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    हवा में उड़ना पड़ेगा महंगा, एयरलाइंस बढ़ा रही हैं किराया

    By Edited By:
    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    कच्चे तेल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमत और रुपये की कमजोरी के कारण तेल कंपनियों ने हवाई ईधन (एटीएफ) के दाम में 6.

    नई दिल्ली। कच्चे तेल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमत और रुपये की कमजोरी के कारण तेल कंपनियों ने हवाई ईधन (एटीएफ) के दाम में 6.9 फीसद का भारी इजाफा किया है। दिल्ली में एटीएफ की कीमत 4,827.94 रुपये बढ़कर 75,031 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई है। यह अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। अगस्त, 2008 में जेट ईंधन 71,028 रुपये प्रति किलोलीटर के स्तर तक गया था। नई दरें रविवार मध्य रात्रि से ही लागू हो गई है।

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    एटीएफ की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए जेट एयरवेज ने किरायों में बढ़ोतरी की शुरुआत कर दी है। खाड़ी देशों की उड़ानों पर एयरलाइन ने प्रति टिकट 3,250 रुपये की बढ़ोतरी का फैसला किया है। स्पाइस जेट, इंडिगो, गोएयर जैसी अन्य एयरलाइनें भी किराया बढ़ाने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही हैं। सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया पर भी किराया बढ़ाने का दबाव है। मगर फिलहाल उसकी ओर से इसके संकेत नहीं मिले हैं।

    एयरलाइनों की परिचालन लागत में 40 फीसद हिस्सेदारी अकेले एटीएफ की होती है। जून के बाद से अब तक चार बार में एटीएफ के दाम 20 फीसद तक बढ़ चुके हैं। इससे पहले एक जून, एक जुलाई और एक अगस्त को कीमतें बढ़ी थी। ईंधन की महंगाई को देखते हुए गोएयर ने किरायों में बढ़ोतरी को पिछले हफ्ते ही जरूरी बता दिया था। मगर अर्थव्यवस्था की सुस्ती व हवाई यातायात में कमी को देखते हुए एयरलाइंस अभी तक किराया बढ़ाने से बचती आ रही थीं। मगर अब उनके लिए इस बोझ को वहन करना मुश्किल हो गया है। पिछले एक साल में किरायों में कमोबेश कमी ही हुई है। एयरलाइंस सबसे पहले खाड़ी देशों के किराये इसलिए बढ़ा रही हैं क्योंकि इन देशों के लिए यात्र करने वालों की संख्या पश्चिमी देशों के मुकाबले बढ़ी है।

    भारतीय एयरलाइनों के अलावा भारत से उड़ानें संचालित करने वाली एमीरेट्स, कैथे पैसिफिक जैसी विदेशी एयरलाइनें भी किरायों में बढ़ोतरी कर रही हैं। जहां निजी एयरलाइनें किराया बढ़ाने को मजबूर हैं, वहीं एयर इंडिया दबाव के बावजूद ऐसा करने से बच रही है। इसके बजाय वह लो कॉस्ट किराया स्कीमों को बंद या कम करने की कोशिश कर रही है। इस बीच, सरकार की तरफ से भी यात्री सेवा शुल्क बढ़ाने पर विचार हो रहा है। यह हवाई अड्डों की सुरक्षा पर होने वाले खर्च के लिए वसूला जाने वाला शुल्क है जिसमें पिछले 11 साल से बढ़ोतरी नहीं हुई है। इस दौरान सुरक्षा पर आने वाली लागत में तीन गुना बढ़ोतरी हो चुकी है। हवाई अड्डों की सुरक्षा पर सरकार हर साल तकरीबन 1,250 करोड़ रुपये खर्च करती है। इसके मुकाबले यात्री सेवा शुल्क से केवल तकरीबन 400 करोड़ रुपये प्राप्त होते हैं। नागरिक विमानन मंत्रलय के एक अधिकारी के अनुसार अगले महीने एयरलाइनों की बैठक बुलाई गई है। इसमें तमाम मसलों पर विचार किया जाएगा।