अगले वित्त वर्ष में घट सकती है विकास दरः एडीबी
एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने अगले वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर में कमी के संकेत दिये हैं। भारत की विकास दर में कटौती करते हुए बैंक ने सिर्फ 7.4 प्रतिशत विकास दर का ही अनुमान लगाया है।

नई दिल्ली। एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने अगले वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर में कमी के संकेत दिये हैं। भारत की विकास दर में कटौती करते हुए बैंक ने सिर्फ 7.4 फीसदविकास दर का ही अनुमान लगाया है। उनके मुताबिक दुनिया में तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में बने रहने के लिए भारत को और अधिक सुधार करने की जरूरत है ।
एडीबी ने कहा कि भारत को वित्त वर्ष 2016-17 में 7.8 फीसदके विकास दर के लक्ष्य को पाने के लिए अपनी अर्थव्यवस्था में और सुधार करना होगा। एडीबी के फ्लैगशिप प्रकाशक एशियन डेवलपमेंट आउटलुक (एडीओ) ने भी मुख्य रूप से 7वें वेतन आयोग द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के प्रभाव व तेल कीमतों में तेजी के कारण होने वाले उपभोक्ता जनित उत्पादों में मुद्रास्फीति में वृद्धि की संभावना जतायी है।
एडीबी ने कहा, ‘भारत की अर्थव्यवस्था को वित्तीय वर्ष 2016 (1अप्रैल, 2016, से 31 मार्च, 2017 तक) में वृद्धि में कमी देखना होगा। वित्तीय वर्ष 2017 में अर्थव्यवस्था को फिर से गति मिलेगी और निजी निवेश में भी तीव्रता आएगी।‘
वित्तीय वर्ष 2016 में भारत के जीडीपी में 7.4 फीसद तक की वृद्धि के लिए एडीबी ने योजना बनायी है जो पिछले वित्तीय वर्ष 2015 से थोड़ा कम है, पिछले वर्ष यह आंकड़ा 7.6 फीसद था। वित्तीय वर्ष 2017 में वृद्धि का पूर्वानुमान 7.8 फीसद है। वित्तीय मंत्रालय के अनुसार, अगले वित्तीय वर्ष में वृद्धिदर 7 से 7.5 फीसद होगा।
एडीबी के प्रमुख अर्थशास्त्री शांग-जीन वे ने कहा,’दुनिया में तेजी से बढ़ने वाले अर्थव्यवस्थाओं में भारत एक है और आने वाले समय में भी ऐसे ही बना रहेगा।‘ उन्होंने आगे कहा कि देश की क्षमता का विकास आगे और बढ़ाया जा सकेगा यदि यह आवश्यक सुधारों व योजनाओं जैसे टैक्स व्यवस्था, श्रम नियमों में सुधार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश व व्यापार को सफलता पूर्वक लागू करे।‘
मुद्रास्फीति पर एडीबी ने कहा कि दो साल की गिरावट के बाद उपभोक्ता मुद्रास्फीति में तेजी की संभावना है, इसे सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि और तेल कीमतों में मामूली तेजी से हवा मिलेगी। अगले वित्तीय वर्ष में मुद्रस्फीति के औसत रूप से 5.4 फीसद होने की उम्मीद है जो 2017-18 में बढ़कर 5.8 फीसद हो जाएगी।

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