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    छोटे शहर से लेकर बड़े सपनों और विशाल यूनिकॉर्न तकः रेज़रपे के 10 साल; 2 युवकों ने बनाई विश्वस्तरीय फिनटेक कंपनी

    Updated: Fri, 20 Dec 2024 02:20 PM (IST)

    आज अपनी शुरूआत के एक दशक बाद रेज़रपे विश्वस्तरीय नाम बन चुका है जो लाखों कारोबारों को अपने फाइनैंशियल समाधानों के साथ सशक्त बना रहा है। पिछले दशक के दौरान रेजऱपे तेज़ी से विकसित हुआ और फिनटेक उद्योग में नए बेंचमार्क स्थापित किए हैं। आज रेज़रपे 5 मिलियन से अधिक कारोबारों को सशक्त बना चुका है। आइए जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई।

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    2014 में रेज़रपे का आइडिया उभरा, जब भारत में कोई सशक्त ऑनलाईन पेमेंट सिस्टम नहीं था।

    ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। आज भारत के फिनटेक स्पेस में अनगिनत ब्राण्ड है जो तेजी से उभर रहे हैं, इस बीच आपको ऐसा भी एक ब्राण्ड मिलेगा जो सही मायनों में इनोवेशन्स और प्रत्यास्थता का दूसरा नाम बन गया हैः रेज़रपे। एक दशक पहले जयपुर के दो युवाओं, हर्षिल माथुर और शशांक कुमार ने ऐसी यात्रा की शुरूआत की, जिसने देश के कारोबारों के लिए ऑनलाईन पेमेंट स्वीकार करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया।

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    आज अपनी शुरूआत के एक दशक बाद रेज़रपे विश्वस्तरीय नाम बन चुका है जो लाखों कारोबारों को अपने फाइनैंशियल समाधानों के साथ सशक्त बना रहा है। लेकिन उनकी सफलता की कहानी सिर्फ आंकड़ों में ही नहीं सिमटी हैः यह दृष्टिकोण, धैर्य और साझा सपनों की साझेदारी पर टिकी है।

    यह आइडिया कैसे जन्मा

    हर्षिल माथुर और शशांक कुमार दोनों जयपुर में पले-बढ़े| कुछ समय के लिए उनकी पढ़ाई के रास्ते अलग हो गए, हर्षिल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की, वहीं शशांक ने आईआईटी रूड़की से कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई की। एक छोटे शहर में पले-बढ़े होने के कारण उनमें कड़ी मेहनत, विनम्रता और समाज कल्याण के मूल्य विकसित हो चुके थे।

    पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद वे फिर से एक दूसरे के साथ कनेक्ट हुए, वे जब भी मिलते, कुछ ऐसा करने के लिए बातचीत करते जो वास्तविक समस्याओं को हल कर सके। उन दोनों की इसी सोच ने ऐसा बीज बोया, जो आखिरकार रेज़रपे के रूप में विकसित हो गया।

    ‘शशांक और मेरे-हम दोनों के माता-पिता बैंक में काम करते थे; मेरे पिता ब्रांच मैनेजर थे। आप कह सकते हैं कि उन्हें देखते हुए हम शुरूआत में फाइनैंशियल दुनिया के संपर्क में आ गए थे। लेकिन हमारे परिवार में कोई भी बिज़नेस नहीं करता था।’ हर्षिल ने कहा। 2014 में रेज़रपे का आइडिया उभरा, जब भारत में कोई सशक्त ऑनलाईन पेमेंट सिस्टम नहीं था, खासतौर पर स्टार्ट-अप्स और एसएमई के लिए।

    ‘शुरूआत में सोशल क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म बनाने में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उस समय पेमेंट लेना मुश्किल होता था। हमने इस समस्या को गहराई से समझने की कोशिश की। सबसे पहली चुनौती थी बैंक से अप्रूवल लेना। मुझे याद है जब मैं जयपुर बैंक गया और कहा ‘‘मैं एक पेमेंट गेटवे शुरू करना चाहता हूं’ तब मेरी बात सुनकर सामने वाला कन्फ्यूज़ नज़र आ रहा था।’ शशांक कुमार ने कहा।

    बाधाओं को कैसे दूर किया

    रेज़रपे का निर्माण इतना आसान नहीं था। हर्षिल और शशांक दोनों ही फिनटेक बैकग्राउण्ड से नहीं थे, यानि उन्हें इस इंडस्ट्री की बारिकियों को समझते हुए अपने प्रोडक्ट को विकसित करना था। फिर बैंकों का भरोसा जीतना एक और बड़ी मुश्किल थी।

