BlackRock: कई देशों की GDP से भी ज्यादा एसेट मैनेज करती है यह कंपनी, भारत की इकोनॉमी भी इसके सामने है...
बड़ी निवेश प्रबंधन कंपनियों पर अक्सर बाजार को बहुत अधिक प्रभावित करने के आरोप लगते रहते हैं। साथ ही कुछ लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ये कंपनियां पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों को नजरअंदाज कर सकती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि कंपनी इतना ज्यादा निवेश मैनेज करती है तो इससे बाजार में हेरफेर की आशंका रहती है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। BlackRock अगर आपसे कहा जाए कि दुनिया में एक ऐसी भी कंपनी है, जो इतनी संपत्ति का प्रबंधन (Asset Management) करती है, जितनी भारत जैसे विशाल देश जो कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यस्था (Fifth Largest Economy) है, के आकार से भी ज्यादा है, तो क्या आप यकीन करेंगे? नहीं ना, लेकिन अमेरिका में एक कंपनी है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार से ढाई गुना से भी ज्यादा संपत्ति को मैनेज करती है।
बात हो रही है ब्लैकरॉक (BlackRock) की। ब्लैकरॉक करीब 10 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति का प्रबंधन करती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार (करीब 3.7 ट्रिलियन डॉलर) की तुलना में ढाई गुना से भी ज्यादा है। आज ब्लैकरॉक दुनिया भर में कई कंपनियों और सरकारों के लिए निवेश प्रबंधक के रूप में काम करती है। कंपनी के पास 10 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा की संपत्ति का प्रबंधन है। यह राशि कई छोटे देशों की जीडीपी से भी कई गुना ज्यादा है। इतने बड़े पैमाने पर निवेश करने की वजह से ब्लैकरॉक का दुनिया के वित्तीय बाजारों पर काफी प्रभाव है।
क्या करती है ब्लैकरॉक
ब्लैकरॉक इंक एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश प्रबंधन कंपनी है, जिसे दुनिया भर में संपत्ति प्रबंधन में अग्रणी माना जाता है। इसके प्रबंधन के अधीन संपत्ति का मूल्य 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक है, जो भारत की जीडीपी से भी कहीं ज्यादा है। ब्लैकरॉक का नाम आज दुनिया के वित्तीय बाजारों में सबसे अहम माना जाता है। यह कंपनी निवेश प्रबंधन (Investment Management) के क्षेत्र में सबसे बड़ी मानी जाती है। दुनिया की शायद ही कोई बड़ी कंपनी हो, जिसके लिए या फिर जिसमें खुद ब्लैकरॉक ने निवेश न किया है। ब्लैकरॉक की खासियत है कि यह कंपनी किसी एक कंपनी या सेक्टर में ज्यादा निवेश नहीं करती, बल्कि पूरे बाजार में फैलकर निवेश करती है. इसे Diversification कहते हैं। इस रणनीति से बाजार के उतार-चढ़ाव का जोखिम कम हो जाता है। साथ ही, ब्लैकरॉक अपने निवेश निर्णयों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बड़े Big Data का भी इस्तेमाल करती है।
ऐसे हुई थी ब्लैकरॉक की शुरुआत
1988 में लैरी फिंक (Larry Fink) और उनके सहयोगियों ने ब्लैकरॉक की स्थापना की। शुरुआत में, यह कंपनी निवेश बैंकों के लिए जोखिम प्रबंधन का काम करती थी। 1990 के दशक में ब्लैकरॉक ने तेजी से तरक्की की। कंपनी ने म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Exchange Traded Funds - ETFs) जैसे निवेश उत्पादों का प्रबंधन शुरू किया। ये ऐसे फंड होते हैं, जिनमें आम लोगों का पैसा इकट्ठा होकर विभिन्न कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है। ब्लैकरॉक ने इन फंडों को चलाने में नई तकनीक और विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया, जिससे निवेशकों को शानदार रिटर्न मिला।
ब्लैकरॉक कई तरह के निवेशकों के लिए फंडों का प्रबंधन करती है, जिनमें शामिल हैं
- रिटेल इन्वेस्टर
- संस्थागत निवेशक जैसे पेंशन फंड, बीमा कंपनियां, और सरकारी संस्थाएं
कंपनी विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करती है
- स्टॉक
- बॉन्ड
- रियल एस्टेट
- कमोडिटीज
ब्लैकरॉक कई तरह की निवेश रणनीतियां भी प्रदान करती है, जिनमें इंडेक्स फंड, एक्टिवली मैनेज्ड फंड्स, ईएसजी इन्वेस्टमेंट वगैरह शामिल हैं।
ब्लैकरॉक जैसी बड़ी निवेश प्रबंधन कंपनियों पर अक्सर बाजार को बहुत अधिक प्रभावित करने के आरोप लगते रहते हैं। साथ ही, कुछ लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ये कंपनियां पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों को नजरअंदाज कर सकती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि कंपनी इतना ज्यादा निवेश मैनेज करती है, तो इससे बाजार में हेरफेर की आशंका रहती है।