रविवार को निर्जला उपवास करेंगी महिलाएं
बगहा। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पुत्र के दीर्घ आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए जीवित्पुत्रिका या जिउतिया का व्रत रखा जाता है।
बगहा। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पुत्र के दीर्घ, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए जीवित्पुत्रिका या जिउतिया का व्रत रखा जाता है। यह व्रत विशेष तौर पर महिलाएं ही रखती हैं। अपने पुत्र की लंबी आयु एवं बेहतर स्वास्थ्य की कामना से महिलाओं को विशेषकर सधवा को इस व्रत का अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए। पुत्र की लंबी आयु के लिए किया जाने वाला जिउतिया व्रत इस बार हरनाटांड़ सहित समूचे थरुहट क्षेत्र में 21 सितंबर यानी शनिवार से नहाय खाय के साथ शुरू हो रहा है और 22 सितंबर यानी रविवार को व्रत रखा जाएगा। महिलाएं इस मौके पर पूरे दिन और रात के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पुत्र की लंबी और स्वस्थ्य जीवन के लिए कामना करती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। हालांकि, इस व्रत की शुरुआत सप्तमी से नहाय-खाय के साथ हो जाती है और नवमी को पारण के साथ इसका समापन होता है।
पुत्र की लंबी आयु और स्वस्थ्य जीवन के लिए जिउतिया व्रत रखेंगी महिलाएं
हरनाटांड़ के आचार्य पंडित रसिक बिहारी मिश्र कहते हैं कि जीवित्पुत्रिका व्रत की शुरुआत महिलाएं शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू करेंगी। इसके बाद रविवार को महिलाएं निर्जला उपवास करेंगी और अगले दिन सोमवार को पारण के साथ उपवास खत्म करेंगी। यह व्रत बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और नेपाल जैसी जगहों पर खूब तैयारियों के साथ किया जाता है। व्रत के दौरान महिलाएं एक बूंद पानी तक नहीं पीती हैं। इस साल के पंचांग को देखें तो अष्टमी तिथि की शुरुआत रात 8.21 बजे से शुरू होगी। पंडित श्री मिश्र बताते हैं कि इस व्रत का महाभारत काल से भी जुड़ाव है। कथा के अनुसार जब अश्वथामा ने पांडवों के सोते हुए सभी बेटों और अभिमन्यु के अजन्मे बेटे को मार दिया था। उस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन के पोते को गर्भ में ही जीवित कर दिया। इसी वजह से अर्जुन के इस पोते का नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा और मान्यता के अनुसार यही कारण है कि माताएं अपने बेटे की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं।
जिउतिया व्रत एवं पूजा विधि :
पंडित श्री मिश्र के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत के लिए उपवास शुरू करने से पहले सुबह ही कुछ खाया-पिया जा सकता है। सूर्योदय होने से पहले महिलाएं पानी वगैरह ग्रहण करती हैं, लेकिन इसके बाद कुछ भी खाने या पीने की मनाही रहती है। खास बात ये भी है कि इस व्रत से पहले केवल मीठा भोजन ही किया जाता है। इसके बाद तड़के गंगा स्नान और पूजन का महत्व है। स्नान से पवित्र होकर संकल्प के साथ व्रती प्रदोष काल में शाम 4:28 से रात्रि 7:32 तक गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर स्वच्छ कर दें। साथ ही एक छोटा-सा तालाब भी वहां बना लें। तालाब के निकट एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ा कर दें। शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल या मिट्टी के पात्र में स्थापित कर दें। फिर उन्हें पीली और लाल रुई से अलंकृत करें तथा धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला एवं विविध प्रकार के नैवेद्यों से पूजन करें। मिट्टी तथा गाय के गोबर से मादा चील और मादा सियार की मूर्ति बनाएं। उन दोनों के मस्तकों पर लाल सिदूर लगा दें। अपने वंश की वृद्धि और प्रगति के लिए उपवास कर बांस के पत्रों से पूजन करना चाहिए। इसके पश्चात जीवित्पुत्रिका व्रत एवं महात्म्य की कथा का श्रवण करना चाहिए। व्रत का पारण अगले दिन प्रात:काल किया जाएगा। पारंपरिक तौर पर दाल-भात, झिगली, साग आदि खाकर व्रत का पारण किया जाता है।
आसमान छू रहे फलों व सब्जियों के दाम :
हरनाटांड़ सहित थरुहट क्षेत्र में व्रत को लेकर सब्जियों व फलों के दाम आसमान छू रहे हैं। हरनाटांड़ के फल विक्रेता गुड्डू कुमार ने बताया फिलहाल बाजार में सेव 60 से 90 व अनार 100 से 120 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। जबकि, केला 25 से 35 रुपये दर्जन बेचे जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सब्जी विक्रेताओं की मानें तो नोनिया 30 से 50 रुपये, तरोई 50 से 100 रुपये किलो व साग 40 से 50 रुपये किलो के दर से बिक्री हो रहे हैं। विक्रेताओं की मानें तो व्रत को लेकर सब्जियों के दाम में उछाल आया है। हालांकि व्रत समाप्त होते ही इन सब्जियों के दाम सामान्य हो जाएंगे।
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