पतंजलि यूनिवर्सिटी ने तीन प्रतिष्ठित भारतीय विश्वविद्यालयों से मिलाया हाथ, किए MOU पर हस्ताक्षर
पतंजलि विश्वविद्यालय और रिसर्च इंस्टिट्यूट ने देश के तीन प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के साथ सहयोग समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सहयोग समझौता कई क्षेत्रों जिसमें शिक्षा, योग, आयुर्वेद, चिकित्सा, भारतीय परंपरागत ज्ञान और कौशल विकास शामिल हैं, में मिलकर काम करने के उद्देश्य से किया गया है। यह समझौता कई क्षेत्रों में मिलकर काम करने के उद्देश्य से किया गया है जिसमें शिक्षा, योग, आयुर्वेद, चिकित्सा, भारतीय परंपरागत ज्ञान और कौशल विकास शामिल हैं।
पतंजलि की यह पहल न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में इनोवेशन लाएगी
ब्रांड टीम, नई दिल्ली। पतंजलि विश्वविद्यालय और रिसर्च इंस्टिट्यूट ने देश के तीन प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के साथ सहयोग समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सहयोग समझौता कई क्षेत्रों जिसमें शिक्षा, योग, आयुर्वेद, चिकित्सा, भारतीय परंपरागत ज्ञान और कौशल विकास शामिल हैं, में मिलकर काम करने के उद्देश्य से किया गया है। यह समझौता कई क्षेत्रों में मिलकर काम करने के उद्देश्य से किया गया है जिसमें शिक्षा, योग, आयुर्वेद, चिकित्सा, भारतीय परंपरागत ज्ञान और कौशल विकास शामिल हैं।
आचार्य बालकृष्ण ने दी जानकारी
इस महत्वपूर्ण पहल की जानकारी पतंजलि के सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर दी है। उन्होंने इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम बताया। पतंजलि के साथ यह सहयोग समझौता करने वाले तीन विश्वविद्यालय हैं- राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश), हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग (छत्तीसगढ़) और महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट (मध्य प्रदेश)।
इस MoU हस्ताक्षर कार्यक्रम के मौके पर आचार्य बालकृष्ण के साथ इन तीनों विश्वविद्यालयों के कुलपति – प्रो. इंद्र प्रसाद त्रिपाठी, डॉ. संजय तिवारी और प्रो. भारत मिश्रा भी मौजूद रहे। तीनों शिक्षाविदों ने पतंजलि की सराहना करते हुए कहा कि हमारे भारत की प्राचीन परंपराओं को वापस लाने में पतंजलि ने अहम भूमिका निभाई है। पतंजलि की लगातार कोशिशों ने देश के विकास को एक गति दी है। इसके साथ ही उनका मानना है कि पतंजलि ने जिस तरह योग और आयुर्वेद की शिक्षा को आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़ा है, वह तारीफ के काबिल है और इससे आने वाले समय में न सिर्फ देश में शिक्षाविदों और छात्रों को, बल्कि संपूर्ण शिक्षा के क्षेत्र को काफी फायदा मिलेगा।
देश के पुनर्निर्माण के लिए एक कदम: आचार्य बालकृष्ण
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, "यह समझौता केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि देश के पुनर्निर्माण की सामूहिक यात्रा का अहम हिस्सा है। यह योग क्रांति, ऋषि क्रांति और शिक्षा क्रांति यानि योग, ज्ञान और शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव की तरफ हमारा पहला कदम है। हमें विश्वास है कि आने वाले समय में इस कदम से देश के करोड़ों लोगों को फायदा मिलेगा और देश का युवा भी वैश्विक स्तर पर अपने अपने कौशल का प्रदर्शन कर देश को सशक्त बना पाएगा।"
इस MoU के तहत पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट और तीनों यूनिवर्सिटी एक साथ मिलकर रिसर्च कार्य, ट्रेनिंग प्रोग्राम, एजुकेशनल संसाधनों का आदान-प्रदान और भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करेंगे।
पतंजलि की यह पहल न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में इनोवेशन लाएगी बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति और परम्पराओं को आधुनिक समय के हिसाब से ढालने का भी एक ज़रिया बनेगी।
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