जेआरडी टाटा से किराये पर विमान लेते थे चीन के प्रधानमंत्री, एयर इंडिया समेत 14 कंपनियों की रखी थी नींव
JRD Tata 120th Birth Anniversary जेआरडी टाटा को भारतीय सिविल एविएशन का पितामह का कहा जाता है। वह भारत के पहले आधिकारिक पायलट थे। उन्होंने ही भारत की पहली विमानन कंपनी की शुरुआत की। उन्होंने टीसीएस टाटा मोटर्स टाटा सॉल्ट और टाइटन जैसी सफल कंपनियों की नींव रखी। आइए जानते हैं कि किस तरह से चीन के प्रधानमंत्री भी उनसे विमान किराये पर लिया करते थे।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आज चीन की अर्थव्यवस्था का लोहा पूरी दुनिया मानती है। वह अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है। लेकिन, एक वक्त जब ड्रैगन बेहद गरीब था, यहां तक कि भारत से भी ज्यादा। करीब सात दशक पहले चीन के प्रधानमंत्री चू ऐन लाई अक्सर विदेश यात्रा के लिए भारत से किराये पर विमान लेते थे। और उन्हें किराये पर विमान देने वाले शख्स थे, जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (JRD Tata)।
चू ऐन ने पहली दफा टाटा से विमान किराये पर लिया 1954 के मध्य में। तब वह भारत ही आने वाले थे, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मिलने। चू ऐन ने जेआरडी टाटा से पत्र से लिखकर किराये पर विमान उपलब्ध कराने की गुजारिश की। उस वक्त तक भारत सरकार के पास भी अपना विमान नहीं था। केंद्र सरकार में नागर विमानन विभाग जरूर था, लेकिन उसका सिर्फ सर्टिफिकेट, लाइसेंस आदि देने तक ही सीमित था।
उस समय विमानन सेवा के सर्वेसर्वा जेआरडी टाटा ही थे। एयर इंडिया बस बतौर निगम काम करता था। चीन के प्रधानमंत्री के लिए विमान उपलब्ध कराने की बात जेआरडी टाटा के पत्र से भी जाहिर होती है, जिसे उन्होंने नेहरू को लिखा था। इसमें टाटा ने लिखा था, ‘मुझे खुशी है कि चीन के प्रधानमंत्री के लिए हमने जिस उड़ान की व्यवस्था की थी, वह ठीक रही। चीन के प्रधानमंत्री ने हमारी सेवा की प्रशंसा की’।
बचपन से ही उड़ान के शौकीन थे टाटा
जेआरडी टाटा की बचपन से हवाई उड़ानों में खास दिलचस्पी थी। उन्होंने टाटा एयरलाइंस की नींव भले ही 1932 में रखी, लेकिन टाटा साल 1919 में शौकिया तौर पर हवाई जहाज उड़ा चुके थे। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 15 साल थी। हालांकि, उन्हें पायलट का आधिकारिक लाइसेंस लेने के करीब एक दशक का इंतजार करना पड़ा। उन्हें पायलट का लाइसेंस 1929 में मिला। वह पहले हिंदुस्तानी थे, जिन्होंने यह तमगा हासिल किया था। उन्हें भारत में सिविल एविएशन के पितामह का दर्जा मिला।
जेआरडी 1938 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 34 साल थी। वह 1991 तक इस पद पर बने रहे। सरकार ने सिर्फ एक ही उद्योगपति को अब भारत रत्न से नवाजा है, और वह शख्स जेआरडी टाटा ही हैं।
कर्मचारियों के लिए क्रांतिकारी योजनाएं
जेआरडी अपने ग्रुप के कर्मचारियों को परिवार का हिस्सा समझते थे। उन्होंने कॉरपोरेट जगत में कई क्रांतिकारी सुधार किए। जेआरडी ने कुल 14 नई कंपनियों की शुरुआत की। इनमें टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाटा सॉल्ट और टाइटन जैसी सफल कंपनियों के नाम शुमार हैं। जेआरडी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की तर्ज पर 1956 में टाटा प्रशासनिक सेवा (TAS) का आगाज किया। इसका मकसद टाटा ग्रुप में युवा प्रतिभाओं को ट्रेनिंग देकर लीडरशिप के लिए तैयार करना था।
टाटा ने अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए कई काम किए। टाटा ने ही सबसे पहले कर्मचारियों के लिए 8 घंटे की कार्यसीमा तय की। अपने कर्मचारियों के लिए फ्री मेडिकल सुविधा और भविष्य निधि योजना की भी शुरू की। किसी कर्मचारी के साथ दुर्घटना होने की स्थिति मुआवजा देने की पहल भी सबसे पहले उन्होंने ही की।
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