Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    DHFL मामले में बैंकों ने ली NCLAT की शरण, कहा- एनसीएलटी का निर्देश लागू हुआ तो होगा दूरगामी असर

    DHFL के लेंडर बैंकों ने एनसीएलटी के निर्देश के नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) में एनसीएलटी के निर्देश के खिलाफ याचिका दायर किया है। बैंकों ने इस निर्देश को पूरी तरह से खारिज करने की अपील की है।

    By Ankit KumarEdited By: Updated: Tue, 25 May 2021 06:37 PM (IST)
    Hero Image
    बैंकों की तरफ से दायर याचिका में एनसीएलटी के आदेश को पूरी तरह से आधारहीन, गैर-कानूनी करार दिया गया है।

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। DHFL के लेंडर बैंकों ने एनसीएलटी के निर्देश के नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) में एनसीएलटी के निर्देश के खिलाफ याचिका दायर किया है। बैंकों ने इस निर्देश को पूरी तरह से खारिज करने की अपील की है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने पिछले दिनों कंपनी के कर्जदाताओं की समिति को कहा था कि वह कंपनी के प्रमोटर कपिल वधावन द्वारा दिए जा रहे ऑफर पर भी विचार कर लें। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बैंकों की तरफ से दायर याचिका में एनसीएलटी के आदेश को पूरी तरह से आधारहीन व गैर-कानूनी करार दिया गया है। यहां तक कहा गया है कि यह आदेश बगैर वस्तु-स्थिति को ध्यान में रखते और बिना किसी सोच-विचार के दिया गया है। एनसीएलटी की मुंबई बेंच ने 19 मई को यह आदेश दिया था कि डीएचएफएल के प्रमोटर कपिल वधावन की तरफ से जो सेटलमेंट आफर दिया है उस पर सभी क्रेडिटर्स के बीच वोटिंग होनी चाहिए। वैसे तो यह ऑफर डीएचएफएल की परिसंपत्तियों के लिए पीरामल समूह के ऑफर से ज्यादा है, लेकिन बैंको का कहना है कि इसके पीछे प्रमोटर की मंशा पर ध्यान देना चाहिए। 

    बैंकों को इस बात का भरोसा नहीं है कि प्रमोटर इतनी बड़ी राशि का इंतजाम कर सकता है। साथ ही वह दिवालिया प्रक्रिया को और लटकाने के लिए भी यह प्रस्ताव कर सकता है। एक बार वधावन के प्रस्ताव पर वोटिंग प्रक्रिया शुरू करने का मतलब होगा कि पीरामल ग्रुप के प्रस्ताव को लंबे समय तक ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए।

    सूत्रों का कहना है कि आरबीआइ और वित्त मंत्रालय भी डीएचएफएल दिवालिया प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा होते देखना चाहता है और ये दोनो संस्थान भी एनसीएलटी के आदेश को आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। वधावन के खिलाफ पहले से ही मनी लॉन्ड्रिंग व घोटाले का केस चल रहा है। असल में सरकार ने इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) इसलिए बनाया था कि दिवालिया प्रक्रिया शीघ्रता से पूरी हो। लेकिन ऐसे फैसले इन उद्देश्यों की राह में रोड़ा अटकाते दिख रहे हैं।