जिस अफगानिस्तान से भागने पर मजबूर हुआ था अमेरिका, कितना गरीब है वो तालिबानी देश; कैसे-कैसे करता है कमाई
अफगानिस्तान में आए भूकंप से भारी तबाही मची है। कभी यहां अमेरिका का राज हुआ करता था। लेकिन तालिबानियों के आगे अमेरिकी सैनिकों को अपने देश वापस लौटना पड़ा था। US ने अफगानिस्तान में लड़ाई के पीछे करीब 2.26 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए थी। इतनी तो अफगानिस्तान की जीडीपी (Afghanistan GDP Per Capita) आने वाले कई सालों में भी नहीं हो सकती।

नई दिल्ली। Afghanistan Economy: अफगानिस्तान इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां के जलालाबाद शहर में 6.0 की तीव्रता के भूकंप (Earthquake) ने भयंकर तबाही मचाई। अब तक 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 3 हजार से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। इस भूकंप से तालिबान को भारी नुकसान हुआ है। यह वही अफगानिस्तान है, जहां कभी अमेरिकी सैनिक रहा करते थे। लेकिन तालिबान के आगे अमेरिका को अपने सैनिकों को वापस बुलाना पड़ा था।
ब्राउन यूनिवर्सिटी के कॉस्ट्स ऑफ वॉर प्रोजेक्ट के अनुसार, 2001 से 2021 के बीच अमेरिका ने अफगानिस्तान में 2.26 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए। अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद यहां पर तालिबान का शासन है। अमेरिका के जाने के बाद इसकी जीडीपी ग्रोथ में एकाएक गिरावट आई थी। हालांकि, अब एक बार फिर से अफगानिस्तान पटरी पर लौट रहा है। आइए जानते हैं कि आखिर तालिबानी शासन के तले चल रहे अफगानिस्तान की जीडीपी कितनी है और कमाई के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं?
कितनी है अफगानिस्तान की GDP?
2023 के वर्ल्ड इकोनॉमिक के आंकड़ों के अनुसार अफगानिस्तान की जीडीपी 17.23 बिलियन डॉलर है। 2025 तक यह 18.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। 2023 में GDP ग्रोथ रेट 2.71% थी। अफगानिस्तान की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (Afghanistan GDP Per Capita) 2023 में 380 डॉलर थी। 2022 में 378 डॉलर थी।
कैसे होती है अफगानिस्तान की कमाई?
अफगानिस्तान की अर्थव्यस्था (Afghanistan Economy) में तीन सेक्टर मुख्य भूमिका निभाते हैं। सर्विस सेक्टर, एग्रीकल्चर और ट्रांसपोर्ट। तालिबानी राज में इसकी आय के स्रोत वैध और अवैध गतिविधियों दोनों से आ रहे हैं। कृषि इसमें भूमिका में आता है। यहां के फल, मेवे और ऊन विदेशों में खूब निर्यात किए जाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर संयुक्त राष्ट्र के COMTRADE डेटाबेस के अनुसार, 2019 में अफगानिस्तान का कुल निर्यात 870.49 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था। इसके मुख्य निर्यात साझेदार भारत, पाकिस्तान और चीन थे। अफगानिस्तान की टॉप एक्सपोर्ट वस्तुएं खाद्य फल, मेवे, खट्टे फलों के छिलके, खरबूजे; लाख, गोंद, रेजिन और खाद्य सब्जियां तथा कुछ मूल और कंद थे। 2019 में, अफगानिस्तान का व्यापार घाटा 7.70 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर निर्भर है, जो अधिकांश आबादी को रोजगार देती है, हालांकि इस क्षेत्र को खराब बुनियादी ढांचे और सूखे जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विदेशी सहायता ऐतिहासिक रूप से आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत रही है, जबकि अवैध अफीम व्यापार तालिबान सहित कुछ समूहों के लिए महत्वपूर्ण राजस्व (Revenue) प्रदान करता है।
अफगानिस्तान के खनिजों पर चीन की नजर
अफगानिस्तान में अनुमानित 2.2 अरब टन लौह अयस्क, 6 करोड़ टन तांबा, 18.3 करोड़ टन एल्यूमीनियम और लैन्थेनम, सेरियम और नियोडिमियम जैसे दुर्लभ मृदा तत्वों के विशाल भंडार मौजूद हैं।
अफगानिस्तान के तांबे और लिथियम के भंडार, अन्य खनिजों के अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा की ओर वैश्विक बदलाव और डिजिटल तकनीकों पर निर्भरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। चीन ने अफगानिस्तान के संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित करने में गहरी रुचि दिखाई है और उसके खनन उद्योग में भारी निवेश किया है, और दुनिया के सबसे बड़े तांबे के भंडारों में से एक, मेस अयनाक तांबा खदान जैसी परियोजनाओं के लिए अरबों डॉलर के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं।
अफगानिस्तान क्या-क्या करता है निर्यात
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