Home loan: बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनने से पहले आपको ध्यान रखनी होगी ये 5 बातें
Home Loan Balance Transfer का विकल्प चुनने से पहले कम ब्याज दर के लिए अपने मौजूदा कर्जदाता के साथ बातचीत करने की कोशिश करें।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। COVID -19 की वजह से लोगों की सैलरी में कटौती हो रही है या वे बेरोजगार हो जा रहे हैं, कई लोग अपने वित्तीय बोझ को कम करने के लिए लोन को दोबारा रीफाइनेंस करने के लिए सोच रहे हैं। होम लोन लेने वाले ग्राहक अपने लोन के भार को कम करने के लिए बैलेंस ट्रांसफर (Home Loan Balance Transfer) पर विचार कर रहे हैं। अगर आप होम लोन ट्रांसफर करवाने के बारे में सोच रहे हैं तो आज हम आपको इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं। हालांकि, आपको लोन ट्रांसफर करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
1. ब्याज दर को लेकर बातचीत: होम लोन बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनने से पहले कम ब्याज दर के लिए अपने मौजूदा कर्जदाता के साथ बातचीत करने की कोशिश करें। यदि बैंक के साथ आपका संबंध अच्छा है और आप समय पर सभी ईएमआई का भुगतान करते हैं तो आपका कर्जदाता आपके क्रेडिट हिस्ट्री और लोन चुकौती क्षमता को देखते हुए आपके अनुरोध पर विचार कर सकता है। इस तरह आप प्रीपेमेंट, ट्रांसफर, प्रोसेसिंग फीस, आवेदन शुल्क का भुगतान किए बिना अपना EMI बोझ कम कर सकते हैं।
2. अपनी क्रेडिट रेटिंग का आकलन करें: आपका क्रेडिट स्कोर इस बात का संकेत देता है कि आप बैलेंस ट्रांसफर के योग्य हैं या नहीं। यदि आप समय पर क्रेडिट, ईएमआई चुकाने में समर्थ नहीं रहते हैं तो यह आपकी क्रेडिट रेटिंग में बाधा बन सकता है। एक खराब क्रेडिट स्कोर का मतलब है कि आप लोन का बाकी बैलेंस ट्रांसफर की सुविधा के लिए कम योग्य हैं क्योंकि नया कर्जदाता आपके क्रेडिट स्कोर को अन्य वजहों के साथ ध्यान में रखेगा।
3. बैलेंस ट्रांसफर चार्ज: बैलेंस ट्रांसफर के लिए जाने से पहले, आपको यह याद रखना चाहिए कि आपको अपने होम लोन को हर बार जब आप कम ब्याज दर पर ले जाते हैं, तो ट्रांसफर नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें चार्ज शामिल होते हैं। होम लोन बैलेंस ट्रांसफर प्रक्रिया में कई शुल्क शामिल हैं जैसे प्रोसेसिंग फीस, आवेदन शुल्क, निरीक्षण शुल्क, अन्य। कुछ शुल्क ऐसे होंगे जो आपके मौजूदा बैंक और नए कर्जदाता दोनों द्वारा वसूले जाएंगे। आप होम लोन बैलेंस ट्रांसफर कैलकुलेटर का उपयोग कर के यह अनुमान लगा सकते हैं कि इस प्रक्रिया में आपको कितना खर्च आएगा।
4. रेपो लिंक्ड लोन: एक रेपो रेट-लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) लोन भारतीय रिजर्व बैंक की रेपो दर से जुड़ा हुआ है। यदि RBI रेपो दर को कम करता है, तो RLLR- आधारित कर्ज की पेशकश करने वाले बैंक भी ब्याज दर कम करते हैं। इस मामले में बैंक की होम लोन की ब्याज दर रेपो रेट की चाल के आधार पर ऊपर या नीचे जाएगी।
5. फाइन प्रिंट: ट्रांसफर से पहले नियम और शर्तें पढ़ना बेहद जरूरी है। सुनिश्चित करें कि आप जानते हैं कि नए बैंक को कर्ज लाभ, टॉप-अप आदि के मामले में क्या पेश करना है।