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खास हालात में बैंकों को सीबीआइ, सीवीसी से मिलनी चाहिए छूट : राजन

आरबीआई गवर्नर राजन ने कहा कि कोई भी संस्थान अगर नियमों के मुताबिक फैसले करता है, तो उस हालात में ही संरक्षण देने की जरुरत है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 18 Jul 2016 05:04 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jul 2016 05:16 AM (IST)
खास हालात में बैंकों को सीबीआइ, सीवीसी से मिलनी चाहिए छूट : राजन

मुंबई । आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि आंख मूंद कर बैंकों को सीबीआई, सीवीसी जैसी एजेंसियों की निगरानी से छूट नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कर्ज देने का निर्णय उचित जांच पड़ताल के बाद किया गया है तो ऐसे मामले में जरूर संरक्षण दिया जाएगा।

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आजादी के बिना बैंक खातों को साफ सुथरा नहीं कर पाएंगे


राजन ने कुछ खास संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उनका मानना है कि बैंक अधिकारियों ने इस बारे में अपनी चिंता जताई है कि पूरी निष्ठा के साथ जो काम किया गया ऐसे मामलों में उन्हें कार्यवाही के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वो समझते हैं कि उस जरूरत को समझना चाहिए जहां उन्होंने उचित जांच पड़ताल, स्थिति के अनुसार दिमाग का सही इस्तेमाल करते हुए कदम उठाया है। उन्हें कदम उठाने की कुछ आजादी दी जानी चाहिए, क्योंकि इसके बिना हम बैंकों के खातों को साफ सुथरा नहीं कर पाएंगे। हम उन परियोजनाओं को फिर से पटरी पर नहीं ला पाएंगे जिनकी अर्थव्यवस्था को जरूरत है।’’ बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) की हाल में हुई बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कर्ज के ऐसे फैसलों में जिनमें सामूहिक तौर पर निर्णय किया गया, केन्द्रीय जांच ब्यूरो, केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीबीआई और सीवीसी) जैसी एजेंसियों की कड़ी नजर से निजात दिए जाने की मांग की गई।

खास हालात में लिए गए निर्णय का सम्मान हो


राजन ने कहा कि आप जो भी निर्णय करते हैं चाहे वह कैसा भी है, आपको जिम्मेदारी से पूरी तरह छूट दे दी जाए। उनका मानना है कि कुछ जिम्मेदारी होनी चाहिए लेकिन यह जिम्मेदारी सही निर्णय लेने के लिए उचित जांच परख करने की होनी चाहिए। राजन ने कहा कि किसी खास परिस्थिति में किए गए निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक कोई व्यक्ति सही निर्णय लेने के लिए प्रयास करता है, उन्हें उस निर्णय के अंतिम फैसले के आधार पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए ।

हर गांव में बैंक शाखा खोलना संभव नहीं


वित्तीय समावेश के बारे में गवर्नर ने कहा कि हर गांव में बैंक की शाखा नहीं खोली जा सकती है क्योंकि यह काफी खर्चीला होगा। इस मामले में एक संभावना मोबाइल शाखा है और कुछ बैंक ऐसी शाखाएं शुरू कर रहे हैं जो कि एक गांव से दूसरे गांव घूमेगी और किसी एक गांव में तय समय पर उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ऐसी शाखाओं के बारे में एक परिभाषा की तलाश में है कि इन्हें मिनी शाखा, सूक्ष्म शाखा और मोबाइल शाखा, क्या नाम दिया जा सकता है। उन्होंने नए संस्थानों और नई प्रौद्योगिकी के साथ काम करने की जरूरत भी बताई।


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