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    दूसरी तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका, दुनिया पर गहराया आर्थिक मंदी का खतरा

    चीन में COVID लॉकडाउन ने औद्योगिक गतिविधियों को प्रभावित किया है जिससे मंदी का खतरा भी गहरा हो गया है। विश्लेषकों का अनुमान है कि पूरे साल के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की दर सरकार के लक्ष्य 5.5 फीसद से बहुत पीछे रह जाएगी।

    By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Fri, 15 Jul 2022 01:43 PM (IST)
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    China GDP growth collapsed in the second quarter

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वर्ष की दूसरी तिमाही में चीन की आर्थिक वृद्धि की दर तेजी से नीचे आई है। करों में बेतहाशा वृद्धि और कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते सख्त लॉकडाउन से चीन में आर्थिक गतिविधियों में भारी कमी आई है। शुक्रवार के जारी आंकड़े वैश्विक मंदी की आशंका को और बढ़ा रहे हैं। बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकारें ब्याज दरें बढ़ाती जा रही हैं, लेकिन इससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों को अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उधर यूक्रेन युद्ध के चलते सप्लाई चेन को बनाए रखने की चुनौतियां पहले से मुंह बाए खड़ी हैं।

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    रायटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को जारी चीनी अर्थव्यवस्था के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में मामूली वृद्धि हुई है। एक साल पहले की तुलना में इसमें 0.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए यह एक बेहद निराश करने वाला आंकड़ा है। इससे पहले रायटर्स ने चीन के जीडीपी आंकड़ों में 1 फीसद बढ़ोतरी का पूर्वानुमान लगाया था।

    खराब दौर में चीन की अर्थव्यवस्था

    टोक्यो में दाईची लाइफ रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख अर्थशास्त्री टोरू निशिहामा ने कहा, "चीन की अर्थव्यवस्था ढहने के कगार पर खड़ी है। मुद्रास्फीति से उपजी हुई मंदी मई-जून में सबसे खराब स्थिति में देखी गई है। इसमें लगातार दो तिमाहियों के दौरान संकुचन देखा गया है। संभावना है कि चीन की सरकार इसके सुधार के लिए आर्थिक प्रोत्साहन उपायों को लागू करें। लेकिन ब्याज में कटौती की आशंकाएं जस की तस बनी हुई हैं।"

    मार्च और अप्रैल के महीने में चीन के अधिकांश बड़े शहरों में आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया। इसके चलते चीन की वाणिज्यिक राजधानी कहे जाने वाले शंघाई शहर का जीडीपी में योगदान 13.7 फीसद कम हो गया। शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों से पता चला है कि चीन का औद्योगिक उत्पादन एक साल पहले की तुलना में जून में 3.9 फीसद बढ़ा। जबकि मई में इसमें 0.7 फीसद की वृद्धि देखी गई थी। खुदरा बिक्री में भी सुधार हुआ और यह जून 2021 के मुकाबले में 3.1 प्रतिशत अधिक था। पिछले 4 महीनों में सबसे तेज वृद्धि है।

    चीन में रोजगार की स्थिति भी नाजुक बनी हुई है। राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण पर आधारित बेरोजगारी जून में 5.9 फीसद से घटकर 5.5 फीसद हो गई। यह सरकार के लक्ष्यों के अनुरूप है, लेकिन इसके उलट युवा बेरोजगारी जून में 19.3 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।

    इन सबके बावजूद चीन की सरकार अपनी सख्त नीतियों पर अड़ी हुई है। जीरो-कोविड पॉलिसी और रियल स्टेट बाजार में आई मंदी को देखते हुए वहां की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां बहुत गहरी हो गई हैं। कोरोना के एक अत्यधिक संक्रामक BA.5 वैरिएंट का पता चलने के बाद कुछ नए शहरों में लॉकडाउन की चर्चा ने व्यवसायों और उपभोक्ताओं की चिंताओं को और भी गहरा कर दिया है।