कतर से नये गैस समझौते में 6 अरब डॉलर की बचत, यहां जानें जरूरी डिटेल
कतर और भारत के बीच मौजूदा गैस समझौते को नये सिरे से लागू करने की सहमति बन गई है। ये समझौता वर्ष 2028 से वर्ष 2048 तक के लिए लागू होगा जिसका आकार 78 अरब डॉलर का होगा।समझौता इंडिया इनर्जी वीक के दौरान हुआ है। एक दूसरा समझौता ने वर्ष 2015 में एक और समझौता कतर के साथ किया था।

जागरण ब्यूरो, गोवा। कतर और भारत के बीच मौजूदा गैस समझौते को नये सिरे से लागू करने की सहमति बन गई है। दोनो देशों के बीच मंगलवार को गैस खरीद का नया समझौता हुआ है जो वर्ष 2028 से वर्ष 2048 तक के लिए लागू होगा। इस समझौते का आकार 78 अरब डॉलर का होगा।
कतर से एलएनजी आयात करने वाली कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी की तरफ से बताया गया है कि उसने कतर इनर्जी के साथ सालाना 75 लाख टन एलएनजी आयात करने के समझौते को नये सिरे से लागू किया है। समझौता इंडिया इनर्जी वीक के दौरान हुआ है।
नये समझौते के मुताबिक मौजूदा दर से मुकाबले एलएनजी की नई दर 0.8 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट- गैस मापने का मापक) कम होगी और 20 वर्षों में भारत को कुल 6 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा की बचत होगी। पेट्रोनेट ने पहली बार वर्ष 1999 में 75 लाख टन एलएनजी आयात करने का समझौता कतर से किया था।

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2015 में हुआ एक और समझौता
एक दूसरा समझौता ने वर्ष 2015 में एक और समझौता कतर के साथ किया था। पेट्रोनेट कतर से कुल 85 लाख टन एलएनजी हर वर्ष आयात करता है। इस गैस का इस्तेमाल सीएनजी, उर्वरक बनाने और बिजली उत्पादन में किया जाता है।
भारत में एलएनजी खपत का 35 फीसद कतर से आता है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा को देखते हुए खाड़ी के इस देश की अहमियत काफी बढ़ गई है।
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