भारत की EV इंडस्ट्री को तबाह करने के लिए चीन की नई चाल, हिंदुस्तान तैयार; ड्रैगन के वार का ऐसे देगा जवाब
China EV Battery Ban चीन ने प्रमुख बैटरी प्रौद्योगिकियों के निर्यात पर नए नियम लागू किए हैं। इन नए नियमों का असर भारत पर भी पड़ेगा। लेकिन हिंदुस्तान इसे एक अवसर और चुनौती के रूप में देख रहा है। चीन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत कई देशों के साथ डील करने पर विचार भी कर रहा है।

नई दिल्ली। चीन ने दुलर्भ खनिजों पर प्रतिबंध लगाकर कई देशों की अर्थव्यस्था पर हमला बोलना चाहा। अब एक बार फिर से चीन ने बैटरी प्रौद्योगिकी से जुड़े निर्यात पर सख्त प्रतिबंध (China EV Battery Ban) लगा दिए हैं। इसका सीधा असर इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र पर पड़ेगा। चीन के इस कदम से भारत समेत कई बड़े देशों की आपूर्ति श्रृंखला और नीतियों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। चीन के इस प्रतिबंध से भारत पर क्या असर पड़ेहा और भारत इसके लिए कितना तैयार है। आइए समझने की कोशिश करते हैं।
इनमें लिथियम आयरन फॉस्फेट (LFP) और लिथियम मैंगनीज आयरन फॉस्फेट (LMFP) बैटरी कैथोड बनाने की विधि शामिल हैं। इसके साथ चीन ने ब्राइन और स्पोड्यूमीन से लिथियम निष्कर्षण और शोधन की हाई टेक्नोलॉजी के निर्यात पर भी रोक (china battery export restriction) लगा दी है। इस तरह की तकनीकों को दूसरे देशों को भेजने के लिए निर्यातकों को चीनी सरकार से विशेष अनुमति लेनी होगी।
चीन के नए प्रतिबंध से भारत पर क्या असर पड़ेगा?
भारत लिथियम-आयन बैटरी की जरूरतों, जैसे कैथोड सामग्री और मशीनरी, के लिए बहुत हद तक चीन पर निर्भर है। ऐसे में नए नियमों से भारत के इलेक्ट्रिक वाहन और रिन्यूबल एनर्जी के क्षेत्र में असर पड़ सकता है। भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने का। ऐसे में चीन के प्रतिबंध से इस लक्ष्य को पूरा करने में थोड़ी कठिनाई आ सकती है।
ग्रेफाइट और रेयर अर्थ एलिमेंट्सपर प्रतिबंध लगाए जाने का असर भी सौर पैनल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योग प्रभावित हुए हैं। अब बैटरी टेक्नोलॉजी पर प्रतिबंध लगाने से जोखिम और बढ़ सकता है।
चीन के नए प्रतिबंध के बाद भारत कितना तैयार?
भारत इलेक्ट्रिक वाहनों और रिन्यूबल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए पिछले 10 सालों में कई बड़े कदम उठाए हैं। मोदी सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना और FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles) योजना बैटरी उत्पादन जैसी योजनाएं लोगों को ईवी अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। बैटरी सामग्री और तकनीक के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर हैं। ऐसे में चीन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को भारत एक अवसर और चुनौती के रूप में देख रहा है।
भारत इस दिशा में खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी काम कर रहा है। चीन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों से लिथियम आपूर्ति बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही है। इसके साथस्थानीय बैटरी उत्पादन और नई तकनीकों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाओं पर भी काम चल रहा है।
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