Air India के विनिवेश पर पुनर्विचार की चल रही सुगबुगाहट, अभी तक खरीद के लिए नहीं मिली बोली
Air India सरकार ने विनिवेश का निर्णय लेते वक्त कर्मचारियों को भरोसा दिया था कि उनके हितों की पूरी रक्षा की जाएगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना वैश्विक महामारी संकट के दौरान देश-विदेश में राहत एवं बचाव कार्यों में असाधारण भूमिका निभाने तथा वैश्विक एयरलाइन उद्योग की मुश्किलें गहराने के कारण सरकार एयर इंडिया का विनिवेश स्थगित कर सकती है। कोरोना संकट में दुनियाभर में फंसे भारतीयों को वापस लाने से लेकर दवाओं और मेडिकल उपकरणों को आपात जरूरतों के लिए पहुंचाने में महाराजा यानी एयर इंडिया ने अपने साहस से सबका दिल जीता है।
सूत्रों के अनुसार विमानन मंत्रालय के अधिकारियों ने सरकार को बताया है कि कोरोना संकट के कारण एयर इंडिया की खरीद के लिए कोई बोली नहीं आई है। जो बोलियां शुरू में आई थीं, उन्होंने भी बाद में हाथ खींच लिए। अधिकारियों ने सरकार को यह भी बताया है कि यदि एयर इंडिया उनके नियंत्रण में न होती तो विदेश में फंसे भारतीय आसानी से नहीं आ पाते और न देश-विदेश के विभिन्न भागों में कोरोना-रोधी मेडिकल सामग्री की इतनी त्वरित गति से आपूर्ति संभव हो पाती।
असल में एयर इंडिया के कर्मचारियों का भी एक बड़ा तबका यही कहता रहा है कि सरकार टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल के निजीकरण नहीं करने के पीछे जो तर्क देती है, वह एयर इंडिया के लिए लागू क्यों नहीं हो सकता है। बीएसएनएल के मामले में सरकार कई बार कह चुकी है कि संकट और आपदा के वक्त यह कंपनी संचार का सबसे प्रमुख साधन बन जाती है। इसलिए सरकार इसका निजीकरण नहीं करेगी।
विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार लॉकडाउन के दौरान 13 अप्रैल तक 218 लाइफलाइन उड़ानों ने दो लाख किमी से अधिक दूरी तय कर 377 टन से अधिक मेडिकल व अन्य सामान देश के विभिन्न भागों में पहुंचाया गया। कोरोना के बीच एयर इंडिया की भूमिका की स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रशंसा कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर इटली में फंसे भारतीयों को वापस लाने वाले एयर इंडिया के क्रू सदस्यों की तारीफ की थी।
मालूम हो कि सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया को रफ्तार देते हुए इस वर्ष जनवरी में एयर इंडिया तथा एयर इंडिया एक्सप्रेस की 100 फीसद और एयर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज की 50 फीसद इक्विटी खरीदने के लिए देश-विदेश की इच्छुक कंपनियों से निविदाएं मांगी थीं। लेकिन दुनिया कोरोना संकट को देखते हुए निविदा जमा करने की अंतिम तिथि को 17 मार्च की मूल तिथि से बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दिया था। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले अंतरमंत्रालयी समूह ने कोरोना से उपजे वैश्विक संकट के मदद्देनजर उक्त निर्णय लिया था।
इसी समूह पर एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया की पूरी जिम्मेदारी है। इसी समूह से जुड़े अधिकांश मंत्रियों पर कोरोना संकट से निपटने का दायित्व भी है। सरकार ने विनिवेश का निर्णय लेते वक्त कर्मचारियों को भरोसा दिया था कि उनके हितों की पूरी रक्षा की जाएगी। खरीदार के साथ समझौते की शर्तों में इस बात को रखा जाएगा कि बिक्री के बाद निजी कंपनी किसी कर्मचारी को सेवाकाल पूरा होने तक निकालेगी नहीं। इन चर्चाओं के बीच एयर इंडिया प्रबंधन ने कोरोना से आमदनी में आई गिरावट के चलते कर्मचारियों से वेतन कटौती के लिए तैयार रहने को कहा है, जिसे कर्मचारियों ने सहर्ष स्वीकार करने के संकेत दिए हैं। कर्मचारियों का कहना है कि अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों को देखते हुए वे सरकार का पूरी तरह साथ देंगे।