शारदा इंजीनियरिंग के छात्रों ने प्रतिष्ठित ISRO रोबोटिक्स चैलेंज में हासिल की ऑल इंडिया रैंक-2
शारदा यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग साइंस एंड इंजीनियरिंग के छात्रों ने ISRO रोबोटिक्स चैलेंज – IRoC U 2025 में ऑल इंडिया रैंक 2 हासिल की है। इस उपलब्धि ने संस्थान को गौरवान्वित किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता ने देश के सबसे प्रतिभाशाली युवा मस्तिष्कों की रचनात्मकता तकनीकी ज्ञान और समस्या-समाधान क्षमता को परखा।

ब्रांड टीम, नई दिल्ली। शारदा यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग साइंस एंड इंजीनियरिंग के छात्रों ने ISRO रोबोटिक्स चैलेंज – IRoC-U 2025 में ऑल इंडिया रैंक 2 हासिल की है। इस उपलब्धि ने संस्थान को गौरवान्वित किया है और अनुसंधान व नवाचार के क्षेत्र में उसकी अग्रणी स्थिति को और सुदृढ़ किया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता ने देश के सबसे प्रतिभाशाली युवा मस्तिष्कों की रचनात्मकता, तकनीकी ज्ञान और समस्या-समाधान क्षमता को परखा। देशभर से 510 से अधिक टीमों ने इसमें भाग लिया, जिनमें IITs, NITs और IIITs जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी शामिल थे। इस उच्च-स्तरीय राष्ट्रीय प्रतियोगिता में मात्र 16 टीमें ही फ़ाइनल फ़ील्ड राउंड के लिए चुनी गईं, जो बेंगलुरु स्थित ISRO URSC सैटेलाइट सेंटर में आयोजित हुआ। वहीं शारदा यूनिवर्सिटी की टीम सूर्य ने गर्वपूर्वक पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया।
टीम सूर्य की यात्रा
इस सफलता के मूल में टीम सूर्य की मेहनत, लगन और नवाचार की कहानी छिपी है—यह ऊर्जावान इंजीनियरिंग छात्रों का समूह है, जिनमें रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणालियों (Autonomous Systems) के प्रति गहरा जुनून है। टीम का नेतृत्व कार्तिक पांडे ने किया, मुस्कान सह-नेतृत्व में रहीं और प्रशांत मुख्य सदस्य के रूप में शामिल रहे। उनकी इस यात्रा में मार्गदर्शन करने वाले समर्पित मेंटर्स रानी अस्त्या और जितेन्द्र सिंह रहे, जिन्होंने तकनीकी विशेषज्ञता के साथ-साथ नैतिक सहयोग भी प्रदान किया।
टीम सूर्य की प्रतियोगिता में प्रविष्टि असाधारण रही। उन्होंने एक उन्नत मानवरहित हवाई वाहन (UAV) का डिज़ाइन और विकास किया, जो GPS-रहित वातावरण में जटिल कार्य करने में सक्षम था—यह एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के सबसे कठिन क्षेत्रों में से एक है। उनका UAV पूरी तरह से स्वायत्त प्रणाली से सुसज्जित था, जो:
- ऑनबोर्ड सेंसर और एल्गोरिदम का उपयोग करके नेविगेट कर सकता था,
- सुरक्षित लैंडिंग ज़ोन की पहचान कर सकता था,
- और बिना मानव हस्तक्षेप के सटीक लैंडिंग कर सकता था।
जो बात उन्हें सबसे अलग बनाती है, वह थी नेविगेशन, लोकलाइज़ेशन और ऑटोनॉमस लैंडिंग के लिए उनके स्वयं विकसित एल्गोरिद्म। बाज़ार से खरीदे गए समाधानों की बजाय ये एल्गोरिद्म छात्रों ने पूरी तरह खुद तैयार किए थे। बेंगलुरु में आयोजित फ़ाइनल फ़ील्ड राउंड में ISRO वैज्ञानिकों ने उनके UAV को वास्तविक परिस्थितियों में परखा। टीम सूर्य की प्रणाली के प्रदर्शन, सटीकता और विश्वसनीयता ने न केवल उनकी तकनीकी दक्षता बल्कि उनके रचनात्मक समस्या-समाधान कौशल को भी प्रदर्शित किया।
निरंतर उत्कृष्टता की विरासत
यह जीत कोई एकमात्र उपलब्धि नहीं है। वास्तव में, टीम सूर्य ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में लगातार उत्कृष्टता दिखाई है। वर्ष 2024 में टीम ने ISRO रोवर चैलेंज में तीसरा पुरस्कार जीता था, जिसे भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने स्वयं प्रदान किया था। लगातार वर्षों में उनकी यह सफलता शारदा यूनिवर्सिटी में प्रतिभा की गहराई और उभरती प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नेतृत्व तैयार करने की संस्थान की क्षमता को रेखांकित करती है।
शारदा यूनिवर्सिटी: शिक्षा में वैश्विक नाम
टीम सूर्य की यह उपलब्धि शारदा यूनिवर्सिटी की व्यापक संस्थागत उत्कृष्टता को भी दर्शाती है। वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त शारदा यूनिवर्सिटी को टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में 59वाँ स्थान प्राप्त है तथा एशिया की 400–500 रैंक बैंड में शामिल है। 95 से अधिक राष्ट्रीयताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले छात्रों के साथ शारदा को सही मायनों में भारत की वैश्विक यूनिवर्सिटी कहा जाता है।
