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    West Champaran News: रामनगर थानाध्यक्ष की सैलरी पर कोर्ट ने लगाई रोक, जानें क्या है पूरा मामला?

    बगहा न्यायालय ने 19 साल पुराने अपहरण और हत्या के मामले में केस डायरी पेश न करने पर रामनगर के थानाध्यक्ष के वेतन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। शर्फूल मियां ने 2006 में अपने पुत्र की हत्या का मामला दर्ज कराया था लेकिन केस डायरी उपलब्ध न होने से सुनवाई बाधित है।

    By Tufani Chaudhary Edited By: Krishna Parihar Updated: Mon, 25 Aug 2025 04:05 PM (IST)
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    रामनगर थानाध्यक्ष के वेतन पर कोर्ट ने लगाई रोक

    संवाद सहयोगी, बगहा। जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ मानवेंद्र मिश्र की अदालत ने सोमवार को 19 साल पहले अपहरण व हत्या के मामले में केस डायरी उपलब्ध न कराने पर रामनगर के थानाध्यक्ष के वेतन पर रोक लगाने का आदेश एसपी को दिया है। थानाध्यक्ष पर हुई कार्रवाई की जानकारी 15 दिनों के अंदर न्यायालय में उपलब्ध कराने के लिए कहा है।

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    आदेश में बताया गया है कि रामनगर थाने के बेलौरा निवासी शर्फूल मियां ने तीन फरवरी 2006 को रामनगर थाने में कांड संख्या 27/06 दर्ज कराते हुए पांच लोगों पर आरोप लगाया था कि उनके पुत्र तूफानी मियां का अपहरण कर हत्या कर दी गई।

    उसके बाद छह जुलाई 2010 से अभियोजन साक्ष्य वाद चला रहा है। अभी तक इस मामले में केवल वादी की दो दिसंबर 2013 को गवाही हो पाई है।

    कार्ट के आदेश को कई बार किया अनसुना 

    न्यायालय में केस डायरी नहीं होने के कारण अन्य गवाहों की गवाही नहीं पा रही है। केस डायरी उपलब्ध कराने के लिए न्यायालय ने पांच जून 2017 को बगहा एसपी पत्र दिया था कि रामनगर थाना कांड संख्या 27/06 की केस डायरी उपलब्ध कराई जाए।

    उसके बाद आठ फरवरी 2024 को भी न्यायालय के द्वारा उक्त कांड संख्या के कांड केस डायरी की कार्बन कॉपी उपलब्ध कराई जाए। फिर नौ सात जुलाई 2025 को अभियोजन पदाधिकारी के माध्यम से रामनगर थानाध्यक्ष को केस डायरी उपलब्ध कराने का निर्देश जारी हुआ था।

    इसके बाद त्वरित विचारण प्रभारी सह पुलिस निरीक्षक विजय कुमार राय के माध्यम से भी रामनगर थानाध्यक्ष से केस डायरी उपलब्ध कराने के संबंध में निर्देशित किया गया था।

    इन सभी प्रयास के बाद भी थानाध्यक्ष ने सोमवार तक केस डायरी उपलब्ध नहीं कराया। इसके साथ ही उनके द्वारा यह भी नहीं बताया गया कि अभी तक वे केस डायरी क्यों नहीं उपलब्ध करा रहे हैं।

    थानाध्यक्ष की उदासीनता के कारण मामला लंबित

    कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि थानाध्यक्ष न्यायालय का आदेश का पालन नहीं कराना चाह रहे हैं। थानाध्यक्ष की उदासीनता के कारण न्यायालय में करीब 19 साल से यह मामला लंबित चला रहा है, जबकि उच्च न्यायालय का आदेश है कि पुराने मामलों का निष्पादन हर हाल में किया जाए।

    न्यायालय ने एसपी को आदेश दिया है कि थानाध्यक्ष पर हुई कार्रवाई की जानकारी 15 दिनों के अंदर न्यायालय में उपलब्ध कराते हुए सुनिश्चित कराया जाय कि दस सितंबर तक केस डायरी न्यायालय में उपलब्ध हो सके।