हांगकांग के रास्ते चीन भेज रहा माल, सरकार कर रही है हांगकांग के साथ बढ़ते व्यापार घाटे की समीक्षा
चीन से होने वाले आयात पर भारत की कड़ी नजर को देख चीन भारत में माल भेजने के लिए हांगकांग का रास्ता अपना रहा है।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। चीन से होने वाले आयात पर भारत की कड़ी नजर को देख चीन भारत में माल भेजने के लिए हांगकांग का रास्ता अपना रहा है। यही वजह है कि वित्त वर्ष 2019-20 में चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे में कमी आई, लेकिन हांगकांग के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ गया। सूत्रों के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय हांगकांग के साथ बढ़ते व्यापार घाटे की समीक्षा कर रहा है। ताकि हांगकांग रूट से आने वाले चीनी सामान पर रोक लगाई जा सके।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में चीन के साथ भारत का निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 के 13.33 अरब डॉलर से बढ़कर 16.93 अरब डॉलर हो गया। वित्त वर्ष 2019-20 में चीन से भारत का आयात 2018-19 के 76.38 अरब डॉलर से घटकर 65.26 अरब डॉलर का रह गया। परिणामस्वरूप गत वित्त वर्ष में व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2018-19 के 63.05 अरब डॉलर से घटकर 48.66 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक दूसरी ओर हांगकांग के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ रहा है। 2019-20 में हांगकांग को भारत ने 10.96 अरब डॉलर का निर्यात किया जबकि हांगकांग से भारत ने 16.93 अरब डॉलर का आयात किया। इस प्रकार वित्त वर्ष 2019-20 में हांगकांग के साथ भारत का व्यापार घाटा 5.97 अरब डॉलर का रहा।
निर्यातकों के मुताबिक चीन और हांगकांग के साथ व्यापार की समग्रता पर ध्यान देने की आवश्यकता है। चीन से बढ़ते व्यापार घाटे को देखते हुए भारत इसे कम करने के लिए फार्मा व अन्य वस्तुओं के लिए चीन के बाजार को खोलने के लिए दबाव डाल रहा था। इसे देखते हुए चीन माल भेजने के लिए हांगकांग का रास्ता अपना रहा है। निर्यातकों के इस इनपुट पर वाणिज्य मंत्रालय हांगकांग से होने वाले आयात पर कड़ी नजर रखने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक उन सभी रूट पर सरकार नजर रख रही है जहां से चीन का माल आ सकता है।
वियतनाम और बांग्लादेश पर भी निगरानी की जरूरत
वियतनाम का चीन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) होने की वजह से चीन का सामान वियतनाम में धड़ल्ले से आ-जा सकता है। विदेश व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के कारोबारी इस एफटीए का फायदा उठाते हुए अपने माल को वियतनाम के रूट से भारत में आसानी से भेज सकते हैं। क्योंकि वियतनाम से आने वाले सामान को वियतनाम का माना जाएगा भले ही वह चीनी सामान हो।
निर्यातकों ने बताया कि इन दिनों चीन की नजर बांग्लादेश पर भी है और सस्ते श्रमिक मिलने की वजह से बांग्लादेश में चीनी कंपनियां निवेश करने की योजना बना रही है। बांग्लादेश को लीस्ट डेवलप्ड कंट्री (एलडीसी) का दर्जा प्राप्त है जिस कारण यूरोप से लेकर भारत तक में बांग्लादेश से जाने वाले सामान पर ड्यूटी नहीं लगती है। इसका फायदा बांग्लादेश में निवेश करने वाली कंपनियां उठा रही हैं।