बेगैरत पाकिस्तान चोरी छिपे भारत भेज रहा था सामान, DRI ने 1115 टन माल पकड़ा तो खुली पोल, जानें क्या-क्या मिला?
राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने 'ऑपरेशन डीप मैनिफेस्ट' के तहत ₹9 करोड़ का 1,115 मीट्रिक टन पाकिस्तानी माल जब्त किया है, जिसे दुबई के रास्ते भारत लाया जा रहा था। यह कार्रवाई मई 2025 के पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान से आयात पर लगे प्रतिबंध के बावजूद हुई। जब्त माल में सूखे खजूर शामिल थे, और जांच में पाकिस्तानी संस्थाओं से जुड़े वित्तीय लेनदेन का खुलासा हुआ। एक आयातक फर्म के साझेदार को गिरफ्तार किया गया है, जो सरकार की शून्य-सहिष्णुता नीति को दर्शाता है।
नई दिल्ली, 26 जून 2025। भारत सरकार की सख्त नीतियों के बावजूद पाकिस्तानी माल की अवैध एंट्री पर रोक नहीं लग रही थी। लेकिन अब राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए ‘ऑपरेशन डीप मैनिफेस्ट’ के तहत 1,115 मीट्रिक टन पाकिस्तानी मूल का माल जब्त किया है। इस माल की कीमत लगभग ₹9 करोड़ बताई गई है। इस मामले में एक आयातक फर्म के साझेदार को गिरफ्तार भी किया गया है।
क्यों लगा पाकिस्तान से आयात पर बैन?
दरअसल, मई 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान से सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से (किसी तीसरे देश के जरिए) आने वाले सामान पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। इससे पहले, ऐसे सामानों पर 200% कस्टम ड्यूटी लगाई जा रही थी, लेकिन अब इसकी इंट्री ही बैन है।
कैसे पकड़ी गई ये खेप?
ये माल दुबई (UAE) के रास्ते भारत लाया जा रहा था। तभी न्हावा शेवा पोर्ट पर दो अलग-अलग मामलों में ये कंटेनर पकड़े गए। दस्तावेजों में इसे UAE ओरिजिन बताया गया था, लेकिन DRI की जांच में खुलासा हुआ कि असली स्रोत कराची पोर्ट, पाकिस्तान था। माल दुबई में ट्रांसशिप करके नए कंटेनरों और जहाजों से भारत भेजा गया, ताकि पहचान छुपाई जा सके।
क्या-क्या मिला?
इसमें 39 कंटेनर थें, जिनमें सूखे खजूर जैसे खाद्य पदार्थ भरे थे। दस्तावेजों की जांच करने पर पाकिस्तानी एंटिटीज से मनी ट्रेल्स का भी पता चला। जिसे पाकिस्तानी और UAE नागरिकों की मिलीभगत से पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था।
सरकार की कड़ी नजर
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पहले से ही पाकिस्तान से जुड़े व्यापारिक चैनलों पर निगरानी बढ़ा दी गई थी। इसी कड़ी में ऑपरेशन डीप मैनिफेस्ट को अंजाम दिया गया। DRI ने डेटा एनालिटिक्स, इंटेलिजेंस और इंटर-एजेंसी कोऑर्डिनेशन के जरिए इस बड़ी तस्करी को पकड़ा।
इससे भारत की आर्थिक सुरक्षा को खतरा हो सकता था। गुप्त वित्तीय लेन-देन और पाकिस्तान से जुड़े लोगों की भूमिका पर सवाल उठे हैं। यह कार्रवाई भारत सरकार की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी को दिखाती है।
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