बैंकों की एफडी से ज्यादा आकर्षक हो गए हैं बांड, ब्याज दरों में तेजी के माहौल ने देश के ऋण बाजार को बनाया आकर्षक
बांड निवेश को हमेशा से कम रिटर्न वाला लेकिन सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता रहा है। 10 वर्ष वाले बांड्स पर रिटर्न 7.4 प्रतिशत के स्तर पर है। आरबीआइ ब्याज दरों को बढ़ा रहा है उसे देखते हुए बांड पर रिटर्न मौजूदा स्तर से ज्यादा ही रहने की संभावना है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: पिछले तीन दिनों से बांड बाजार में थोड़ी नरमी का माहौल है, लेकिन इसके बावजूद शेयर बाजार और दूसरे वित्तीय बाजारों की अस्थिरता को देखते हुए वहां रौनक कायम है। इसके पीछे वजह यह है कि भारत, अमेरिका समेत दुनिया की तमाम प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरों में वृद्धि हो रही है और इस दौर के अभी जारी रहने की संभावना है। जब भी ब्याज दरों में वृद्धि होती है तो बांड में रिटर्न हो जाता है। अभी भारतीय बांड बाजार में 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले बांड्स पर रिटर्न 7.40 प्रतिशत से ज्यादा है जो बैंकों की जमा अवधि से बेहतर है। ऐसे में खुदरा निवेशकों को अपने कुल पोर्टफोलियो का एक हिस्सा बांड्स में निवेश करने की सलाह दी जा रही है।
बांड निवेश को हमेशा से कम रिटर्न वाला लेकिन सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता रहा है। मिलवुड केन इंटरनेशनल के सीईओ निश भट्ट का कहना है कि कुछ महीने पहले तक भारत में ब्याज दरें सबसे न्यूनतम स्तर पर थीं। बैंकों के पास जरूरत से ज्यादा तरलता (फंड) उपलब्ध थी। अब ब्याज दरों में वृद्धि का सिलसिला शुरू हो गया है। यह सभी तरह के ऋण प्रपत्रों में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए फायदे का सौदा है। उन्होंने कहा कि 10 वर्ष वाले बांड्स पर रिटर्न 7.4 प्रतिशत के स्तर पर है। जिस तरह से आरबीआइ ब्याज दरों को बढ़ा रहा है उसे देखते हुए अभी बांड पर रिटर्न मौजूदा स्तर से ज्यादा ही रहने की संभावना है। निवेशकों को इस माहौल का फायदा उठाने के लिए अपने कुल पोर्टफोलियो का एक हिस्सा बांड्स में लगाना चाहिए। वैसे स्थायित्व के हिसाब से बैंकों की सावधि जमा स्कीमों को सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जा सकता है जबकि बांड रिटर्न पर कई बार घरेलू और वैश्विक हालातों का असर पड़ता है।
निश्चित दायरे में ही रहता है बांड पर रिटर्न
इक्विटी या शेयर बाजार में निवेश करने का मतलब यह होता है कि हम उस कंपनी में एक खास हिस्सेदारी खरीद रहे हैं। वहीं किसी कंपनी, सरकार या किसी दूसरी एजेंसी की तरफ से जारी बांड में जब हम निवेश करते हैं तो इसका मतलब होता है कि हम उन्हें ऋण मुहैया कराते हैं। इसलिए इन्हें डेट यानी ऋण प्रपत्र भी कहते हैं। इनमें इक्विटी बाजार की तरह कभी भी उतार-चढ़ाव नहीं आता है। इन पर रिटर्न एक निश्चित दायरे में ही ऊपर-नीचे होता है। इसलिए इन्हें सुरक्षित रिटर्न माना जाता है। आम ग्राहक ब्रोकर के जरिये या म्यूचुअल फंड्स के जरिये बांड में निवेश कर सकते हैं। आरबीआइ ने भी सरकारी प्रतिभूतियों में सीधे निवेश करने की सुविधा शुरू कर दी है।
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