Move to Jagran APP

गरीबी उन्मूलन और रोजगार मुहैया कराने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका

इन विषम परिस्थितियों में खाद्य श्रृंखला बनाए रखने की चुनौतियों से निपटने के लिए तत्काल विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में विभिन्न फसलों की कुल 35 प्रजातियां विकसित की गई हैं। उन्होंने कहा कि देश में कुल 86 फीसद किसान छोटे व सीमांत हैं

By NiteshEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 09:47 PM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 09:47 PM (IST)
गरीबी उन्मूलन और रोजगार मुहैया कराने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका
गरीबी उन्मूलन और रोजगार मुहैया कराने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में गरीबी उन्मूलन और रोजगार मुहैया कराने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका का जिक्र करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने कहा कि आने वाले दिनों में किसानों की आमदनी दोगुनी होने के साथ ही देश की खाद्य सुरक्षा और मजबूत होगी। हरिवंश शुक्रवार को रोम में आयोजित जी-20 के सातवें सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, इसका विषय 'महामारी के बाद खाद्य सुरक्षा की निरंतरता' था।

loksabha election banner

हरिवंश ने कहा कि कोरोना महामारी की चुनौतियों के बीच सबके लिए पोषणयुक्त भोजन सुनिश्चित कराने के दौरान आत्मसमीक्षा का मौका मिला। इस दौरान करोड़ों किसानों की कड़ी मेहनत और किसान हितैषी सरकारी नीतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस सबसे खराब काल में इस क्षेत्र का प्रदर्शन शानदार रहा। भारत में रिकार्ड 30.8 करोड़ टन खाद्यान्न की पैदावार हुई है।इसी कारण कोरोना के इस कठिन समय में जहां राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया, वहीं सबके लिए अति रियायती दरों पर अनाज वितरित किया गया।

81 करोड़ आबादी को कई महीनों तक मुफ्त राशन भी वितरित किया गया। कोरोना के दौरान सरकार ने कृषि क्षेत्र को पूरा सहयोग दिया। इसी समय देश के 11 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में सीधे डेढ़ लाख करोड़ से अधिक नकदी जमा कराई गई। सरकारी सहायता में आधार की डिजिटल टेक्नोलाजी के प्रयोग से भ्रष्टाचार को सीमित कर दिया गया।हरिवंश ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ी हैं। इससे प्राकृतिक संसाधनों में पानी की कमी के साथ भूमि के क्षरण और मवेशियों का भारी नुकसान होने की चुनौतियां हैं।

इन विषम परिस्थितियों में खाद्य श्रृंखला बनाए रखने की चुनौतियों से निपटने के लिए तत्काल विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में विभिन्न फसलों की कुल 35 प्रजातियां विकसित की गई हैं। उन्होंने कहा कि देश में कुल 86 फीसद किसान छोटे व सीमांत हैं, जिनके पास बहुत छोटी जोत है। ये किसान अपने जीवन-यापन के लिए खेती करते हैं, जिनमें कार्बन उत्सर्जन बहुत कम होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.