सर्च करे
Home

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अब पंचायतों की होगी चांदी, आय बढ़ाने के लिए नियम बनाने की तैयारी में केंद्र सरकार

    Updated: Fri, 22 Nov 2024 07:08 PM (IST)

    ग्रामीण भारत में पंचायतें शासन व्यवस्था का काफी अहम हिस्सा हैं। लेकिन पंचायतों की आय अभी नाममात्र है। उन्हें संविधान ने कई तरह के कर लगाने के अधिकार दे रखे हैं मगर राज्य सरकारों ने कभी पंचायतों की कमाई को बढ़ावा देने की कोशिश ही नहीं की। हालांकि अब केंद्र पंचायतों की कमाई बढ़ाने की कोशिश कर रही है। वह इसके लिए आदर्श नियम बनाने की तैयारी में भी है।

    Hero Image
    कई राज्यों ने पंचायतों की अपने संसाधनों से आय के लिए नियम बनाए हैं।

    जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। पंचायतों के विकास के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन स्थानीय ग्रामीण निकायों को आत्मनिर्भर बनाने में राज्यों की ही रुचि नहीं है। संविधान ने अनुच्छेद 243एच में प्रविधान किया है कि राज्य विधानमंडल पंचायतों को कर, शुल्क, पथकर आदि लगाने का अधिकार दे सकते हैं। इसके लिए राज्य विधानमंडल कानून बना सकता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि राज्य इसके प्रति उदासीन हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कई राज्यों ने पंचायतों की अपने संसाधनों से आय के लिए नियम बनाए हैं, लेकिन ज्यादा अधिकार नहीं दिए। अब केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए आदर्श नियम बनाने जा रही है। हाल ही में पंचायतीराज मंत्रालय ने केंद्रीय वित्त आयोग के साथ मिलकर राज्य वित्त आयोगों का सम्मेलन आयोजित किया। इसमें एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें यह चिंताजनक तथ्य सामने आया कि देशभर की ग्राम पंचायतों की प्रति व्यक्ति से औसत राजस्व प्राप्ति (ओन सोर्स रेवेन्यू) मात्र 59 रुपये है।

    यह भी तब है, जबकि आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी ने पंचायतों की अपने संसाधनों से आय के लिए नियम बना रखे हैं। बाकी राज्यों ने वह भी नहीं बनाए।

    वित्त आयोग ने भी जताई चिंता

    15वें केंद्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने इस पर चिंता जताते हुए जोर दिया कि पंचायतों को विकास और बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए अपने आय संसाधन बढ़ाने होंगे। पंचायतीराज मंत्रालय की ओर से प्रस्तुतीकरण में यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि राज्य चाहें तो पंचायतें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

    दरअसल, संविधान ने ही राज्यों को यह अधिकार दिया है कि वह कानून बनाकर पंचायतों को कर, शुल्क, पथकर आदि लागू करने का अधिकार दे सकते हैं। विशेषज्ञों ने यह भी सिफारिश की है कि पंचायतों को उस क्षेत्र में होने वाले खनन की रॉयल्टी, जिला खनन निधि, जीएसटी और स्टॉम्प ड्यूटी में भी हिस्सेदारी दी जानी चाहिए।

    किस तरह के बनेंगे नियम?

    पंचायतीराज मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय पंचायतों के आय संसाधन बढ़ाने के लिए आदर्श नियम बनाने जा रही है। उनमें संविधान में दिए गए अधिकार और विशेषज्ञों की सिफारिशों को शामिल किया जाएगा। राज्यों से अपेक्षा की जाएगी कि वह उसी नियम के अनुसार अपने यहां व्यवस्थाएं लागू करते हुए पंचायतों को अधिकार दें, ताकि देशभर की पंचायतों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जा सके।

    इसे देखते हुए ही पहली बार यह अनिवार्यता भी कर दी गई है कि अब ग्राम पंचायत विकास योजना ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर अपलोड करते समय ग्राम पंचायतों को घोषणा करनी होगी कि उनकी अपने संसाधनों से आय कितनी है।

    यह भी पढ़ें : टमाटर से बनेगी शराब, किसानों की होगी मौज; सरकार तैयार कर रही प्लान

     

    बिजनेस से जुड़ी हर जरूरी खबर, मार्केट अपडेट और पर्सनल फाइनेंस टिप्स के लिए फॉलो करें