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    रूस ने किस मजबूरी के चलते अमेरिका को बेचा था Alaska, कितनी मिली थी कीमत; अंग्रेज थे इस कहानी के विलेन

    Updated: Sat, 16 Aug 2025 09:06 PM (IST)

    Alaska Deal रूस और अमेरिका के बीच 36 आंकड़ा है। भले ही दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने अलास्का में मुलाकात की। लेकिन इस मुलाकात से दोनों के बीच मिठास नहीं आने वाली। अमेरिका के जिस सरजमी पर पुतिन और ट्रंप मिले वो कभी रूस का हिस्सा हुआ करता था। आइए जानते हैं कि आखिर रूस ने इसे क्यों बेचा था।

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    रूस ने किस मजबूरी के चलते अमेरिका को बेचा था Alaska,

    नई दिल्ली। Alaska Deal:  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलास्का में मिले। अमेरिका ने पुतिन का शानदार स्वागत किया। इस मुलाकात ने अलास्का के इतिहास के बारे में चर्चा छेड़ दी। क्योंकि अलास्का कभी रूस का हिस्सा हुआ करता था। फिर ऐसा क्या हुआ कि आखिर रूस ने इसे अमेरिका को बेच दिया। आज हम इसी कहानी के बारे में जानेंगे।

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    अलास्का को अमेरिका ने आज नहीं बल्कि सैकड़ों साल पहले खरीदा था। यह कहानी है साल 1867 की जब अमेरिकी सरकार ने रूस से अलास्का खरीदा था। रूस ने इसे ऐसे ही अमेरिका को नहीं बेच दिया था। इसके पीछे की कहानी बड़ी रोचक है।

    रूस ने हासिल किया था अलास्का पर नियंत्रण

    रूसी जार पीटर द ग्रेट ने 1725 में अलास्का के तट का पता लगाने के लिए डेनिश नाविक विटस बेरिंग को भेजा, तब से ही रूस की इस क्षेत्र में गहरी रुचि थी, जो प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध था – जिसमें आकर्षक समुद्री ऊदबिलाव की खाल भी शामिल थी – और कम आबादी वाला था।

    कहानी आगे बढ़ी और 1799 में, सम्राट पॉल प्रथम ने "रूसी-अमेरिकी कंपनी" को अलास्का के शासन पर एकाधिकार प्रदान किया। इस राज्य-प्रायोजित समूह ने सीताका जैसी बस्तियां स्थापित की, जो 1804 में रूस द्वारा स्थानीय त्लिंगित जनजाति पर निर्दयतापूर्वक विजय प्राप्त करने के बाद औपनिवेशिक कैपिटल बन गई।

    रूस की Alaska महत्वाकांक्षाओं को जल्द ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। तत्कालीन राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग से विशाल दूरी, कठोर जलवायु, आपूर्ति की कमी और अमेरिकी खोजकर्ताओं से बढ़ती प्रतिस्पर्धा ये सब उसके लिए चुनौतियां बनने लगीं।

    इसके बाद 1800 के दशक की शुरुआत में जैसे-जैसे अमेरिका पश्चिम की ओर बढ़ा। अमेरिकियों को जल्द ही खुद को रूसी व्यापारियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना पड़ा। इसके अलावा, रूस के पास प्रशांत तट पर बड़ी बस्तियां और सैन्य उपस्थिति बनाए रखने के लिए संसाधनों का अभाव था।

    कहानी में ब्रिटेन की एंट्री

    क्रीमिया युद्ध (1853-1856) तब शुरू हुआ जब रूस ने मोल्दाविया और वालाचिया (आधुनिक रोमानिया) की तुर्की डेन्यूबियन रियासतों पर आक्रमण किया। अपने व्यापार मार्गों में रूसी विस्तार से चिंतित, ब्रिटेन और फ्रांस ने बीमार ओटोमन साम्राज्य के साथ गठबंधन किया। यानी

    युद्ध का मुख्य क्षेत्र क्रीमिया प्रायद्वीप बन गया। यहां पर ब्रिटिश और फ्रांसीसी सेनाओं ने काला सागर में रूसी ठिकानों को निशाना बनाया, जो बोस्फोरस और डार्डानेल्स जलडमरूमध्य के माध्यम से भूमध्य सागर से जुड़ता है - जो पहले ओटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था।

    रूस को इस युद्ध हार का सामना करना पड़ा। उसे अपनी औपनिवेशिक प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। रूस ने युद्ध पर 16 करोड़ पाउंड स्टर्लिंग के बराबर राशि खर्च की।

    अत्यधिक शिकार के कारण, 1800 के दशक के मध्य तक अलास्का को बहुत कम लाभ हुआ। ब्रिटिश-नियंत्रित कनाडा से इसकी निकटता ने इसे भविष्य में किसी भी एंग्लो-रूसी संघर्ष में एक दायित्व बना दिया।

    1860 के दशक के प्रारंभ में, जार अलेक्जेंडर द्वितीय ने यह निष्कर्ष निकाला कि अलास्का को बेचने से न केवल रूस को आवश्यक धन मिलेगा, बल्कि भविष्य के किसी युद्ध में ब्रिटेन को इसे हथियाने से भी रोका जा सकेगा। और यहीं एंट्री होती है अमेरिका की।  अमेरिका पूरे महाद्वीप में विस्तार कर रहा था, एक इच्छुक खरीदार के रूप में उभरा। इसके बाद उसने 1867 में अलास्का को खरीद लिया।

    कितने में रूस ने अमेरिका को बेचा था अलास्का?

    1865 में अमेरिकी गृहयुद्ध समाप्त होने के बाद, विदेश मंत्री विलियम सीवार्ड ने अलास्का खरीदने के रूस के लंबे समय से चले आ रहे प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। 30 मार्च, 1867 को, वाशिंगटन रूस से अलास्का को 7.2 मिलियन डॉलर में खरीदने के लिए सहमत हो गया।

    2 सेंट प्रति एकड़ (4 मीटर) से भी कम कीमत पर, अमेरिका ने लगभग 1.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर (600,000 वर्ग मील) जमीन हासिल कर ली और प्रशांत महासागर के उत्तरी किनारे तक पहुंच सुनिश्चित कर ली।

    आज एक दूसरे के जानी दुश्मन है रूस और अमेरिका?

    एक समय था जब अलास्का को रूस ने अमेरिका को बेचा था उस वक्त दोनों में बड़ी मित्रता थी। लेकिन आज कहानी पूरी बदल गई है। आज दोनों एक दूसरे के जानी-दुश्मन हैं। दोनों एक दूसरे के खिलाफ हथियार नहीं उठाते लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे से हारते और जीतते रहते हैं।

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