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    Global Supply Chain में बदलाव का असर- कैसे चीन से अमेरिका को निर्यात घटा, लेकिन भारत से बढ़ा

    Global Supply Chain Shift मई 2025 के ट्रेड के आंकड़े अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव को दिखाते हैं। दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात में काफी गिरावट आई है। चीन से अमेरिका को निर्यात तेजी से घटा है लेकिन चीन ने भारत यूरोपियन यूनियन और आसियान जैसे देशों को निर्यात बढ़ाया है। विशेषज्ञ चीन से डंपिंग पर नजर रखने की सलाह देते हैं।

    By Jagran News Edited By: Sunil Kumar Singh Updated: Tue, 17 Jun 2025 01:08 PM (IST)
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    कैसे चीन से अमेरिका को निर्यात घटा, लेकिन भारत से बढ़ा

    नई दिल्ली। चीन ने 10 जून को और उसके बाद भारत ने 16 जून को मई के आयात-निर्यात के आंकड़े जारी किए। ये आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर वैश्विक व्यापार को नया आकार (global supply chain) दे रही है। इन आंकड़ों से मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव और संरक्षणवादी ट्रेड वातावरण के बीच भारत के लिए बढ़ते जोखिम का भी पता चलता है।

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    चाइना कस्टम्स ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उनसे पता चलता है कि अमेरिका को चीन के निर्यात में काफी गिरावट (China‑U.S. trade decline) आई है। चीन का निर्यात भारत, यूरोपीय यूनियन और आसियान जैसे देश की ओर बढ़ा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी के क्षेत्र में भारत के आयात में वृद्धि हुई है और यह आयात मुख्य रूप से चीन से बढ़ा है। इसके साथ ही अमेरिका को भारत के निर्यात में भी वृद्धि (India export growth) हुई है।

    अमेरिका को चीन का निर्यात 34.5 प्रतिशत घटा

    मई 2024 में चीन ने कुल 302.1 अरब डॉलर का निर्यात किया था। मई 2025 में उसका निर्यात 4.6 प्रतिशत बढ़कर 316.2 अरब डॉलर हुआ। लेकिन अमेरिका को चीन के निर्यात में 34.5 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 44 अरब डॉलर से घटकर सिर्फ 28.8 अरब डॉलर रह गया।

    अमेरिका को चीन के निर्यात में गिरावट की भरपाई काफी हद तक दूसरे देशों को निर्यात से हुई है। भारत को उसका निर्यात 12.4 प्रतिशत बढ़कर 11.13 अरब डॉलर हो गया। आसियान देशों को उसका निर्यात 15% बढ़कर 58.4 अरब डॉलर और यूरोपियन यूनियन को 12% बढ़कर 49.5 अरब डॉलर हो गया।

    भारत के वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़े भी इस ट्रेंड को बताते हैं। भारत का कुल मर्केंडाइज आयात मई 2024 के 61.7 अरब डॉलर से 1.8 प्रतिशत घटकर 60.6 अरब डॉलर रह गया। यह गिरावट मुख्य रूप से कच्चा तेल और सोने के आयात में कमी की वजह से हुई।

    अगर पेट्रोलियम, सोना और हीरे को छोड़ दें तो भारत का आयात वास्तव में 12 प्रतिशत बढ़ा है। यह 36.8 अरब डॉलर से बढ़कर 41.2 अरब डॉलर हो गया। आयात के जीएसटी आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं। मई 2024 में भारत को आईजीएसटी (IGST) के रूप में 24,510 करोड़ रुपए की आय हुई थी, जो पिछले महीने 72.9 प्रतिशत बढ़कर 42,370 करोड़ रुपए हो गई। पेट्रोलियम पदार्थ जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। इसलिए आईजीएसटी कलेक्शन में इतनी बड़ी वृद्धि आयात में वृद्धि का संकेत देती है।

    भारत का आयात चीन से बढ़ा, अमेरिका को निर्यात में वृद्धि

    भारत के आयात में सबसे ज्यादा वृद्धि दो कैटेगरी में हुई है। एक है इलेक्ट्रॉनिक्स और दूसरा मशीनरी तथा कंप्यूटर। इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात 27.5 प्रतिशत बढ़कर 9.1 अरब डॉलर हो गया। मशीनरी और कंप्यूटर आयात में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह पांच अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस वृद्धि का बड़ा हिस्सा चीन से आया है। चीन और हांगकांग से भारत का आयात 22.4 प्रतिशत बढ़ा है और यह 9.8 अरब डॉलर से बढ़कर 12 अरब डॉलर हो गया है। इस बीच, अमेरिका को भारत के निर्यात में 17.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कुल निर्यात 8.8 अरब डॉलर का रहा। यह वृद्धि मुख्य रूप से स्मार्टफोन शिपमेंट की वजह से हुई है।

    भारत को संतुलित व्यापार समझौते की जरूरत

    ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, मई 2025 के ट्रेड आंकड़े अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाते हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार के आंकड़े काफी गिरे हैं। अगर दोनों देश टैरिफ घटाने के लिए किसी डील पर सहमत होते हैं तो स्थिति बदल सकती है।

    जहां तक भारत की बात है, तो श्रीवास्तव के मुताबिक वैश्विक परिदृश्य काफी जटिल लग रहा है। उनका कहना है कि मध्य-पूर्व देशों में युद्ध के हालात बिगड़ रहे हैं। खासकर ईरान, इजरायल, हूती और हमास के बीच। इससे महत्वपूर्ण शिपिंग रूट और ऑयल सप्लाई बाधित होने की आशंका है। ऐसे माहौल में जब वैश्विक व्यापार अधिक संरक्षणवादी होता जा रहा है, भारत को सावधानीपूर्वक चलने की जरूरत है। भारत को सिर्फ संतुलित व्यापार समझौते पर आगे बढ़ना चाहिए तथा घरेलू स्तर पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार करना चाहिए।