    2015 में उनके इस आइडिया ने वाय कॉम्बीनेटर (वायसी) का ध्यान अपनी ओर खींचा, ये दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित स्टार्ट-अप एक्सेलरेटर्स में से एक हैं। बस फिर क्या था वायसी ने न सिर्फ उनके आइडिया को पसंद किया बल्कि उन्हें शुरूआती फंडिंग और मेंटरशिप भी प्रदान की, जिसकी रेज़रपे को ज़रूरत थी।

    ‘सब कुछ बहुत जल्दी हो गया। वाय कॉम्बीनेटर के साथ इंटरव्यू के बाद हमे लगा कि हम अपना इंप्रैशन बनाने में कुछ खास कामयाब नहीं रहे, और हमने उनसे ज़्यादा उम्मीद भी नहीं की थी। लेकिन उसी शाम हमें फोन आया- हमें चुन लिया गया था। उस पल ने हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। वाय कॉम्बीनेटर ने हमें एक्सपोज़र दिया और एक विश्वविख्यात ब्राण्ड के साथ जोड़ा। पॉल ग्राहम, जेसिका लिविंगस्टन और सैम ऑल्टमैन से मिलने के बाद हमारी सोच को नई गति मिली और रेज़रपे की यात्रा को नया आयाम मिला।‘ शशांक कुमार ने कहा।

    शुरूआती दिनों में रेज़रपे के लिए प्रतिभाशाली लोगों को अपने साथ जोड़ना मुश्किल था, क्योंकि बहुत से लोग एक अनजान स्टार्ट-अप के साथ काम करने में हिचकते थे। लेकिन हर्षिल और शशांक ने अपने जैसी सोच वाले लोगों को अपने साथ जोड़ा, जो उनके मिशन में भरोसा करते थे।

    विकास की यात्रा

    पिछले दशक के दौरान रेजऱपे तेज़ी से विकसित हुआ और फिनटेक उद्योग में नए बेंचमार्क स्थापित किए हैं। आज रेज़रपे 5 मिलियन से अधिक कारोबारों को सशक्त बना चुका है और पिछले 10 सालों में देश भर में 300 मिलियन से अधिक अंतिम उपभोक्ताओं के साथ जुड़ चुका है।

    कंपनी ने 180 बिलियन डॉलर का सालाना टीपीवी (टोटल पेमेंट वॉल्युम) हासिल कर लिया है और अपने आप को डिजिटल पेमेंट प्रोसेसिंग, इनोवेशन एवं विकास में मार्केट लीडर के रूप में स्थापित कर लिया है। रेज़रपे आज भारत के 100 यूनिकॉर्न्स में से 80 के लिए पेमेंट सुविधाएं उपलब्ध कराता है।

    सिंगल-प्रोडक्ट पेमेट गेटवे के रूप में शुरूआत करने के बाद आज रेज़रपे मल्टी-प्रोडक्ट कंपनी के रूप में विकसित हो चुका है और भारत के विश्वस्तरीय फिनटेक स्पेस में पेमेंट के कलेक्शन और मुवमेन्ट से जुड़े हर पहलू को आसान बना रहा है।

    भारत में 1.4 बिलियन लोग रहते हैं। तकरीबन 250 मिलियन लोग डिजिटल लेनदेन करते हैं। इनमें से तकरीबन सभी ने कभी न कभी रेज़रपे का अनुभव प्राप्त किया है। रेज़रपे की सफलता हर्षिल और शशांक के बीच की साझेदारी का परिणाम है। हर्षिल का दृष्टिकोण और शशांक की टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता- इन दोनों ने मिलकर ऐसे लीडरशिप मॉडल का निर्माण किया है जो उनकी पूरी टीम को प्रेरित करता है।

    छोटे शहर के मूल्यों की भूमिका

    हर्षिल और शशांक खासतौर पर अपने निवेशकों के प्रति आभारी हैं, जिन्होंने उस समय पर भरोसा किया, जब यह सिर्फ एक आइडिया था। उनके परिवार उनकी ताकत का आधार रहे हैं, जिन्होंने हर समय उनका साथ दिया। उनका मानना है कि रेज़रपे की सफलता उन दोनों की जीत है, इस जीत में उन सभी लोगों का हाथ है जिन्होंने उन पर भरोसा किया, उन्हें सहयोग दिया और हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे।

    रेज़रपे और भारत के लिए दृष्टिकोण

    रेज़रपे अपनी 10वीं सालगिरह का जश्न मना रहा है। वे दुनिया भर में विस्तार करना चाहते हैं और भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हुए अपने आधुनिक समाधान को इंटरनेशनल मार्केट्स तक पहुंचाना चाहते हैं। रेज़रपे की कहानी दो संस्थापकों की कहानी है जिन्होंने एक साथ मिलकर सफल कंपनी का निर्माण किया; यह उन बड़े सपनों और उन्हें साहस के साथ साकार करनेकी प्रेरक कहानी भी है।

    Note:- यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।