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    Bank Of Japan: जापान के केंद्रीय बैंक ने 17 साल बाद ब्याज दरों में किया इजाफा, जानिए भारत पर क्या होगा इसका असर

    बैंक ऑफ जापान ने 17 साल में पहली बार अपनी प्रमुख ब्याज दरों में इजाफा किया है। अब जापान की अल्पकालिक ब्याज दर 0.1 फीसदी हो गई है जो पहले माइनस 0.1 फीसदी थी। बैंक ऑफ जापान दुनिया का आखिरी सेंट्रल बैंक था जिसकी ब्याज माइनस में थी। जानिए बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दरों में क्यों बदलाव किया और इसका भारत जैसे देशों पर क्या प्रभाव होगा।

    By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 19 Mar 2024 05:24 PM (IST)
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    बैंक ऑफ जापान ने आखिरी बार फरवरी 2007 में अपनी ब्याज दरों में इजाफा किया था।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। जापान ने आर्थिक तौर पर एक ऐतिहासिक फैसला किया है। वहां के केंद्रीय बैंक- बैंक ऑफ जापान (Bank of Japan- BOJ) ने 17 साल बाद अपनी प्रमुख ब्याज दरों में इजाफा किया है। अब जापान की अल्पकालिक ब्याज दर 0.1 फीसदी हो गई है, जो पहले माइनस 0.1 फीसदी थी।

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    आखिरी बार 2007 में बढ़ी थी ब्याज दर

    बैंक ऑफ जापान ने इससे पहले आखिरी बार फरवरी 2007 में अपनी ब्याज दरों में इजाफा किया था। उसके बाद से इसमें लगातार कमी ही गई। आठ साल पहले यह माइनस में पहुंच गई और अभी तक माइनस में ही थी। बैंक ऑफ जापान दुनिया का इकलौता सेंट्रल बैंक था, जिसकी प्रमुख ब्याज दर माइनस में थी। लेकिन, अब यह भी पॉजिटिव हो गई।

    भारत पर क्या असर होगा?

    जापान में ब्याज दर माइनस में होने से वहां के निवेशक उन देशों में पैसे लगाते थे, जहां उन्हें अच्छा रिटर्न मिलता था। इनमें भारत भी शामिल था। अब जापान में ब्याज दर बढ़ने से जापानी निवेशक वापस अपने देश का रुख कर सकते हैं और वहां निवेश बढ़ा सकते हैं।

    ऐसे में भारत जैसे देशों के लिए हालात थोड़े मुश्किल हो सकते हैं, जो जापानी निवेशकों से सस्ती दरों पर कर्ज लेते थे। हालांकि, अभी भी जापान में ब्याज दरों में वृद्धि बेहद मामूली है और यह कई अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है।

    बैंक ऑफ जापान ने क्यों बढ़ाई ब्याज दर?

    जापान पिछले कुछ समय से आर्थिक मोर्चे पर बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है। इस साल वह आर्थिक मंदी की चपेट में भी आया और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों की लिस्ट में तीसरे नंबर से फिसलकर चौथे पर पहुंच गया। इस लिस्ट में 4.2 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी वाले जापान को 4.5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी साइज वाले जर्मनी ने पछाड़ा।

    बीती दो तिमाहियों से जापान की जीडीपी में भी गिरावट आई। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले जापानी करेंसी येन की वैल्यू भी घटी। इन सबके चलते जापान ने अपनी आर्थिक नीति में बदलाव का फैसला किया है।

    अपस्फीति से मुद्रास्फीति की ओर जापान

    बैंक ऑफ जापान ने दो फीसदी मुद्रास्फीति (Inflation) का लक्ष्य रखा था। इससे संकेत मिला था कि जापान आखिर अपस्फीति यानी Deflation से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। अपस्फीति असल में मुद्रास्फीति के ठीक उलट स्थिति होती है।

    मुद्रास्फीति बढ़ने का मतलब जहां चीजों का दाम बढ़ना होता है, वहीं अपस्फीति के ट्रेंड में कीमतें जरूरत से ज्यादा कम होने लगती हैं।

    बैंक ऑफ जापान के गवर्नर काजुओ उएदा (Kazuo Ueda) ने कहा था कि अगर हम दो फीसदी के मुद्रास्फीति के लक्ष्य को हासिल कर लेते हैं, तो नकारात्मक ब्याज दर की समीक्षा की जाएगी। इस साल जनवरी में जापान की मुद्रास्फीति 2.2 फीसदी रही थी।

    (रॉयटर्स से इनपुट के साथ)

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