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    Success Story: फ्री में मिलने वाली चीज का बना डाला बिजनेस, लोग क्यों हुए इस उद्योगपति के प्रोडक्ट के दीवाने, जानें सफलता की पूरी कहानी

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 02:05 PM (IST)

    अगर बिजनेस करने की चाह हो तो इंसान पानी बेचकर भी करोड़ों का कारोबार खड़ा कर सकता है। ये प्रोडक्ट उस समय आया जब देश प्रगति की ओर बढ़ रहा था देश की ज्यादातर जनता जरूरी प्रोडक्ट लेना ही पसंद करती थी। आइए जानते हैं कि ऐसे समय में कैसे इस उद्योगपति ने फ्री में मिलने वाली चीज को पैसों में बेचकर कैसे इसे जरूरत बना दिया?

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    पानी बेचकर कैसे एक उद्योगपति ने कमाया नाम बिसलेरी की सफलता की कहानी

     नई दिल्ली। आजादी के बाद देश प्रगति की ओर बढ़ रहा था। इंडियन मार्केट में हर कोई अपना दबदबा बनाना चाहता था। उस समय लोग केवल जरूरत की वस्तु जैसे आटा, दाल और सब्जी खरीदना ही पसंद करते थे। कोल्ड ड्रिंक उस समय एक लग्जरी आइटम माना जाता था। ऐसे समय में इस उद्योगपति ने पानी पैसों में बेचकर पैसा कमाया।

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    हम यहां बिसलेरी की सफलता की कहानी (Bisleri Success Story) के बारे में बात कर रहे हैं।  इसके नाम पर कई नकली प्रोडक्ट तक आने लगे हैं, इसलिए असली बिसलेरी पहचानना भी मुश्किल हो गया है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये प्रोडक्ट आज कितना फेमस है। 

    इटली ब्रांड भारत में कैसे आया?

    इस ब्रांड की शुरुआत इटली के साइनॉर फेलिस बिसलेरी ने की थी। डॉ रॉसी और उनके दोस्त खुशरू सुंतूक ने भारत में बिसलेरी की शुरुआत की। देशभर में पानी भारी मात्रा में उपलब्ध था, लेकिन साफ पानी की कमी थी। तभी मार्केट में बेसलरी आया। उस समय में ये कांच की बोतलों में बेचा जाता था।

    कांच में मिलने के कारण ये रहीस लोगों के लिए उपलब्ध था। ये बोतल तब रेस्टोरेंट में ही देखने को मिलती थी। इसकी आम आदमी तक पहुंच न के बराबर थी।

    कैसे बना इंडियन ब्रांड?

    इसी समय पारले का चार हिस्सों में बंटवारा हुआ। जयंतीलाल चौहान के हिस्से में सॉफ्ट ड्रिंक का कारोबार आया। उसी समय बिसलेरी को भी खरीदा गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसे 4 लाख रुपये में खरीदा गया था।

    फिर इसे प्लास्टिक की बोतल में बेचकर और किफायती बनाया गया। इसकी पहुंच आम जनता तक होने लगी। कंपनी ने प्रचार के जरिए इस बात पर जोर दिया कि साफ पानी न पीने से बीमारियों को कैसे जन्म मिलता है। वहीं 500 मिली लीटर की बोतल 5 रुपये में उपलब्ध कराई गई। ताकि हर कोई इसे खरीद सके। 

    साल 2006 में ब्रांड ने अपनी पैकिंग में सुधार किया। उन्होंने अपनी बोतल का कलर ग्रीन रखा, जिससे उन्हें ब्रांडिंग में काफी मदद मिली। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आज ड्रिंकिंग वाटर मार्केट का 60 फीसदी हिस्सा बिसलेरी ने लिया है। बिसलेरी आए दिन कई ऐसे कैंपेन चलाती है, जिसके तहत आम आदमी को जोड़ा जाता है।

    जैसे 2017 में बिसलेरी ने भारत में बोली जाने वाली लगभग हर भाषा में अपना नाम लिखा। ताकि उनका ब्रांड उन लोगों तक भी पहुंचे, जो अपनी ही बोली जानते हो।