Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शेयर मार्केट और म्युचुअल फंड से बैंकों को नुकसान? अब नए तरीके से जुटाएंगे पैसे

    Updated: Tue, 24 Sep 2024 07:34 PM (IST)

    भारत के बैंकिंग सिस्टम के सामने नकदी की तंगी की समस्या हो सकती है। लोन ग्रोथ के मुकाबले डिपॉजिट ग्रोथ काफी कम है। बैंक अमूमन डिपॉजिट को ही कर्ज के रूप में देकर ब्याज से मुनाफा कमाते हैं। ऐसे में अगर उनके पास जमा से ज्यादा लोन की डिमांड रहेगी कैश का संकट पैदा हो सकता है। इससे बचने के लिए बैंक पैसे जुटाने के विकल्प तलाश रहे हैं।

    Hero Image
    वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बैंकों ने बॉन्ड के जरिये एक लाख करोड़ रुपये जुटाए।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। बैंक सुस्त डिपॉजिट ग्रोथ के चलते काफी परेशान हैं। दरअसल, ज्यादातर लोग अच्छे रिटर्न की चाह में शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड का रुख कर रहे हैं। इससे बैंकों में पैसे जमा करने वालों की गिनती घट रही है, वहीं लोन लेने वाले अधिक है। ऐसे में बैंकों के सामने नकदी का संकट भी आ सकता है। यही वजह है कि बैंक अब बॉन्ड के जरिए पैसा जुटाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रेटिंग एजेंसी इकरा ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान बैंक बॉन्ड के जरिये 1.3 लाख करोड़ रुपये तक की राशि जुटा सकते हैं। यह बैंकों की ओर से बॉन्ड के जरिये जुटाई जाने वाली अब तक की सबसे ज्यादा राशि होगी।

    रिपोर्ट के अनुसार, इसमें से करीब 85 प्रतिशत बॉन्ड सरकारी बैंकों की ओर से जारी किए जाएंगे। इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े बॉन्ड की ज्यादा हिस्सेदारी रहेगी। एजेंसी का कहना है कि नकदी की समस्या और जमा के मुकाबले कर्ज वितरण में ज्यादा वृद्धि के कारण बैंकों के लिए वैकल्पिक स्त्रोतों से धन जुटाना आवश्यक हो गया है।

    वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बैंकों ने बॉन्ड के जरिये एक लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 1.1 लाख करोड़ रुपये की राशि जुटाई थी। रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अब तक बैंक बॉन्ड के जरिये 76,700 करोड़ रुपये जुटा चुके हैं। यह राशि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 225 प्रतिशत ज्यादा है।

    एजेंसी का कहना है कि निजी क्षेत्र के बैंक अपना ऋण-जमा अनुपात कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसलिए चालू वित्त वर्ष में बॉन्ड के जरिये पैसा जुटाने में सरकारी बैंकों का वर्चस्व है।

    (पीटीआई से इनपुट के साथ)