आरबीआई ने कर्ज किया सस्ता, जानिए किस रियल एस्टेट सेगमेंट में सबसे ज्यादा बढ़ेगी मांग, डेवलपर्स पर क्या होगा असर
Housing market boost रिजर्व बैंक ने जो कर्ज सस्ता किया है उससे अफॉर्डेबल और मध्य आय वर्ग के घरों की मांग बढ़ने की उम्मीद है। डेवलपर्स के लिए भी कर्ज सस्ता होगा। सीआरआर घटाए जाने से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए ज्यादा रकम उपलब्ध होगी तो डेवलपर को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए अधिक कर्ज मिल सकता है। इससे प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने में मदद मिलेगी।

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की है। इस बार रेपो रेट 0.5 प्रतिशत घटाया गया है। इस तरह फरवरी से लेकर अब तक रेपो रेट एक प्रतिशत कम हो चुका है। उम्मीद की जा रही है कि बैंक कर्ज पर ब्याज की दर में भी इतनी कटौती करेंगे। इसका सबसे ज्यादा फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को होगा। स्टील और सीमेंट समेत करीब 200 सेक्टर रियल एस्टेट से जुड़े होते हैं, इसलिए रियल एस्टेट को बूस्ट मिलने पर पूरी इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा।
अफॉर्डेबल और मध्य आय वर्ग हाउसिंग सेगमेंट में बढ़ेगी मांग
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, उम्मीद के मुताबिक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 0.5 प्रतिशत घटकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है। महंगाई में हाल के महीनों में गिरावट की वजह से आरबीआई ने यह कदम उठाया है। इससे कर्ज सस्ता होगा, होम लोन की ईएमआई घटेगी और कुल मिलाकर घर खरीदारों की अफॉर्डेबिलिटी बेहतर होगी। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में डिमांड बढ़ने की उम्मीद है, खासकर अफॉर्डेबल (Affordable housing demand) और मध्य आय वर्ग (Mid-income home buyers) वाले सेगमेंट में। महामारी के बाद अफॉर्डेबल हाउसिंग सबसे ज्यादा प्रभावित हुई थी। देश के सात बड़े शहरों में इनकी बिक्री और नई लॉन्चिंग घट गई थी।
एनारॉक के आंकड़े बताते हैं कि कुल घरों की बिक्री में अफॉर्डेबल हाउसिंग का हिस्सा 2019 में 38% था, यह 2024 में घटकर 18% रह गया। इनकी सप्लाई भी 40% से घटकर 16% रह गई। उम्मीद की जानी चाहिए कि रेपो रेट में इस कटौती का पूरा फायदा बैंक ग्राहकों को देंगे। इससे ग्राहकों के साथ-साथ डेवलपर्स के लिए भी कर्ज सस्ता होगा।
डेवलपर्स को समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद
कैश रिजर्व रेशियो (CRR) घटाए जाने से बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी और बैंकों के पास कर्ज देने के लिए ज्यादा रकम उपलब्ध होगी। रियल एस्टेट के नजरिए से देखें तो डेवलपर्स को अपने प्रोजेक्ट के लिए अधिक पूंजी मिल सकती है। उन्हें समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने (Real estate project completion) में मदद मिलेगी।
लग्जरी और कमर्शियल प्रोजेक्ट पर वैश्विक अनिश्चतता का असर
हालांकि इन तमाम सकारात्मक कदमों के बावजूद वैश्विक स्तर पर व्यापार में जो तनाव बरकरार है और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से जो टैरिफ लगाए गए हैं, उससे इंपोर्टेड कंस्ट्रक्शन मैटेरियल के दाम बढ़े हैं। साथ ही आर्थिक अनिश्चितता भी बनी है। लग्जरी और कमर्शियल प्रोजेक्ट पर इसका कुछ असर दिख सकता है। इस सेगमेंट में डेवलपर का मार्जिन भी कम होने के आसार हैं।
ब्याज दरों में कटौती और तरलता बढ़ने से खपत को प्रोत्साहन मिलेगा
प्रॉपइक्विटी के संस्थापक एवं सीईओ समीर जसूजा के अनुसार, रेपो रेट में तीन बार में एक प्रतिशत और सीआरआर में एक प्रतिशत की कमी एक साहसिक और प्रगतिशील कदम है। इन कदमों से तरलता बढ़ेगी और कर्ज़ में वृद्धि को प्रोत्साहित होगी, क्योंकि भारत की जीडीपी वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में बढ़कर चार तिमाहियों के उच्चतम स्तर 7.4% पर पहुंच गई है।
खुदरा महंगाई आरामदायक दायरे में है, इसलिए ब्याज दरों में इस गहरी कटौती और तरलता संबंधी उपायों से कंजम्पशन को प्रोत्साहन मिलेगा। ये दोनों उपाय यह सुनिश्चित करेंगे कि ब्याज दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक जल्दी पहुंचे, ताकि नए घर खरीदने वालों को बढ़ती हाउसिंग कीमतों के प्रभाव से राहत मिले और किफायती आवास क्षेत्र को भी बढ़ावा मिले।
प्रॉपइक्विटी के अनुसार भारत के टॉप 9 शहरों में घरों की बिक्री में गिरावट आई है। इसमें 2024 की पहली तिमाही में 3 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन 2025 की पहली तिमाही में 20 फीसदी गिरावट आई है। अफॉर्डेबल एवं मिड-इनकम कैटेगरी (एक करोड़ रुपये से कम) में घरों की आपूर्ति पिछले दो सालों (2022-24) के दौरान टॉप 9 शहरों में 36 फीसदी गिरी है। इसके विपरीत एक करोड़ रुपये से अधिक कीमत के घरों की आपूर्ति पिछले दो सालों में 48 फीसदी बढ़ी है।
लिक्विडिटी बेहतर, इसलिए कर्ज पर ब्याज दर अधिक घटने की उम्मीद
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा, “ पिछले कुछ वर्षों में हाउसिंग मार्केट की मजबूत गति प्रीमियम सेगमेंट तक सीमित होती जा रही थी, जबकि निचले सेगमेंट कमजोर पड़ने लगे थे। ब्याज दर में कुल 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती से उम्मीद है कि निचले सेगमेंट में फिर से जान आएगी। हम आशा करते हैं कि डेवलपर समुदाय भी इस हाउसिंग मार्केट बाजार में तेजी लाने के लिए इस पर फोकस करेगा। तरलता की स्थिति संतुलित बनी हुई है, इसलिए हम नीतिगत दर में बदलाव का व्यापक असर देखने की अपेक्षा रखते हैं।”
रियल एस्टेट प्लेटफॉर्म स्क्वायर यार्ड्स के को-फाउंडर और अर्बन मनी के चीफ बिजनेस ऑफिसर अमित प्रकाश सिंह के अनुसार, “रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की महत्वपूर्ण कटौती से उधारी की लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी, ईएमआई कम होगी और लोगों की डिस्पोजेबल आय में वृद्धि होगी। यह घरेलू खपत के साथ विभिन्न क्षेत्रों में मांग बढ़ाने में सहायक होगी। महंगाई RBI के संतोषजनक दायरे में बनी हुई है, इसलिए यह कदम केंद्रीय बैंक के विकास-केंद्रित दृष्टिकोण को मजबूत करता है। इससे उपभोक्ता और बिजनेस, दोनों प्रकार की उधारी को प्रोत्साहन मिलेगा। ”
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