चीन ने बैटरी और ईवी में भारत की PLI स्कीम के खिलाफ WTO में की शिकायत, इसे नियमों के विरुद्ध बताया
China India Trade News: चीन में EV बनाने की अत्यधिक क्षमता और प्राइस वॉर के बीच घरेलू बिक्री के साथ मुनाफा घटा है। चाइनीज कंपनियां विदेशी मार्केट, खासकर EU और एशिया में संभावनाएं तलाश रही हैं। संभवतः यही कारण है कि चीन ने डब्लूटीओ में भारत की पीएलआई स्कीम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

भारत के खिलाफ डब्लूटीओ गया चीन
China India Trade News: चीन ने कुछ सेक्टर के लिए भारत की प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) स्कीम के खिलाफ WTO में शिकायत की है। उसका कहना है कि एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली पीएलआई स्कीम में कुछ शर्तें ग्लोबल ट्रेड नियमों का उल्लंघन करती हैं।
जिनेवा मुख्यालय वाले WTO के एक कम्युनिकेशन के मुताबिक, चीन ने WTO के डिस्प्यूट सेटलमेंट मैकेनिज्म के तहत इन उपायों पर भारत से बातचीत करने की मांग की है। बीजिंग ने कहा है कि भारत के अपनाए गए उपाय इम्पोर्टेड सामान के बजाय घरेलू सामान के इस्तेमाल पर निर्भर हैं, और इस तरह चीनी सामान के साथ भेदभाव करते हैं।
ये उपाय SCM (सब्सिडी और काउंटरवेलिंग मेजर्स) एग्रीमेंट, GATT (जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड) 1994 और TRIMs (ट्रेड-रिलेटेड इन्वेस्टमेंट मेजर्स) एग्रीमेंट के तहत भारत की जिम्मेदारियों के हिसाब से नहीं हैं।
WTO की तरफ से 20 अक्टूबर को जारी कम्युनिकेशन में कहा गया है, “...ये उपाय बताए गए एग्रीमेंट के तहत चीन को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मिलने वाले फायदों को खत्म या कम करते दिख रहे हैं।” इसमें आगे कहा गया है कि चीन को भारत का जवाब मिलने और कंसल्टेशन के लिए आपसी सहमति वाली तारीख पर सहमत होने का इंतजार है।
चीन की यह शिकायत भारत के कुछ ऐसे उपायों से जुड़ी है जो ऑटोमोटिव और रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी सेक्टर में ट्रेड पर असर डालते हैं। शिकायत में कहा गया है कि स्कीम में कुछ ऐसी शर्तें हैं जो इन्सेंटिव के लिए पात्रता और उनके डिस्बर्समेंट को तय करती हैं।
अपनी शिकायत में चीन ने तीन प्रोग्राम का जिक्र किया है - प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव, नेशनल प्रोग्राम ऑन एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरी स्टोरेज, ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम और भारत में इलेक्ट्रिक कारों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की स्कीम।
क्या है WTO की व्यवस्था
भारत और चीन दोनों वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) के सदस्य हैं। अगर किसी सदस्य देश को लगता है कि किसी दूसरे सदस्य देश की पॉलिसी या स्कीम के तहत कोई उपाय उसके कुछ एक्सपोर्ट को नुकसान पहुंचा रहा है, तो वह WTO के डिस्प्यूट सेटलमेंट मैकेनिज्म के तहत शिकायत दर्ज कर सकता है।
WTO के नियमों के अनुसार, डिस्प्यूट सेटलमेंट प्रक्रिया का पहला कदम कंसल्टेशन है। अगर इसका कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकलता है, तो चीन WTO इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए एक पैनल बनाने की मांग कर सकता है।
भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है चीन
पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत का निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 14.25 अरब डॉलर रह गया, जबकि 2023-24 में यह 16.66 अरब डॉलर था। हालांकि, आयात 2024-25 में 11.52 प्रतिशत बढ़कर 113.45 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 में यह 101.73 अरब डॉलर था। 2024-25 के दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 99.2 अरब डॉलर हो गया।
भारत की EV सब्सिडी के बारे में चीन की शिकायत ऐसे समय में आई है जब बीजिंग भारत को अपने इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात बढ़ाना चाहता है। भारत के ऑटोमोबाइल बाजार के आकार और संभावनाओं को देखते हुए चीन के ईवी निर्माताओं की इस पर नजर है।
चीन में घट रही है घरेलू बिक्री की रफ्तार
हाल की रिपोर्ट्स के मुताबिक EV बनाने की अत्यधिक क्षमता और प्राइस वॉर के बीच चीन में घरेलू बिक्री के साथ मुनाफे में गिरावट आई है। अब BYD जैसी चीनी हाइब्रिड कार बनाने वाली कंपनियां विदेशी मार्केट, खासकर EU और एशिया में तलाश कर रही हैं।
चाइना पैसेंजर कार एसोसिएशन (CPCA) के मुताबिक चीन की करीब 50 EV बनाने वाली कंपनियों ने साल के पहले आठ महीनों में कुल 20.1 लाख इलेक्ट्रिक और प्लग-इन हाइब्रिड गाड़ियां निर्यात कीं, जो एक साल पहले इसी समय की तुलना में 51 प्रतिशत ज्यादा है। हाल में चीनी EV कंपनियों को विदेशों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यूरोपियन यूनियन ने चीनी EVs पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है ताकि उनकी बिक्री सीमित हो सके।
घरेलू मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए भारत के कदम
भारत सरकार ने EV की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक-व्हीकल पॉलिसी और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम जैसे कई कदम उठाए हैं। सरकार ने मई 2021 में "नेशनल प्रोग्राम ऑन एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरी स्टोरेज" के तहत PLI ACC स्कीम को मंजूरी दी है। इसमें पांच साल के लिए 50 GWh कैपेसिटी के लिए 18,100 करोड़ रुपये का खर्च शामिल है। इस स्कीम का मकसद घरेलू सेल प्रोडक्शन को बढ़ाना, आयात पर निर्भरता कम करना और सेल मैन्युफैक्चरिंग की कुल लागत कम करना है।
सितंबर 2021 में केंद्र ने 25,938 करोड़ रुपये के बजट के साथ ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स के लिए एक PLI स्कीम को मंजूरी दी थी। इस स्कीम का मकसद इंडस्ट्री को मैन्युफैक्चरिंग की दिक्कतों को दूर करना और भारत में एडवांस्ड ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (AAT) प्रोडक्ट्स की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है।
पिछले साल मार्च में सरकार ने भारत को एक मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के तौर पर बढ़ावा देने के लिए एक स्कीम को मंजूरी दी थी ताकि देश में नवीनतम टेक्नोलॉजी वाली ई-गाड़ियां बनाई जा सकें। यह पॉलिसी दुनिया भर के जाने-माने EV मैन्युफैक्चरर्स से ई-वाहन के क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए बनाई गई है।
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