
भारत सरकार ने हाल ही में पीएलआई स्कीम के तहत तीन कंपनियों के साथ एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज विकसित करने के लिए एग्रीमेंट किया है। बता दें, पीएलआई स्कीम के तहत सरकार कंपनियों को इंसेंटिव देकर प्रोत्साहित करती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।