Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जल्दी-जल्दी नौकरी बदलना होगा मुश्किल, सुप्रीम कोर्ट ने एम्प्लॉयर के पक्ष में सुनाया ये बड़ा फैसला

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सर्विस बॉन्ड (Employment Bond) व्यापार पर रोक नहीं है और कंपनियां इसे तोड़ने वाले कर्मचारियों से उनकी ट्रेनिंग पर हुए खर्च को वसूल सकती हैं। व्यापार पर रोक का मतलब होता है कि कर्मचारी को उसके पेशे को न करने पर मजबूर करना जो कि कॉन्ट्रैक्ट एक्ट की धारा 27 के तहत प्रतिबंधित है।

    By Mansi Bhandari Edited By: Mansi Bhandari Updated: Tue, 20 May 2025 01:50 PM (IST)
    Hero Image
    कर्मचारियों को बॉन्ड तोड़कर जॉब छोड़ना पड़ेगा महंगा, सुप्रीम कोर्ट ने किया ये फैसला

    नई दिल्ली। जल्दी-जल्दी नौकरी बदलने वाले कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि नियोक्ता अपने कर्मचारी पर सर्विस बॉन्ड लागू कर सकते हैं। इस बॉन्ड को तोड़ने पर नियोक्ता उस कर्मचारी से प्रशिक्षण लागत वसूल कर सकती हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह अपने इस फैसले में कहा कि नियोक्ता अब सर्विस बॉन्ड लागू कर सकते हैं। कंपनियां इसमें कर्मचारियों के लिए एक न्यूनतम कार्य अवधि तय कर सकती हैं और समय से पहले नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों से प्रशिक्षण लागत वसूल सकती हैं। इसे देश के अनुबंध कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

    क्या है मामला?

    विजया बैंक के एक कर्मचारी प्रशांत नरनावरे को तीन साल की अनिवार्य सेवा पूरी किए बिना नौकरी छोड़ने पर 2 लाख रुपये ‘लिक्विडेटेड डैमेज’ (जुर्माना) के रूप में चुकाने के लिए कहा गया था। इसके खिलाफ उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट ने नरनावरे के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उस आदेश पर रोक लगा दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई के अपने आदेश में कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया।

    कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "नियोक्ता-कर्मचारी संबंध, टेक्निकल डेवलपमेंट, काम की प्रकृति, रीस्किलिंग और एक मुक्त बाजार में विशेषज्ञ कार्यबल को बनाए रखने जैसे मुद्दे अब सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में उभर रहे हैं। इन्हें रोजगार अनुबंध की शर्तों का मूल्यांकन करते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए।"

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विजया बैंक की नियुक्ति पत्र में दिया गया सर्विस बॉन्ड "व्यापार पर रोक" नहीं है, जो कॉन्ट्रैक्ट एक्ट की धारा 27 के तहत प्रतिबंधित है।

    सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकार्ड अश्विनी दुबे कहते हैं, इस फैसले का प्राइवेट सेक्टर और पब्लिक सेक्टर दोनों पर बड़ा असर पड़ेगा। कर्मचारी अब मनमाने तरीके से नौकरी नहीं बदल सकेंगे। सर्विस बॉन्ड का अब सिर्फ नाम के नहीं हाेंगे, उनकी अब प्रासंगिकता भी होगी।

    दुबे ने कहा, यह फैसला उन कंपनियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा जो अपने कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने में काफी समय और धन खर्च करती हैं। खासतौर पर आईटी, बैंकिंग और तकनीकी क्षेत्रों में, जहां कर्मचारियों का टर्नओवर रेट अधिक है, यह फैसला कंपनियों को आर्थिक नुकसान से बचाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, यह फैसला नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक कदम है।

    हालांकि, उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि कंपनियों को बॉन्ड की शर्तें तय करते समय उचित और तर्कसंगत होना चाहिए, ताकि इसे अनुचित या दमनकारी न माना जाए।