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    टेंडर पाम सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में परिवार ने प्यार, साहस और बलिदान से बचाई जान

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 03:22 PM (IST)

    टेंडर पाम सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कई बार प्यार साहस और त्याग ही असली इलाज बन जाता है। कुछ कहानियां हमारे दिल को गहराई से छू जाती हैं। हाल ही में हॉस्पिटल दो अद्भुत यात्राओं का हिस्सा बना जहां परिवार के सदस्यों ने असली जिंदगी के हीरो बनकर किडनी दान कर अपने प्रियजनों की जान बचाई। उनके निस्वार्थ कार्य ने जीवन को बचाया।

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    टेंडर पाम हॉस्पिटल किडनी ट्रांसप्लांट का अच्छा इलाज कर रहा है।

    ब्रांड टीम, लखनऊ। टेंडर पाम सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कई बार प्यार, साहस और त्याग ही असली इलाज बन जाता है। कुछ कहानियां हमारे दिल को गहराई से छू जाती हैं। हाल ही में हॉस्पिटल दो अद्भुत यात्राओं का हिस्सा बना, जहां परिवार के सदस्यों ने असली जिंदगी के हीरो बनकर किडनी दान कर अपने प्रियजनों की जान बचाई। उनके निस्वार्थ कार्य ने न केवल जीवन बचाए, बल्कि आशा और अपनेपन जैसे शब्दों को नया अर्थ दे दिया।

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    केस 1: सास बनी जीवन रेखा

    जब पूजा (28 वर्ष) की डिलीवरी के बाद उसके पेट में गंभीर संक्रमण हो गया, तो उसकी जिंदगी एकदम से बदल गई। उसकी दोनों किडनियां 75% तक खराब हो गईं, जिससे वह इतनी कमजोर हो गई कि अपने नवजात बच्चे की देखभाल भी नहीं कर पा रही थी। कई जगह इलाज कराने के बाद भी जब फायदा नहीं हुआ, तो उसे ट्रांसप्लांट के लिए टेंडर पाम हॉस्पिटल रेफर किया गया।

    जब पूजा की अपनी मां किडनी देने में सक्षम नहीं हो पाईं, तो उसकी सास, वीना देवी (55 वर्ष) ने आगे आकर अपनी एक किडनी दान कर दी। उनका ब्लड ग्रुप भी पूरी तरह मैच कर गया और इस तरह उन्होंने अपनी बहू को नई जिंदगी दी।

    13 सितंबर 2025 को विशेषज्ञ ट्रांसप्लांट टीम ने डॉ. अरुण कुमार (निदेशक - नेफ्रोलॉजी) और डॉ. फिरोज मोहम्मद खान (ट्रांसप्लांट सर्जन) के नेतृत्व में यह सर्जरी सफलतापूर्वक की। आज पूजा डॉक्टर की निगरानी में अच्छी तरह से स्वस्थ हो रही है और अपने बच्चे व परिवार के साथ एक स्वस्थ भविष्य की उम्मीद कर रही है।

    केस 2: ससुर का निस्वार्थ बलिदान

    एक और दिल छू लेने वाले मामले में अर्चना जो हाल ही में शादीशुदा हुई थीं। उनको शादी के तुरंत बाद किडनी फेल्योर का सामना करना पड़ा। अर्चना की मां किडनी दान करने के लिए तैयार थीं, लेकिन वे चिकित्सकीय रूप से फिट नहीं पाईं गईं। ऐसे में अर्चना के ससुर प्रेम नारायण भगत ने आगे आकर अपनी किडनी दान की और अपनी बहू की जान बचा ली।

    यह ट्रांसप्लांट कुशलतापूर्वक किया गया डॉ शहजाद आलम (चीफ कंसल्टेंट एवं जॉइंट डायरेक्टर - नेफ्रोलॉजी) और डॉ. फिरोज मोह. खान (ट्रांसप्लांट सर्जन) द्वारा, जिन्होंने प्री-सर्जिकल मूल्यांकन, से लेकर पोस्ट-ऑपरेटिव केयर तक हर चरण को बखूबी संभाला और यह सुनिश्चित किया कि डोनर और रिसिपिएंट दोनों की यात्रा सुरक्षित और सफल हो। टेंडर पाम सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हम विश्वस्तरीय चिकित्सा तकनीक और करुणामय देखभाल का मेल कर जीवन बचाने वाले परिणाम प्रदान करते हैं। 

    यह मामला परिवारिक रिश्तों की ताकत को दर्शाता है। जब पूजा उम्मीद खो रही थी, उसके पति और सास ने साथ खड़े होकर उसे जीवन वापस दिया। - डॉ. अरुण कुमार, डायरेक्टर - नेफ्रोलॉजी

    ससुर द्वारा किडनी दान करने का यह अद्भुत कार्य परिवार के प्यार और जीवन बचाने वाली उम्मीद का सच्चा प्रमाण है। - डॉ. शहजाद आलम, चीफ कंसल्टेंट एवं जॉइंट डायरेक्टर- नेफ्रोलॉजी

    इन ट्रांसप्लांट्स को करना बेहद प्रेरणादायक रहा- यह दिखाता है कि कैसे परिवार का निस्वार्थ सहयोग किसी को जीवन का दूसरा मौका दे सकता है। - डॉ फिरोज मोह. खान, ट्रांसप्लांट सर्जन

    Note:- यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।