विश्वविद्यालय 135+ UGC-मान्यता प्राप्त कार्यक्रम स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट स्तर पर प्रदान करता है। ग्रेटर नोएडा स्थित इसका 63-एकड़ का परिसर संस्कृतियों, विचारों और विधाओं का संगम है, जहाँ सहयोग और नवाचार को प्रोत्साहन मिलता है। शारदा की एक और विशिष्टता है कि उसने अपने पाठ्यक्रम में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को एकीकृत किया है, जिससे छात्र केवल तकनीकी बदलावों के साथ चलना ही नहीं सीखते बल्कि उन्हें आगे बढ़ाने में भी सक्षम होते हैं।
शारदा स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग साइंस एंड इंजीनियरिंग
शारदा का स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग साइंस एंड इंजीनियरिंग (SCSE) उत्तर भारत के सबसे सम्मानित इंजीनियरिंग स्कूलों में से एक बन गया है। इसकी प्रतिष्ठा टाइम्स इंजीनियरिंग रैंकिंग 2025 में स्पष्ट दिखाई देती है, जहाँ शारदा को:
● उत्तर भारत में 3रा स्थान,
● पूरे भारत में 12वाँ स्थान,
● देशभर में प्लेसमेंट में 11वाँ स्थान,
● और शोध में 6वाँ स्थान प्राप्त हुआ।
ये सम्मान शारदा की सतत शैक्षणिक उत्कृष्टता, प्रायोगिक शिक्षण और अत्याधुनिक शोध पर निरंतर ध्यान का परिणाम हैं। यह स्कूल NBA-मान्यता प्राप्त बी.टेक. कार्यक्रम प्रदान करता है, जैसे: कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग।
विश्वस्तरीय प्रयोगशालाएँ और उद्योग-स्तरीय वातावरण छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ वास्तविक चुनौतियों से निपटने का अनुभव प्रदान करते हैं।
नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति
शारदा की विशेष पहचान उसकी मजबूत आविष्कार और उद्यमिता संस्कृति है। यहाँ छात्रों को न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, बल्कि उन्हें ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है, जिनका वास्तविक दुनिया पर असर हो। इसके परिणामस्वरूप छात्र-नेतृत्व वाली कई अद्भुत नवाचार सामने आए हैं, जैसे:
● जटिल कार्य स्वचालन के लिए एक ह्यूमनॉइड रोबोट,
● विकलांग और वरिष्ठ नागरिकों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन,
● VISION – एक इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स बाइक,
● VAAAN – एक भविष्यवादी हबलेस इलेक्ट्रिक बाइक,
● हाइब्रिड सोलर-इलेक्ट्रिक वाहन,
● माउंटेन क्लाइंबर बाइक,
● और स्मार्ट एयर प्यूरिफाइंग ड्रॉइड (S.A.P.D.)।
ये नवाचार मात्र प्रोटोटाइप नहीं हैं, बल्कि शारदा के सशक्त स्टार्टअप इकोसिस्टम के प्रतीक हैं, जहाँ रचनात्मकता और मार्गदर्शन मिलकर विचारों को उद्यमिता में बदलते हैं। शारदा के कई पूर्व छात्र सफल स्टार्टअप्स की स्थापना कर चुके हैं, जिससे विश्वविद्यालय की पहचान भविष्य के उद्यमियों के लॉन्चपैड के रूप में और मजबूत हुई है।
उभरती प्रौद्योगिकियों में शोध
शारदा यूनिवर्सिटी वैश्विक परिदृश्य को आकार देने वाली उभरती प्रौद्योगिकियों पर शोध को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रमुख फोकस क्षेत्रों में शामिल हैं:
● रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणालियाँ,
● क्वांटम संचार,
● बायोमेडिकल उपकरण,
● सेमीकंडक्टर नवाचार,
● स्वायत्त वाहन,
● अगली पीढ़ी के संचार नेटवर्क (5G और 6G टेस्ट बेड)।
छात्रों और फैकल्टी को इन अत्याधुनिक क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रोत्साहित करके शारदा सुनिश्चित करता है कि उसके स्नातक न केवल राष्ट्रीय प्राथमिकताओं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रगति में भी सार्थक योगदान दें।
ISRO रोबोटिक्स चैलेंज में शारदा की जीत – दृष्टि और मार्गदर्शन का प्रमाण
ISRO रोबोटिक्स चैलेंज में टीम सूर्य की जीत शारदा यूनिवर्सिटी की उस दृष्टि का प्रतीक है, जिसके अंतर्गत वह तकनीकी रूप से दक्ष, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और सामाजिक रूप से जिम्मेदार इंजीनियर तैयार करता है।
हर उपलब्धि के पीछे केवल छात्रों का संकल्प ही नहीं बल्कि फैकल्टी का अथक मार्गदर्शन और उन्नत शोध अवसंरचना भी होती है।
यह उपलब्धि हमें यह भी याद दिलाती है कि नवाचार वहीं पनपता है जहाँ ज्ञान और अवसर मिलते हैं। शारदा यूनिवर्सिटी वह उपजाऊ भूमि प्रदान करती है, जहाँ छात्र बड़े सपने देख सकते हैं, जोखिम उठा सकते हैं और महत्वाकांक्षी विचारों को वास्तविकता में बदल सकते हैं।
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