West Champaran: 12 लाख की अल्ट्रासाउंड मशीन 4 साल से ताले में कैद, प्राइवेट सेंटरों में 500-700 रुपये लुटा रहे मरीज
पश्चिम चंपारण के सरकारी अस्पताल में 12 लाख की अल्ट्रासाउंड मशीन चार साल से बंद है, जिससे मरीजों को निजी सेंटरों पर महंगा अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है। रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण मशीन का उपयोग नहीं हो पा रहा है।
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12 लाख की अल्ट्रासाउंड मशीन चार साल से बंद। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, नरकटियागंज (पश्चिम चंपारण)। अनुमंडल अस्पताल नरकटियागंज में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली का आलम यह है कि करीब 12 लाख रुपये की अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन पिछले चार साल से कमरे में बंद पड़ी है। अस्पताल में ईसीजी की मशीन तो है, लेकिन पेपर और जेली जैसी आवश्यक सामग्री के अभाव में यह सेवा भी करीब एक साल से बंद पड़ी है।
हर दिन ओपीडी और इमरजेंसी में 350 से 400 तक मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें बुनियादी जांच सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन ने अल्ट्रासाउंड मशीन चलाने के लिए पहले एक महिला चिकित्सक को प्रशिक्षण दिलाया था।
प्रशिक्षण के बाद करीब दो महीने तक सप्ताह में एक दिन मरीजों का अल्ट्रासाउंड शुरू भी हुआ। लेकिन उसी चिकित्सक के पिछले वर्ष स्थानांतरण होने के बाद यह सुविधा फिर से बंद हो गई। सोनोग्राफर की नियुक्ति न होने के कारण मशीन अब वर्षों से कमरे में बंद है।
अल्ट्रासाउंड की जरूरत वाले मरीज बाहर के प्राइवेट जांच घरों में 500 से 700 रुपये खर्च कर जांच कराने को मजबूर हैं। मरीजों के स्वजन उमेश राम और गुड्डू साह ने बताया कि चिकित्सक ने अल्ट्रासाउंड की सलाह दी थी, लेकिन अस्पताल में सुविधा न मिलने के कारण उन्हें प्राइवेट जांच केंद्र का सहारा लेना पड़ा।
पेट दर्द से पीड़ित मरीज को बाहर ले जाना भी काफी कष्टदायक रहा। ईसीजी मशीन होने के बावजूद यह सेवा भी बंद है। आवश्यक सामग्री उपलब्ध नहीं कराए जाने से मरीजों को बिना ईसीजी जांच के ही इलाज कराना पड़ रहा है। इससे आपातकालीन स्थिति में गंभीर मरीजों के लिए खतरा बढ़ जाता है।
अधिवक्ता दीपक मणि तिवारी का कहना है कि छोटे-छोटे प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिकों में ये सुविधाएं उपलब्ध हैं, जबकि अनुमंडल अस्पताल में मरीजों को बुनियादी सेवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। यही वजह है कि गली-गली में प्राइवेट क्लीनिक खुल गए हैं और झोलाछाप लोग भोले-भाले मरीजों का शोषण कर रहे हैं।

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