बगहा में सार्वजनिक शौचालय और सामुदायिक भवन बदहाल: पानी की व्यवस्था ठप, साफ-सफाई का नहीं कोई नामोनिशान
बगहा में सार्वजनिक शौचालय और सामुदायिक भवन की स्थिति अत्यंत खराब है। पानी की व्यवस्था ठप होने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ...और पढ़ें
-1766434221717.webp)
संवाद सहयोगी, बगहा। बगहा नगर परिषद के वार्ड नंबर 11 अंतर्गत बेलहवा बाबा स्थान के पास, तिरुपति शुगर मिल क्षेत्र समेत अन्य स्थानों पर बनाए गए सार्वजनिक शौचालय और सामुदायिक भवन आज बदहाली का शिकार होकर सफेद हाथी साबित हो रहे हैं।
स्थानीय लोगों और राहगीरों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाए गए ये ढांचे रख-रखाव के अभाव में पूरी तरह अनुपयोगी बन चुके हैं। नगर परिषद प्रशासन द्वारा यह सोचकर इन शौचालयों और भवनों का निर्माण कराया गया था कि बाजार, धार्मिक स्थलों और औद्योगिक क्षेत्र में आने-जाने वाले लोगों को स्वच्छता और सुविधा मिल सके, लेकिन विभागीय उदासीनता ने इन योजनाओं को कागजों तक सीमित कर दिया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार बेलहवा बाबा स्थान के पास स्थित छह सीटों वाला सार्वजनिक शौचालय वर्ष पूर्व तत्कालीन सभापति जरीना खातून के कार्यकाल में लगभग सात लाख 74 हजार रुपये की लागत से बनाया गया था। निर्माण के कुछ ही समय बाद से यह शौचालय बदहाली का शिकार होने लगा।
वर्तमान स्थिति यह है कि शौचालय का मुख्य दरवाजा पूरी तरह गायब है, अंदर लगी सीटें और अन्य फिटिंग क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। पानी की व्यवस्था पूरी तरह ठप है और साफ-सफाई का कोई नामोनिशान नहीं है। चारों ओर गंदगी फैली हुई है, जिससे दुर्गंध उठती रहती है।
एसडीएम कार्यालय के पास भी शौचालय की स्थिति खराब
इसी तरह अनुमंडल कार्यालय परिसर सहित अन्य स्थानों पर बने सार्वजनिक शौचालय और सामुदायिक भवन भी बदहाल स्थिति में हैं। कई भवनों में कूड़ा-कचरा जमा है और कुछ स्थानों पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहने लगा है। दुर्गंध और गंदगी के कारण लोग इन स्थानों के आसपास जाने से भी कतराते हैं। इससे महिलाओं, बुजुर्गों और राहगीरों को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ रही है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि समय रहते नगर परिषद प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो लाखों रुपये की लागत से बनी ये योजनाएं पूरी तरह बेकार हो जाएंगी। लोगों ने नगर परिषद से मांग की है कि सार्वजनिक शौचालयों और सामुदायिक भवनों की तत्काल मरम्मत कराई जाए और नियमित साफ-सफाई की स्थायी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
नागरिकों का यह भी कहना है कि नगर प्रबंधन द्वारा मोहल्लों के नाम बोर्ड, प्याऊ जल जैसी सुविधाओं की मरम्मत कराने के बजाय नए ढांचे लगाने पर अधिक जोर दिया जा रहा है। ऐसे में पहले से बने सामुदायिक शौचालय और भवनों की मरम्मत होगी या नहीं, यह सवाल लोगों के बीच बना हुआ है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।