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    Aadhaar Fraud: बैंकों ने निकाला हैकर्स का तोड़, इन तरीकों से बैंक जालसाजों से बचा रहे आपका पैसा

    By Gaurav KumarEdited By: Gaurav Kumar
    Updated: Tue, 17 Oct 2023 06:30 PM (IST)

    आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) से पैसे निकलवाने के लिए आपको बायोमेट्रिक देना होता है हालांकि हैकर्स आपके बायोमेट्रिक का दुरुपयोग कर लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं। इन्हीं से बचने के लिए यूआईडीएआई ने आपको अपने बायोमेट्रिक को लॉक और अनलॉक करने की सुविधा दी है। इसके अलावा बैंक भी आपके पैसे बचाने के लिए एडवांस हो गई है। पढ़िए पूरी खबर।

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    अलग- अलग बैंक धोखाधड़ी से बचने के लिए अलग-अलग टूल का इस्तेमाल करते हैं।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली: जैसे-जैसे डिजिटलाइजेशन बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे फ्रॉड के भी नए तरीके बढ़ते जा रहे हैं। लोगों की सुविधा के लिए शुरू हुए आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) का दुरुपयोग कर जालसाज यहां भी लोगों को चूना लगा रहे हैं।

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    आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) से ग्राहकों को पैसे निकलवाना काफी आसान है। इसमे ग्राहकों को केवल आधार नंबर, फिंगरप्रिंट/आईरिस (प्रमाणीकरण के लिए), और उस बैंक के नाम देना होता है जहां खाता खोला गया है। लेकिन अब हैकर्स आपके आधार डेटा का उपयोग कर अलग-अलग तरह से लोगों के साथ फ्रॉड कर रहे हैं।

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    m-Aadhaar और UIDAI ने सुक्षाया है ये रास्ता

    आपका आधार डेटा सुरक्षित रहे इसके लिए यूआईडीएआई ने आपको अपने आधार का बायोमेट्रिक डेटा जैसे फिंगरप्रिंट/आईरिस स्कैन को लॉक करने की सुविधा दी है।

    हालांकि, यदि आपने अपने बायोमेट्रिक्स डिटेल को लॉक नहीं किया है और आप AePS धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं तो हम आपको बताते हैं कि आप अब क्या-क्या कर सकते हैं।

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    बैंक के कस्टमर केयर को करें कॉल

    सबसे पहले आप अपने बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल कर आपके साथ हुए फ्रॉड की जानकारी दें और अस्थायी रूप से अपने खाते को ब्लॉक करने का अनुरोध करें। इसके साथ ही आप अपने PIN, इंटरनेट बैकिंग का पासवर्ड इत्यादि को भी बदल सकते हैं।

    बैंक धोखाधड़ी से कैसे बचाता है आपका पैसा?

    आपको बता दें कि बैंकों के पास एक जोखिम निगरानी कक्ष (risk monitoring cell) होता है जो किसी भी संदिग्ध या धोखाधड़ी वाले लेनदेन का पता चलने पर ग्राहक को सचेत करता है। अलग- अलग बैंक इन धोखाधड़ी से बचने के लिए अलग-अलग टूल का इस्तेमाल करते हैं।

    ज्योग्राफिकल लोकेशन मॉनिटरिंग:

    बैंक अक्सर लेनदेन के भौगोलिक स्थानों की निगरानी करते हैं। यदि कोई लेनदेन किसी ऐसे स्थान पर होता है जो ग्राहक के सामान्य लेनदेन इतिहास से काफी अलग है तो यह अलर्ट ट्रिगर कर सकता है। इसके बाद बैंक की सहायता टीम ग्राहक से संपर्क कर सकती है और लेनदेन को वेरिफाइ कर सकती है।

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    ट्रांजैक्शन फ्रीक्वेंसी और पैटर्न:

    बैंक आपकी लेनदेन की फ्रीक्वेंसी और पैटर्न को एनालाइज करता है। असामान्य या अप्रत्याशित लेनदेन, जैसे कि पेमेंट में अचानक वृद्धि या ज्यादा लेनदेन जिसमें ग्राहक कम शामिल होता है, तो इस स्थिति में बैंक अलर्ट ट्रिगर कर सकता है।

    व्यवहार का एनालाइसिस:

    कुछ बैंक अपने ग्राहकों के विशिष्ट व्यवहार की आधार रेखा (baseline) स्थापित करने के लिए ग्राहक के व्यवहार का विश्लेषण करते हैं। इस आधार रेखा में कुछ गड़बड़ी होने पर बैंक अलर्ट ट्रिगर कर सकता है।

    AePS से प्रतिदिन कितना कर सकते हैं ट्रांजैक्शन?

    आप प्रति दिन अधिकतम पांच ट्रांजैक्शन कर सकते है और हर ट्रांजैक्शन की अधिकतम सीमा 10,000 रुपये है। इस हिसाब से आप एक दिन में AePS से अधिकतम 50,000 रुपये का ट्रांजैक्शन कर सकते हैं।

     

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