विश्व प्रसिद्ध Taylor & Francis पब्लिकेशन के रिसर्च जर्नल में पतंजलि का सोरायसिस पर शोध प्रकाशित
पतंजलि आयुर्वेद ने सोरायसिस के इलाज में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उनके शोध को विश्व प्रसिद्ध Taylor Francis प्रकाशन के रिसर्च जर्नल Journal of Inflammation Research में प्रकाशित किया गया है। इस शोध के अनुसार पतंजलि के सोरोग्रिट और दिव्य-तेल ने चूहों पर किए गए परीक्षण में सोरायसिस के लक्षणों को कम करने में सफलता दिखाई है।
डिजिटल डेस्क, हरिद्वार। पतंजलि का एक शोध विश्व प्रसिद्ध Taylor & Francis प्रकाशन के रिसर्च जर्नल Journal of Inflammation Research में प्रकाशित हुआ है। इस शोध के अनुसार पतंजलि ने सोरोग्रिट और दिव्य-तेल की सहायता से सोरायसिस की बीमारी से पीड़ित चूहों पर टेस्ट किया। इस टेस्ट में यह पाया गया कि सोरायसिस से ग्रसित चूहों की हालत में सुधार हुआ है।
इस रिसर्च के अनुसार, पतंजलि ने सोरोग्रिट और दिव्य-तेल के माध्यम से चूहों पर टेस्ट किया। जिसमें सोरायसिस के लक्षणों को कम करने में सफलता मिलती दिखी। पतंजलि के वैज्ञानिकों ने चूहों को इमिक्विमोड और टीपीए इनड्यूस्ड सोरायसिस के दो अलग-अलग प्रीक्लीनिकल मॉडल को, सोरोग्रिट टैबलेट दी और दिव्य-तेल का उपयोग उनकी त्वचा पर किया, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले।
शोध में पाया गया कि इन दोनों प्रोडक्ट्स को एक साथ इस्तेमाल करने से सोरायसिस के लक्षणों में संभावित रूप से सुधार हो सकता है। सोरोग्रिट और दिव्य-तेल पतंजलि के रिसर्च में प्रभावी पाए गए हैं, लेकिन इनकी इंसानों के ऊपर प्रभावशीलता को पता करने के लिए भविष्य में और प्रयोग किया जाना अभी बाकी है। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि के वैज्ञानिकों ने कई शोध कर सोरोग्रिट टैबलेट और दिव्य तेल का निर्माण किया है, जो सोरायसिस के लिए फायदेमंद दवा हो सकती है।
सोरायसिस एक गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी है। जिसमें रोगी को असहनीय परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, पतंजलि के शोध का सफल परिणाम अभी सिर्फ चूहों में देखने को मिला है, लेकिन इस रिसर्च ने भविष्य में इन दवाइयों से मनुष्यों को भी फायदा होने कि उम्मीद दिखाई है। सोरायसिस एक दीर्घकालिक त्वचा रोग है, जिसमें त्वचा पर चांदी जैसी चमकदार पपड़ी, और लाल चकत्ते दिखाई देते हैं। इन चकत्तों में बहुत खुजली होती है।
पतंजलि के सोरोग्रिट और दिव्य-तैल का उद्देश्य सोरायसिस को कम करना है। रिसर्च से पता चला है कि बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट काफी प्रभावी होते हैं क्योंकि यह जैविक पदार्थों से बनाये जाते हैं जो उपयोगकर्ता को बहुत कम या कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। सोरोग्रिट और दिव्य-तैल बायोलॉजिकल कंपाउंड जैसे गिलोय, अमलतास, नीम, हल्दी, अश्वगंधा आदि से बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग प्राचीन काल से अलग-अलग तरह की स्किन संबंधी समस्याओं के ट्रीटमेंट के लिए किया जाता रहा है।
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