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    Budget 2024: क्या सरकार के पास कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसा है? गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट से बढ़ी चिंता

    By Agency Edited By: Suneel Kumar
    Updated: Mon, 08 Jul 2024 07:59 PM (IST)

    सरकार को आरबीआई और दूसरी सरकारी संस्थाओं से तगड़ा डिविडेंड मिला था। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बढ़ाने का एलान कर सकती है। हालांकि अभी सरकार का फोकस राजकोषीय घाटे को कम रखने पर हो सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च एक हद तक सीमित रह सकता है।

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    गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में प्रोत्साहन के लिए सीमित राजकोषीय गुंजाइश है।

    पीटीआई, मुंबई। भारत के सार्वजनिक ऋण के ऊंचे स्तर पर होने से अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने वाले कल्याणकारी कदम उठाने के लिए राजकोषीय गुंजाइश सीमित रह गई है। अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने पूर्ण बजट पेश होने के कुछ दिन पहले जारी एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राजकोषीय घाटे को 5.1 प्रतिशत पर सीमित रखने के अंतरिम बजट में घोषित लक्ष्य पर टिकी रह सकती हैं।

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    रिपोर्ट के मुताबिक, निवेशक बजट से राजकोषीय सशक्तीकरण की राह में कुछ ढिलाई और पूंजीगत व्यय से कल्याणकारी व्यय पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, ब्रोकरेज फर्म को इसकी संभावना नहीं दिख रही है।

    कल्याणकारी योजनाओं पर कितना खर्च

    गोल्डमैन सैक्स ने कहा, 'हमारी राय में उच्च सार्वजनिक ऋण को देखते हुए अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए राजकोषीय गुंजाइश सीमित है। बुनियादी ढांचा बेहतर होने से सकारात्मक विकास के दीर्घकालिक प्रभाव पैदा हुए हैं, जिसे नीति-निर्माता छोड़ना नहीं चाहेंगे।'

    ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि राजकोषीय घाटे के अंतिम लक्ष्य को भी वर्तमान 5.1 प्रतिशत से कम किया जा सकता है, और सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 में इसे घटाकर 4.5 प्रतिशत पर ला सकती हैं। रिपोर्ट कहती है कि कल्याणकारी व्यय के लिए भले ही 'कुछ व्यय आवंटन' किया जाए लेकिन आरबीआई से मिले 2.1 लाख करोड़ रुपये के लाभांश को देखते हुए पूंजीगत व्यय में कटौती की जरूरत नहीं पड़ेगी।

    घटेगा या बढ़ेगा राजकोषीय घाटा?

    गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में प्रोत्साहन के लिए सीमित राजकोषीय गुंजाइश है। इसने बताया कि सरकार के बजट में ब्याज व्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.4 प्रतिशत हिस्सा है। इसने कहा, ''हमारी गणना दर्शाती है कि सरकार की राजकोषीय नीति वित्त वर्ष 2021-22 से वृद्धि के लिए एक अवरोध रही है और सरकार के राजकोषीय सशक्तीकरण लक्ष्य को देखते हुए वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 में भी यही हाल रहेगा।'

    ब्रोकरेज ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-24 के बीच पूंजीगत व्यय में 31 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि हुई, जिससे आर्थिक वृद्धि को रफ्तार मिली।

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