क्या अदाणी ग्रुप खरीदेगा सहारा की 88 प्रॉपर्टी? याचिका पर कोर्ट ने सरकार और SEBI से मांगा जवाब
उच्चतम न्यायालय ने सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड की याचिका पर केंद्र और सेबी से जवाब मांगा है। कंपनी अदाणी प्रॉपर्टीज को 88 संपत्तियां बेचना चाहती है। न्यायालय ने वित्त मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने न्यायमित्र को संपत्तियों का विवरण तैयार करने और कर्मचारियों के वेतन की जांच करने का निर्देश दिया है। सहारा समूह 12,000 करोड़ रुपये बकाया देनदारियों के लिए जमा करना चाहता है।

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड की उस याचिका पर केंद्र, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और अन्य हितधारकों से जवाब मांगा, जिसमें कंपनी ने अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को अपनी 88 प्रमुख संपत्तियां बेचने की अनुमति मांगी है।
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की एक विशेष पीठ ने सहारा समूह के धन अदायगी दायित्वों से संबंधित लंबे समय से चल रहे मामलों में सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईसीसीएल) के अंतरिम आवेदन (आईए) पर सुनवाई की।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर गौर करते हुए पीठ ने आदेश दिया कि केंद्रीय वित्त और सहकारिता मंत्रालयों को वर्तमान कार्यवाही में पक्ष बनाया जाए और 17 नवंबर तक याचिका पर उनका जवाब मांगा।
पीठ ने न्यायमित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े से सहारा फर्म के अदाणी समूह की कंपनी को बेची जाने वाली प्रस्तावित 88 संपत्तियों का विवरण तैयार करने को कहा। पीठ ने न्यायमित्र से इन संपत्तियों के संबंध में अन्य हितधारकों के जवाबों पर भी गौर करने और उनकी प्रकृति के बारे में पता लगाने को कहा, जिसमें यह भी शामिल है कि संपत्तियां बेदाग हैं या विवादित।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिका पर विचार करने से पहले केंद्र सरकार का पक्ष सुनना उचित होगा। पीठ ने आदेश दिया, ‘‘हम आवेदक को वित्त मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय को पक्षकार बनाने का निर्देश देते हैं... आवेदन में ऐसी संपत्तियां भी शामिल हैं, जिनके अधिकार अभी कुछ पक्षों के बीच स्पष्ट नहीं हुए हैं।’’ पीठ ने सहारा समूह को उन कर्मचारियों के दावों की भी जांच करने का निर्देश दिया, जिन्हें कई वर्षों से वेतन नहीं मिला है।
न्यायालय ने केंद्र, न्यायमित्र और सेबी से सहारा फर्म के आवेदन में की गई प्रार्थनाओं पर जवाब देने को कहा। पीठ ने सहारा कंपनी की याचिका पर विचार के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की है।
सहारा समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायालय को बताया कि उन्होंने एक व्यापक योजना पेश की है, जिसके तहत उनकी संपत्तियां एक खरीदार को थोक में बेची जाएंगी और बिक्री से मिलने वाले लगभग 12,000 करोड़ रुपये को बकाया देनदारियों के लिए जमा किया जाएगा।
अदाणी प्रॉपर्टीज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनका मुवक्किल आगे की मुकदमेबाजी से बचने के लिए सभी 88 संपत्तियों को एक बार में अधिग्रहीत करने के लिए तैयार है।
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