Anil Ambani पर BOB ने भी लगाया फ्रॉड का ठप्पा, क्या बच पाएगी Reliance Communication? आसान भाषा में समझें पूरा मामला
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित कई बैंकों ने बिजनेसमैन अनिल अंबानी पर फ्रॉड होने का ठप्पा लगाया है। अनिल अंबानी की कमिन्युकेशन कंपनी Rcom और उसकी सहयोगी कंपनी ने बैंकों से 31580 करोड़ रुपये का लोन लिया है। एक्सचेंज फाइलिंग के तहत अनिल अंबानी को फ्रॉड कहा गया है। ये लोन Rcom के सीआईआरपी में प्रवेश करने से पहले का है।

नई दिल्ली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित कई बैंकों ने बिजनेसमैन अनिल अंबानी पर फ्रॉड होने का ठप्पा लगाया है। अब बैंक ऑफ बड़ौदा भी इन बैंकों में शामिल हो चुकी है। अनिल अंबानी की एक्स कमिन्युकेशन कंपनी Rcom और उसकी सहयोगी कंपनी ने बैंकों से 31,580 करोड़ रुपये का लोन लिया है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने गुरुवार को हुई एक्सचेंज फाइलिंग के हवाले से कहा कि अनिल अंबानी, रिलायंस कम्युनिकेशन और सहयोगी कंपनियां फ्रॉड है।
BOB ने क्या लगाया आरोप?
देश की दिग्गज प्राइवेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा का ये आरोप है कि रिलायंस कम्युनिकेशन और सहयोग कंपनियों ने बैंक से सीआईआरपी (CIRP) में प्रवेश करने से पहले लोन लिया था। बैंक इसका हवाला गुरुवार को हुई एक्सचेंज फाइलिंग को दे रही है।
आसान भाषा में समझें
CIRP यानी Corporate Insolvency Resolution Process। इसके तहत उन कंपनियों को शामिल किया जाता है, जिनका दिवाला निकल चुका हो। ऐसी कंपनी जो आर्थिक संकट में फंसी हो। एक्सचेंज फाइलिंग (सेबी ने को देने वाली फाइनेंशियल स्टेटमेंट या रिपोर्ट) के हवाले से बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा ये आरोप लगाया गया है कि Rcom और सहयोगी कंपनियों ने CIRP में एंट्री लेने से पहले लोन लिया था।
कंपनी का क्या कहना है?
- कंपनी ने अपनी सफाई में कहा कि Rcom और उसकी सहयोगी कंपनियों को अब अनीश निरंजन नानावटी नियंत्रित कर रहे हैं। अनिल अंबानी को कंपनी से निकाल दिया गया है।
- कंपनी का ये भी दावा है कि Rcom और उसकी सहयोगी कंपनियों ने ये लोन दिवायालपन से पहले लिया गया था।
- आरकॉम अपनी स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रहा है। लोन से संबंधित जो भी समाधान निकाले गए हैं, उसे ऋणदाताओं की समिति द्वारा मंजूरी दे दी गई है। फिलहाल NCLT (राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण) से मंजूरी का इंतजार है।
- इसके साथ ही कंपनी ने ये भी कहा कि जब तक वे CIRP के तहत सुधार कर रहे हैं, उन पर कोई भी संस्था आरोप नहीं लगा सकती है और न ही वे किसी के जवाबदेही है।
ED का क्या आरोप है?
बैंक ऑफ बड़ौदा का आरोप ऐसी स्थिति में आया जब ईडी द्वारा जांच की जा रही है। ईडी ने कथित तौर पर रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस, आरकॉम और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस को दिए गए ऋणों के संबंध में 12-13 बैंकों से विवरण मांगा है। इस धोखाधड़ी में लगभग 17,000 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।
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