नए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के सामने ये होगी सबसे बड़ी चुनौती
उर्जित पटेल के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई को काबू करना होगा। साथ ही इंडस्ट्री को सहारा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव उनके ऊपर होना लाजमी होगा।
नई दिल्ली। 4 सितंबर 2016 को रघुराम राजन के गवर्नर पद छोड़ने के बाद नए गवर्नर उर्जित पटेल उनकी जगह लेंगे। उर्जित पटेल के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई को काबू करना होगा। साथ ही इंडस्ट्री को सहारा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव उनके ऊपर होना लाजमी होगा। जानिए ताजा आर्थिक आंकड़े किस तरह पटेल की इस चुनौती को और भी जटिल बना देते हैं।
इंडस्ट्री को ब्याज दरें घटने की आस
बीते हफ्ते आए जीडीपी के आंकड़े यह इशारा करते हैं कि देश की तरक्की की रफ्तार धीमी पड़ रही है। वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में देश में जीडीपी की ग्रोथ दर 7.1 फीसदी रही। जो बीती 6 तिमाहियों में सबसे कम है। गहराई से आंकड़ों के अंदर झांके तो यह साफ है कि इस रफ्तार में अवरोध कंस्ट्रक्शन और माइनिंग जैसे क्षेत्र उत्पन्न कर रहे हैं। कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ रेट 1.5 फीसदी रही है, जो पिछली तिमाही में 4.5 फीसदी की दर से बढ़ी थी। वहीं जारी वित्त वर्ष की पहली तिमाही में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 0.4 फीसदी पर रही, जो पिछली तिमाही में 8.6 फीसदी थी। आंकड़ों से यह साफ प्रतीत होता है कि इंड्रस्ट्री को बूस्ट देने के लिए उर्जित पटेल पर दवाब होगा।
महंगाई भडकने को तैयार
सातवें वेतन आयोग की राशि का खाते में पहुंचना, बेहतर मानसून से ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ना, त्यौहारी सीजन का सामने होना ये तमाम ऐसे कारण हैं जिनके बल पर आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में ब्याज दरों थोड़ी सी कटौती भी महंगाई को हवा देने का काम कर सकती है। बीते माह आये आंकड़े बताते हैं कि सब्जियों, दालों और चीनी के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर भी जुलाई माह में तेजी से बढ़ती हुई 3.55 फीसदी पर पहुंच गई। यह पिछले 23 माह का उच्चतम स्तर है। थोकमूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर जून में 1.62 फीसदी थी जबकि एक साल पहले जुलाई में यह शून्य से चार प्रतिशत नीचे थी। वहीं पिछले महीने आए खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों में भी जुलाई के दौरान वृद्धि दर्ज की थी। खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई जुलाई में 6.07 फीसदी हो गई।
दोनों ही पक्षों का विश्लेषण करने के बाद उर्जित पटेल के लिए ब्याज दरों पर निर्णय लेना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। गौरतलब है कि राजन के गवर्नर रहते भी उर्जित पटेल मॉनेटरी पॉसिली फ्रेमवर्क कमेटी के मुखिया थे जो ब्याज दरों पर निर्णय लेने में अहम भूमिका निभाती थी। साथ ही आरबीआई की सालाना रिपोर्ट पेश करते हुए राजन ने यह कहा था कि भविष्य में भी आरबीआई की वरीयता महंगाई को काबू करने की होगी।
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