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    Patanjali ने किया दावा- पार्किंसंस के इलाज में नए अध्ययन से मिली सफलता, Wiley Journal में प्रकाशित

    Updated: Tue, 24 Jun 2025 11:30 AM (IST)

    पार्किंसंस बीमारी को लेकर किए गए पतंजलि के शोध को रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में दावा किया गया है कि C. Elegans पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन न्यूरोग्रिट गोल्ड (Neurogrit Gold) न केवल पार्किंसंस रोग से जुड़ी मेमोरी लॉस को सुधारने में सहायता करता है, बल्कि जीवों के विकास या संतान को नकारात्मक रूप से प्रभावित किए बिना जीवनकाल भी बढ़ाता है। यह शोध पतंजलि के वैज्ञानिकों ने किया था, जिसे अंतर्राष्ट्रीय Wiley प्रकाशन के रिसर्च जर्नल CNS CNS Neuroscience & Therapeutics में प्रकाशित किया गया है।

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    ब्रांड टीम, नई दिल्ली। पार्किंसंस बीमारी को लेकर किए गए पतंजलि के शोध को रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में दावा किया गया है कि C. Elegans पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन न्यूरोग्रिट गोल्ड (Neurogrit Gold) न केवल पार्किंसंस रोग से जुड़ी मेमोरी लॉस को सुधारने में सहायता करता है, बल्कि जीवों के विकास या संतान को नकारात्मक रूप से प्रभावित किए बिना जीवनकाल भी बढ़ाता है। यह शोध पतंजलि के वैज्ञानिकों ने किया था, जिसे अंतर्राष्ट्रीय Wiley प्रकाशन के रिसर्च जर्नल CNS CNS Neuroscience & Therapeutics में प्रकाशित किया गया है।

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    पतंजलि के सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने पार्किंसन रोग के गहन प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “यह व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रभावित करता है। यही नहीं, यह रोग व्यक्ति के सामाजिक संपर्कों को काफी हद तक कम कर देता है। उन्होंने इस बीमारी से पीड़ित लोगों के ठीक होने और दैनिक गतिविधियों का हिस्सा बनने के बारे में आशा व्यक्त करते हुए कहा, "हां, वास्तव में, यह संभव है!"

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    उन्होंने आगे बताया कि Neurogrit Gold प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक विश्लेषण का एक अनूठा मेल है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा, "यह शोध दर्शाता है कि अगर प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जाए, तो वे आधुनिक समय की स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए क्रांतिकारी समाधान ला सकते हैं।"

    Neurogrit Gold में ज्योतिष्मती और गिलोय जैसी प्राकृतिक जड़ी-बूटियां शामिल हैं, साथ ही पारंपरिक आयुर्वेदिक भस्म जैसे एकांगवीर रस, मोती पिष्टी, रजत भस्म, वसंत कुसुमाकर रस और रसराज रस शामिल हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर में उनके लाभों के लिए जाना जाता है।

    पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के वाइस प्रेसिडेंट और मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने अध्ययन के बारे में बताते हुए कहा, "यह पहली बार है कि आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन का उपयोग करके C. Elegans पर एक नया प्रयोग किया गया है।" उन्होंने परिणामों पर खुशी जाहिर की और वैज्ञानिक समुदाय व भविष्य में मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए उनके वादे पर प्रकाश डाला।

    डॉ. वार्ष्णेय ने बताया कि पार्किंसंस रोग तब होता है, जब डोपामाइन अपना काम ठीक से नहीं करता है। डोपामाइन एक महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटर और हार्मोन है जो शरीर के फंक्शन और मूवमेंट को नियंत्रित करता है। जब शरीर में डोपामाइन का प्रोडक्शन बाधित होता है, तो आसान काम भी मुश्किल लगने लगते हैं। इसमें स्मृति, ध्यान और समस्या समाधान का कौशल प्रभावित होने लगता है। शोध से संकेत मिलता है कि न्यूरोग्रिट गोल्ड ने जीवों में ऑक्सीडेटिव तनाव के स्तर को कम करने में मदद की। इसके अलावा, इसने Mitochondrial Autophagy के कारक जीन pink-1 और pdr-1 और डोपामाइन सिंथेसिस के लिए जिम्मेदार जीन कैट-2 की जीन एक्सप्रेशन को बढ़ाया।

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