Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्रेडिट कार्ड बकाया पर भारी ब्याज वसूलना बैंकों का हक, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

    By Agency Edited By: Suneel Kumar
    Updated: Thu, 26 Dec 2024 08:01 PM (IST)

    अगर आप समय पर क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं भरते हैं तो आपको 30 फीसदी से भी ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों के भारी ब्याज वसूलने के फैसले को सही ठहराया है। उसने कहा कि बैंकों द्वारा लगाए जाने वाले ब्याज की दर वित्तीय विवेक और आरबीआई निर्देशों से तय होती है। क्रेडिट कार्डधारकों इसकी जानकारी दी जाती है। इसलिए यह कानूनन गलत नहीं है।

    Hero Image
    एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में कहा था कि क्रेडिट कार्ड बकाये पर ग्राहकों से अत्यधिक ब्याज दर वसूलना अनुचित है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के 16 साल पुराने एक फैसले को पलट दिया है, जिसके बाद बैंक ग्राहकों से क्रेडिट कार्ड बकाया पर 30 प्रतिशत से अधिक ब्याज वसूल सकते हैं। एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में कहा था कि क्रेडिट कार्ड बकाये पर ग्राहकों से अत्यधिक ब्याज दर वसूलना अनुचित है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शीर्ष अदालत ने कहा कि आयोग का 30 प्रतिशत से अधिक ब्याज दर नहीं लेने के बारे में दिया गया निर्णय बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के विधायी उद्देश्य के विपरीत है। यह फैसला सिटीबैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस, एचएसबीसी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक द्वारा एनडीसीआरसी के सात जुलाई, 2008 के आदेश के खिलाफ दायर अपीलों पर आया है। आयोग ने कहा था कि क्रेडिट कार्ड बकाये पर 36 प्रतिशत से 49 प्रतिशत प्रति वर्ष तक की ब्याज दरें बहुत अधिक हैं और ग्राहकों के शोषण की तरह हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

    जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि एनसीडीआरसी की टिप्पणी अवैध है और भारतीय रिजर्व बैंक की सुस्पष्ट शक्तियों में हस्तक्षेप है। शीर्ष अदालत ने 20 दिसंबर के अपने फैसले में कहा कि बैंकों ने क्रेडिट कार्ड धारकों को धोखा देने के लिए किसी भी तरह से कोई गलतबयानी नहीं की थी।

    एनसीडीआरसी के पास बैंकों तथा क्रेडिट कार्ड धारकों के बीच किए गए अनुबंध की उन शर्तों को फिर से तय करने का कोई अधिकार नहीं है, जिन पर दोनों पक्षों ने आपसी सहमति जताई थी। हम भारतीय रिजर्व बैंक की इन दलीलों से सहमत हैं कि वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में किसी भी बैंक के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए आरबीआई को निर्देश देने का सवाल ही नहीं पैदा होता है।

    क्रेडिट कार्ड धारक को रहना होगा सजग

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम के प्रविधानों और उसके तहत जारी निर्देशों के उलट समूचे बैंकिंग क्षेत्र या किसी एक बैंक को ब्याज दर पर सीमा लगाने का रिजर्व बैंक को निर्देश देने का सवाल नहीं उठता है। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग को एकतरफा ढंग से लगाए गए या अनुचित एवं अविवेकपूर्ण शर्तें रखने वाले अनुचित अनुबंधों को रद करने का पूरा अधिकार है।

    लेकिन बैंकों द्वारा लगाए जाने वाले ब्याज की दर वित्तीय विवेक और आरबीआई निर्देशों से तय होती है। क्रेडिट कार्ड धारकों को विधिवत जानकारी दी जाती है और उन्हें समय पर भुगतान करने तथा देरी पर जुर्माना लगाने सहित उनके विशेषाधिकारों और दायित्वों के बारे में जागरूक किया जाता है।

    यह भी पढ़ें : क्रेडिट कार्ड यूज करते हैं तो इन पांच बातों का रखें ध्यान, नहीं तो फंस जाएंगे कर्ज के जाल में