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    नियम तोड़ रिलायंस को दी गई जंगल की जमीन

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    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    रिलायंस पावर लिमिटेड की सासन अल्ट्रा मेगा पावर परियोजना यानी यूएमपीपी के लिए वन भूमि देने में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने नियमों का सीधा उल्लंघन किया। परियोजना स्थान के बदले में नई जगह पर वन लगाने के लिए जमीन लिए बिना ही इसे अपना प्रोजेक्ट लगाने की छूट दे दी गई। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रिलायंस पावर लिमिटेड की सासन अल्ट्रा मेगा पावर परियोजना यानी यूएमपीपी के लिए वन भूमि देने में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने नियमों का सीधा उल्लंघन किया। परियोजना स्थान के बदले में नई जगह पर वन लगाने के लिए जमीन लिए बिना ही इसे अपना प्रोजेक्ट लगाने की छूट दे दी गई। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में मंत्रालय को इसके लिए जम कर फटकार लगाई है।

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    पढ़ें: अनिल अंबानी को देनी ही होगी गवाही

    कैग ने भारत में प्रतिपूरक वनरोपण पर अपनी ताजा रिपोर्ट में इस धांधली का खुलासा किया है। इसके मुताबिक मध्य प्रदेश के सीधी जिले में रिलायंस पावर को अपनी कंपनी सासन पावर के लिए 1,384.96 हेक्टेयर वन भूमि दी गई। पर्यावरण नियमों के मुताबिक किसी भी दूसरे काम के लिए जब वन भूमि दी जाती है तो लाभान्वित होने वाले को बराबर जमीन प्रतिपूरक वनरोपण के लिए उपलब्ध करवानी होती है। साथ ही जहां तक संभव हो यह जमीन उसी जिले में होनी चाहिए। अगर जिले में संभव नहीं हो तो उसे उसी राज्य में कहीं यह जमीन देनी होती है।

    मगर कैग ने पाया है कि इस मामले में कंपनी ने कोई जमीन ही नहीं दी। इसके बावजूद केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने अनिल अंबानी की इस कंपनी को मंजूरी दे दी। कंपनी ने इसके लिए सिर्फ राज्य के मुख्य सचिव के एक सर्टिफिकेट के आधार पर यह छूट पा ली। इस सर्टिफिकेट में कहा गया था कि सीधी जिले में वन भूमि के बदले में दिए जाने के लिए इतना बड़ा भूखंड उपलब्ध नहीं है। नियमानुसार जिले में जमीन नहीं होने पर कंपनी को राज्य के दूसरे जिले में यह उपलब्ध करवानी थी।

    कैग की इस रिपोर्ट को रिलायंस पावर ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। कंपनी ने इससे भी इन्कार किया है कि राज्य सरकार ने उसे कोई अतिरिक्त सहूलियत दी है।