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    अंबानी भाइयों में 12 हजार करोड़ का करार

    By Edited By:
    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। जिस मोबाइल टेलीफोनी के लिए एक समय अंबानी बंधु मुकेश व अनिल के बीच अनबन हुई थी उसी कारोबार में सहयोग के लिए दोनों की कंपनियां अब फिर से साथ हो रही हैं। शुक्रवार को मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो और अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस [आरकॉम] के बीच 12 हजार करोड़ रुपये का समझौता हुआ है। इसके मुताबिक रिलायंस जियो आरकॉम के मोबाइल टावरों का इस्तेमाल करेगी। ये टावर मुकेश की कंपनी की 4जी आधारित मोबाइल सेवा की रीढ़ साबित होंगे।

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। जिस मोबाइल टेलीफोनी के लिए एक समय अंबानी बंधु मुकेश व अनिल के बीच अनबन हुई थी उसी कारोबार में सहयोग के लिए दोनों की कंपनियां अब फिर से साथ हो रही हैं। शुक्रवार को मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो और अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस [आरकॉम] के बीच 12 हजार करोड़ रुपये का समझौता हुआ है। इसके मुताबिक रिलायंस जियो आरकॉम के मोबाइल टावरों का इस्तेमाल करेगी। ये टावर मुकेश की कंपनी की 4जी आधारित मोबाइल सेवा की रीढ़ साबित होंगे।

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    दो महीने पहले भी दोनों कंपनियां ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए ऑप्टिकल फाइबर के इस्तेमाल का करार कर चुकी हैं। यह सौदा 1,200 करोड़ रुपये में हुआ था। रिलायंस इंडस्ट्रीज [आरआइएल] के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने गुरुवार को ही रिलायंस जियो की भावी योजना का एलान किया था। इसमें कहा गया था कि कंपनी की मोबाइल सेवा अगले साल से शुरू हो सकती है। शुक्रवार को जो समझौता हुआ है उसके मुताबिक रिलायंस इंफोकॉम के देश भर में फैले 45 हजार टावरों का इस्तेमाल रिलायंस जियो की सेवाओं के लिए किया जाएगा।

    इस समझौते को दोनों कंपनियों के लिए फायदे का सौदा माना जा रहा है। रिलायंस जियो को जहां नया नेटवर्क बनाने पर अरबों रुपये खर्च नहीं करने पड़ेंगे, वहीं अनिल की कंपनी को मौजूदा ढांचे पर ही कमाई करने का बेहतरीन मौका मिल गया है। रिलायंस इंफोकॉम को अगले 15 वर्षो तक सालाना 800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व इस सौदे से मिलेगा। भारी कर्ज में डूबी इस कंपनी को इससे काफी राहत मिलेगी।

    वैसे, दोनों पक्षों की तरफ से इस बात के संकेत दिए गए हैं कि आगे चल कर इस समझौते का दायरा और बढ़ सकता है। दोनों कंपनियां अब एक साथ टावर लगाने की दिशा में काम कर सकती हैं। समझौते में इस बात का जिक्र है कि नए टावर लगाने की संभावना दोनों कंपनियां संयुक्त तौर पर तलाशेंगी ताकि टेलीफोन विस्तार ज्यादा से ज्यादा किया जा सके।

    मुकेश अंबानी की कंपनी ने वर्ष 2010 में पूरे देश में 3जी आधारित ब्रॉडबैंड सेवा [बीडब्ल्यूए] देने का लाइसेंस हासिल किया था। मगर नई तकनीक के जरिये इस ब्रॉडबैंड पर 4जी आधारित मोबाइल सेवा दी जा सकती है। असल में राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का लाइसेंस हासिल करने वाली यह इकलौती कंपनी है। माना जा रहा है कि कंपनी बहुत ही सस्ती दरों पर वॉयस व डाटा ट्रांसफर की सेवा भारत में लांच करेगी।