ट्रंप की भारत पर टिप्पणी अपमानजनक और अस्वीकार्य
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत पर की गई टिप्पणियों को अपमानजनक और अस्वीकार्य बताया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि ट्रंप की धमकी भरी रणनीति के आगे न झुकें और किसी अपर्याप्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर न करें। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी संप्रभुता बनाए रखनी चाहिए और समझौते पर संसद और राजनीतिक दलों को विश्वास में लेना चाहिए।

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और पूर्व वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत और उसकी अर्थव्यवस्था पर टिप्पणियां 'अपमानजनक और अस्वीकार्य' हैं।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह ट्रंप की 'धमकी भरी रणनीति' के आगे न झुके और एक 'अपर्याप्त' व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर न करे। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी संप्रभुता और सर्वोच्च राष्ट्रीय हितों को बनाए रखना चाहिए और अमेरिका के साथ किसी भी समझौते पर संसद के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को विश्वास में लेना चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शशि थरूर ने भी कहा है कि ट्रंप की टिप्पणी ''अपमानजनक'' थी और इसे ''शाब्दिक अर्थ में'' नहीं लिया जाना चाहिए। जब कुछ सबसे बड़ी शक्तियों की सक्रिय भागीदारी से युद्ध लड़े जा रहे हों और विश्व व्यवस्था को बनाए रखने वाले लोग अव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हों, तो भारत को अपने राष्ट्रीय हितों के बारे में बहुत स्पष्ट होना चाहिए।
आनंद शर्मा ने एक बयान में कहा, ''राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने बयानों और कार्यों से विश्व व्यवस्था में उथल-पुथल मचा दी है और अभूतपूर्व व्यवधान पैदा किया है। भारत और उसकी अर्थव्यवस्था पर उनकी टिप्पणियां अपमानजनक और अस्वीकार्य हैं।'' उनकी यह टिप्पणी ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माना लगाने की घोषणा और भारत तथा रूस को ''डेड इकानमी'' कहने के कुछ दिनों बाद आई है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की ट्रंप की आलोचना को दोहराते हुए राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को छोड़कर सभी जानते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था ''मृतप्राय'' है। बहरहाल, शर्मा ने कहा कि भारत ने अतीत में दबावों और खतरों का सामना किया है और मजबूती से उभरा है।
उन्होंने कहा, ''राष्ट्रपति ट्रंप यह गलतफहमी में हैं कि भारत के पास विकल्प नहीं हैं। चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत में समानता और पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों पर दुनिया के साथ जुड़ने की लचीलापन और अंतर्निहित ताकत है।''
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