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    जीएसटी के तहत माल ढुलाई के लिए लेना होगा ई-वे बिल, टैक्स चोरी पर लगेगी लगाम

    By Shubham ShankdharEdited By:
    Updated: Sat, 15 Apr 2017 09:36 AM (IST)

    जीएसटी लागू होने के बाद 50,000 रुपये से ज्यादा मूल्य वाले माल की ढुलाई करने के लिए इसका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके बाद ‘ई-वे बिल’ मिलेगा। टैक्स चोरी रोकने के लिए

    जीएसटी के तहत माल ढुलाई के लिए लेना होगा ई-वे बिल, टैक्स चोरी पर लगेगी लगाम

    नई दिल्ली (एजेंसी)। जीएसटी लागू होने के बाद 50,000 रुपये से ज्यादा मूल्य वाले माल की ढुलाई करने के लिए इसका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके बाद ‘ई-वे बिल’ मिलेगा। टैक्स चोरी रोकने के लिए कर अधिकारी माल के परिवहन के दौरान रास्ते में कहीं भी इसकी जांच कर सकेंगे। इन सामानों को ट्रांसपोर्ट करने के लिए अधिकतम 15 दिन का समय दिया जाएगा। इस नई व्यवस्था से ट्रांसपोर्टरों को खासतौर पर राहत मिलेगी। सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को इस साल पहली जुलाई से लागू करने का लक्ष्य तय किया है।

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    केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने इस संबंध में नियम जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि 50 हजार रुपये से ज्यादा की बिक्री उसको एक से दूसरी जगह ले जाने से पहले कारोबारियों को इलेक्ट्रॉनिक वे यानी ई-वे बिल के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) बेबसाइट पर पंजीकरण के बिना राज्य के भीतर और बाहर सामान ले जाने पर रोक रहेगी। जीएसटीएन पर ई-वे बिल एक से लेक 15 दिनों के लिए मिलेगा। यह समय इस आधार पर दिया जाएगा कि माल को कितनी दूरी तक ले जाना है। सौ किलोमीटर तक की दूरी के लिए एक दिन का समय मिलेगा। अगर सामान को 1,000 किलोमीटर से ज्यादा दूर ले जाना है तो 15 दिन का समय दिया जाएगा।

    मसौदा नियमों के मुताबिक कॉमन पोर्टल पर ई-वे बिल जनरेट होने के बाद सप्लायर, माल पाने वाले और ट्रांसपोर्टर को एक अनूठा ई-वे बिल नंबर उपलब्ध कराया जाएगा। ड्रॉफ्ट नियमों के अनुसार ट्रांसपोर्टर या माल ढुलाई करने वाले व्यक्ति को रसीद या सप्लाई बिल अथवा डिलीवरी चालान के साथ ही ई-वे बिल की कॉपी या इसका नंबर साथ में रखना होगा। इसे या तो बिल के रूप में रखा जाएगा या वाहन में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (आरएफआइडी) लगा होने पर इलेक्ट्रॉनिक मोड में रखा सकता है।

    जांच और कार्रवाई कर सकेंगे अफसर
    इन नियमों में टैक्स कमिश्नर या उसकी ओर से अधिकृत किसी अधिकारी को परिवहन के दौरान कहीं भी इस सामान की जांच करने का अधिकार होगा। इस दौरान अधिकारियों को ई-वे बिल की हार्ड कॉपी या इलेक्ट्रॉनिक मोड में इसे दिखाना होगा। यह जांच राज्य के भीतर या बाहर कहीं भी की जा सकेगी। टैक्स चोरी की सूचना मिलने पर यह काईवाई की जाएगी। जांच करने वाले अधिकारी को 24 घंटे के भीतर इसकी रिपोर्ट विभाग में देनी होगी। वहीं अगर कर अधिकारी वाहन को आधा घंटे से ज्यादा देर के लिए रोकते हैं, तो ट्रांसपोर्टर इसकी सूचना जीएसटीएन सर्वर पर दे सकता है। इस सूचना को अपलोड करने के लिए ट्रांसपोर्टर को निर्धारित फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा।

    देनी होंगी कई अहम जानकारियां
    इन ई-वे बिल में खुद जांच करने की व्यवस्था भी होगी जहां पंजीकृत सप्लायर को पहले ही सरकार को परिवहन किए जा रहे सामान की लोकेशन बतानी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि कंसाइनर को ई-वे बिल के लिए रजिस्ट्रेशन कराते वक्त सामान भेजने और पाने वाले का नाम व पता देना होगा। इसके अलावा उसे माल का ब्योरा, इसकी कीमत और वजन की जानकारी भी देनी होगी।